ब्रह्मानंद ठाकुर उतरइत उत्तरा नक्षत्र में मेघ बरस जाने से घोंचू भाई के मुरझाएल चेहरा पर जब तनिका हरियरी छाया
Author: badalav
जलकर बढ़ने की सीख देने वाले राष्ट्रीय चेतना के प्रखर कवि दिनकर
संजय पंकज राष्ट्रीय चेतना के प्रखर और ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर सामाजिक दायित्व और वैश्विक बोध के भी बड़े
बदलाव पाठशाला: हम चलते रहे, कारवां बनता गया
ब्रह्मानंद ठाकुर आगामी 2 अक्टूबर को बदलाव पाठशाला का एक साल पूरा हो जाएगा। 6 साल से 13 साल तक
मजदूरी को मजबूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार
पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार पूर्णिया शहर के मधुबनी बाजार की ये तस्वीर वैसी ही है जैसी किसी भी
मौसम का बदलता मिजाज और सियासत का चढ़ता पारा
संजय पकंज मौसम बदल रहा है। वातावरण में सर्दी उतरने के लिए उसाँसें भर रही है । बहुत धीमी चाल
आस्था के नाम पर मूर्ख बनाने का घनघोर विश्वास गजब का है
राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल से साभार मेरे गृह राज्य झारखंड में एक मशहूर शिव तीर्थ है। बैजनाथ धाम। जिस
समान शिक्षा ही समाज में समानता का बेहतर विकल्प
शिरीष खरे ‘स्कूल चले हम’ कहते वक्त अलग-अलग स्कूलों में पल रही गैरबराबरी पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। एक
एसी वाले ‘बाबाओं’ की क्रांति और घोंचू भाई का मंत्र
ब्रह्मानंद ठाकुर विप्लव जी इन दिनों गांव आए हुए है। इनका मूल नाम समरेन्द्र कुमार है लेकिन महानगर में जाकर
अखबार के जरिए यथार्थ से जुड़ना, एक मुगालता- आलोक श्रीवास्तव
पशुपति शर्मा पत्रकारिता में वैश्वीकरण के बाद एक नया बदलाव आया है। वो समाज के बड़े मुद्दों पर बात नहीं
आलोक श्रीवास्तव की दो कविताएं
एक दिन आएगा एक दिन आएगा जब तुम जिस भी रास्ते से गुजरोगी वहीं सबसे पहले खिलेंगे फूल तुम जिन