ब्रह्मानंद ठाकुर होश संभालते ही देखा शीशम के खम्भे पर टिका फूस का घर । बाहर से टाटी से घिरे
Author: badalav
जब देश के पहले राष्ट्रपति को झेलना पड़ा दहेज प्रथा का दंश
ब्रह्मानंद ठाकुर बात आज से 102 साल पहले की है। राजेन्द्र बाबू 1916 में कलकत्ता ( अब कोलकाता ) से वकालत
देवरिया की वंदना के ‘गुनहगारों’ पर कब एक्शन लेगी पुलिस?
बदलाव प्रतिनिधि, देवरिया देवरिया की एक बेटी की ज़िंदगी शादी के महज 3 महीनों में ही नर्क बन गई। वो
किसानों के लिए सरकारी सब्सिडी का छलावा और घोंचू भाई का दर्द
ब्रह्मानंद ठाकुर मनकचोटन भाई के दलान पर आज की बतकही का मुद्दा सरकारी किसान चौपाल का था। बात यह थी
किसान आंदोलन और मीडिया की माया
टीम बदलाव पिछले 6 महीने में देश का अन्नदाता तीसरी बार लोकतंत्र के मंदिर पर मत्था टेकने आ चुका है
अन्नदाता के लिए आखिर संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं ?
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार मेरा रिपोर्टर-मन नहीं माना! दो दिन से तबीयत कुछ ठीक नहीं लग
कश्मीरियों के लिए एक ही विकल्प है-भारत, मगर दिल पर दें दस्तक
ब्रह्मानंद ठाकुर कश्मीरी मूल के हिन्दी लेखक डाक्टर निदा नवाज पिछले दिनों मुजफ्फरपुर आए। डाक्टर निदा नवाज को उनकी पुस्तक
गांव की माटी की महक
श्वेता जया के फेसबुक वॉल से साभार क्या आपने गाँव को करीब से देखा है? खपरैल के घर, फूस की
कृषि विश्वविद्यालय की ‘खेती’ और किसानों की दुर्दशा
शिरीष खरे कृषि क्षेत्र में कई शब्द प्रचलित हैं। इनमें से कई के अर्थ और उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी
सामाजिक संतुलन के लिए कितना कारगर रहा भूमि सुधार कानून
शिरीष खरे आजादी के सात दशक बाद तक भूमि की संरचना पहले की तरह ही असमान है। आज भी साठ