कुंभ पर एक ‘साहित्यकार’ की जीवंत फोटो प्रदर्शनी

अजामिल जी के फेसबुक वॉल से साभार इलाहाबाद के बहुचर्चित छायाकार एस के यादव ने विश्व के सबसे बड़े अध्यात्मिक

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बच्‍चों की मार्कशीट को जिंदगी पर हावी न होने दें

दयाशंकर मिश्र बच्‍चों को संपत्ति की तरह न मानने, ‘बच्‍चे हमसे हैं, हमारे लिए नहीं’ भावना वाली परवरिश के सिद्धांत,

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राष्ट्र और राज्य को कल्याणकारी होना चाहिए, सलेक्टिव नहीं !

उर्मिलेश उर्मिल के फेसबुक वॉल से साभार हमारे अनेक समकालीन जानते हैं कि इलाहाबाद में कई साथियों के साथ हम

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आर्थिक असमानता दूर करने का ‘सियासी’ छलावा !

शिरीष खरे स्वतंत्रता के बाद भारत जैसे विशाल और विविधता सम्पन्न देश में असंतुलन तथा अंतर्विरोधी समाधान के लिए योजना

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ग्राम सभा का इतिहास और ग्राम स्वराज का अधूरा सपना

शिरीष खरेभारत में स्थानीय शासन का अस्तित्व बहुत पुराना है। मध्यकाल के इतिहास में ग्राम-सभा का उल्लेख मिलता है जो

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गांवों में विकास की धीमी रफ्तार और नौकरशाही का ढुलमुल रवैया

शिरीष खरे  भारतीय प्रशासन का वर्तमान ढांचा ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिला है। इसी ढांचे के नीचे गांव का विकास

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