राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल से साभार मेरे गृह राज्य झारखंड में एक मशहूर शिव तीर्थ है। बैजनाथ धाम। जिस
Author: badalav
समान शिक्षा ही समाज में समानता का बेहतर विकल्प
शिरीष खरे ‘स्कूल चले हम’ कहते वक्त अलग-अलग स्कूलों में पल रही गैरबराबरी पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। एक
एसी वाले ‘बाबाओं’ की क्रांति और घोंचू भाई का मंत्र
ब्रह्मानंद ठाकुर विप्लव जी इन दिनों गांव आए हुए है। इनका मूल नाम समरेन्द्र कुमार है लेकिन महानगर में जाकर
अखबार के जरिए यथार्थ से जुड़ना, एक मुगालता- आलोक श्रीवास्तव
पशुपति शर्मा पत्रकारिता में वैश्वीकरण के बाद एक नया बदलाव आया है। वो समाज के बड़े मुद्दों पर बात नहीं
आलोक श्रीवास्तव की दो कविताएं
एक दिन आएगा एक दिन आएगा जब तुम जिस भी रास्ते से गुजरोगी वहीं सबसे पहले खिलेंगे फूल तुम जिन
गाजियाबाद में आलोक श्रीवास्तव से खुली बात आज
मुसाफिर हूं यारो के तहत बदलाव ने वरिष्ठ पत्रकारों और सृजनशील लोगों से बातचीत का एक सिलसिला शुरू किया है।
हिन्दी की चिंता ऊपर से नहीं, नीचे से कीजिए
ब्रह्मानंद ठाकुर हिंदी दिवस से एक दिन पहले मैंने पूरा दिन 11-4 बजे तक एक उच्च विद्यालय में बिताया। हिन्दी
राजनीतिक गणित में बुरी तरह से उलझ कर रह गई हिन्दी
डॉ संजय पंकज हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देकर सरकार भूल गई। १४ सितम्बर १९४९ से हर वर्ष हिन्दी दिवस मनाने
समस्या आरक्षण नहीं, भयानक बेरोजगारी है
पीयूष बबेले नब्बे के दशक की शुरुआत में मंडल कमीशन लागू होने के बाद से यह पहला मौका था, जब
गौरक्षकों को स्वामी विवेकानंद का संदेश
ब्रह्मानंद ठाकुर 11 सितम्बर 1893। इसी दिन स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो शहर में विश्व हिंदू धर्म महा सम्मेलन में व्याख्यान