निखिले कुमार दुबे के फेसबुक वॉल से साभार दीवाली के बाद ईश्वर का पथगमनघर से निकाले गए फुटपाथ मे बैठे
Author: badalav
कम फीस की कीमत तुम नहीं समझोगे साहब!
विभावरी के फेसबुक वॉल से साभार इलाहाबाद वि.वि. से एम.ए. करके आई एक निम्न मध्यवर्गीय लड़की के बतौर राजधानी के
मुजफ्फरपुर में 13 नवंबर को चमकी पर रिपोर्ट
बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरनगर 2019 में चमकी बुखार की मौतों ने हम सब को किस कदर परेशान किया था, यह आप
‘अफ़सरी’ या ‘मास्टरी’, अखिलेश के मन में कोई दुविधा न रही!
सामाजिक सरोकारों पर अर्थतंत्र कब हावी हो गया, ये कोई समझ ही नहीं पाया। समाज में आपकी पहचान अब आपके
नौकरी की तेरहवीं
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार आज तेरहवीं हैकोई नहीं हैउसके साथवो अकेले सोच रहा हैअब क्या? उसनेनहीं रखाकोई‘श्राद्ध
गांधीजी की कल्पना का भारत और हमारा गांव
ब्रह्मानंद ठाकुर महात्मा गांधी की कल्पना का भारत स्वशासी ग्रामीण इकाइयों का था, गांधी और अराजकवाद के आलेख की कड़ी
घाटों पर तीन दिन की ‘चांदनी’, फिर अंधेरी रात…
पुष्यमित्र छठ जीवित देवताओं का पर्व है। यह सिर्फ सूर्योपासना का ही पर्व नहीं है, जल धाराओं की उपासना का
यह दुनिया माया है
पुष्य मित्र जब तक भारत गांवों का, किसानों का देश था, तब तक दीपावली पर हर घर में लक्ष्मी आती
गरीब उद्यमियों के सपनों के साथ ‘न्याय’ कीजिए
निखिल कुमार दुबे के फेसबुक वॉल से साभार अर्थशास्त्र मेरा विषय नहीं है।नोबल प्राप्त एक्सपर्ट पर कॉमेंट करूँ इतना ज्ञान
अब तो उनको दुआ से भी डर लगता है
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार अल्लामा इकबाल ने एक कविता लिखी थी, बच्चे की दुआ। पीलीभीत के एक