सुबोध कांत सिंह मंजिल यूं ही नहीं मिलती राही को जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है पूछा चिड़िया को
Author: badalav
दरमा घाटी जाएं तो कुछ टॉफी चॉकलेट जरूर ले जाएं
विनोद कापड़ी के फेसबुक वॉल से दरमा घाटी की सैर जितनी यादगार है, उससे कहीं ज्यादा रोमांचकारी। रास्ता जितना दुर्गम
य़थार्थवाद के ठप्पे को ध्वस्त करता रवि तनेजा का कोणार्क
संगम पांडेय रवि तनेजा की प्रस्तुति कोणार्क अकेला ऐसा नाटक है जिसे मैंने देखने के पहले ही पढ़ रखा था।
पाठकों को मिलेगा ‘नारद कमीशन’ का आनंद
डा.सुधांशु कुमार … बात यदि मानवों तक की रहती तो एक बात थी किंतु यहां तो ‘छिच्छकों’ का अति पेचीदा
राजनाथ सिंह के गोद लिए गांव बेती का हाल
जयंत कुमार सिन्हा लखनऊ का नाम आते ही नजर में कौध जाती है गोमती पर बिखरी गुलाबी शामें, लखौड़ियों से
ग्लोबल लीडर मोदी के किस्सों की नई किताब तैयार है
सत्येंद्र कुमार यादव “सन् 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान फौज में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन उनकी कम उम्र
येदि का घमंड, सिद्धा का समर्पण और पलट गई बाजी
धीरेंद्र पुंडीर बौने नया हीरो गढ़ रहे हैं क्योंकि नायक या खलनायक के बिना कोई फ़िल्म नहीं होती। बौनों के
बीजेपी में गजब की पारदर्शिता है!
राकेश कायस्थ बीजेपी के आप कितने बड़े आलोचक क्यों ना हो राजनीतिक जीवन में पारदर्शिता स्थापित करने का क्रेडिट उसे
100 सिद्धारमैया, 100 अफसाने और बौनों का संसार
धीरेंद्र पुंडीर खूबसूरत हरे भरे खेत। लाल फूलों से लदे हुए गुलमोहर और हिंदुस्तानी देहात का लगभग एक जैसा मन।
बच्चों के चेहरों पर देखे हमने पुस्तकों के ‘मंजर’
टीम बदलाव पुस्तकों के बीच बच्चे और अभिभावक। पके हुए आमों को देखकर जो सुख होता है, उससे कहीं ज्यादा