धर्मराज सिंह के फेसबुक वॉल सेमेरा दोस्त, मेरा भाई .. दिल्ली में पेशेवर जीवन का संभवत पहला दोस्त, रिश्ता ऐसा
Author: badalav
मंज़ूर एहतेशाम- भोपाल में मुहब्बत की एक ‘सांझ’
पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार मेरे प्रिय लेखक और सबसे प्रिय मेंटर। आज मुहब्बत की वह डोर टूट गयी,
कोरोना काल में तड़पते शहर का गांव को संदेश
पुष्यमित्रबिहार के गांव में रहने वाले सभी लोगों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूं कि कृपया इस भीषण वक़्त
मन्नू भायजी आप हंसते हुए हमें उदासी में छोड़ गए
पुष्यमित्र आप चले गये, बहुत दुख हुआ। मगर उससे भी अधिक दुख इस बात का हुआ कि आप बिना कुछ
कोरोना संकट में साथी हाथ बढ़ाना…सवाल ज़िंदगी का है
राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से साभार आप जब कुछ करते हैं तो अपने स्वभाव,संस्कार और इंसानियत के नाते करते
पल-पल मौत वाला इम्तिहान… बेबसी के बीच ज़िंदगी के रंग
राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से साभार जिंदगी और मौत के बीच बस एक बारीक लकीर होती है, जैसे भरोसे
नजरिया वैज्ञानिक रखिए, ज़िंदगी के रंग बदल जाएंगे
दयाशंकर मिश्र दूसरों के बातों को दोहराने से पहले उन पर विवेकपूर्ण दृष्टि ठीक वैसे ही है, जैसे सड़क पर
आदरणीय पीएम साहब, फुरसत मिले तो चिट्ठी पढ़िए जरूर
पीएम के नाम अक्षय विनोद शुक्ल की पाती माननीय प्रधानमंत्री जी, वैसे तो पहले ही बहुत देर हो चुकी है,
कोरोना काल के फरिश्ते दिलीप पांडे और डा. रजत
राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से साभार सुबह के साढे आठ बज रहे थे. फोन उठाया तो लरजती सी आवाज
कोरोना तांडव की इस ‘बदनसीबी’ को ज़िंदगी भर कोसता रहूंगा- रमेश
रमेश रंजन सिंह आज मेरे सिर से पिताजी का साया हमेशा के लिए उठ गया। कोरोना ने पापा को हमसे