इति माधवी “सुलगते चूल्हे पर स्त्री जब रांधती है भात बटलोही के अदहन से पकते चावल की खदबदाहट हर स्त्री
Author: badalav
जल का फिक्स्ड डिपॉजिट जल्दी मत तोड़िए
निराला फेसबुक, 19 जुलाई। हमारे देश में एक तरह की जलवायु नहीं है। मौसम बदलते रहते हैं। बारिश कहीं ज्यादा तो
किसान आंदोलन के तरीके नहीं वजहों की फिक्र कीजिए जनाब
आशुतोष शर्मा देश के कई राज्यों में किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसानों का दावा है कि उन्हें उपज
मीडिया, बच्चे और असहिष्णुता पर ओरछा में होंगी बातें
बदलाव प्रतिनिधि मीडिया के साथियों के साथ बैठकर कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक—दूसरे के विचारों को समझने, अपने
गांव मांगें केरोसिन से ‘आज़ादी’ ?
चंद्रशेखर सिंह भारत की कुल जनसंख्या की लगभग दो तिहाई आबादी आज भी गांवों में बसती है। 2011 की जनगणना के
मुसाफ़िर! वो छुक-छुक कभी तो लौटेगी
प्रवीण कुमार ट्रेन से सफर एक घर बसाने जैसा है, समाज में जीने जैसा है, और इसकी खिड़कियों से झांकना
गांधी को महात्मा बनाने की ‘चम्पारण कथा’ की पहली झलक
पुष्यमित्र चंपारण सत्याग्रह पर आधारित इस किताब को लिखना जब शुरू किया था तो चम्पारण सत्याग्रह की बहुत कम जानकारियां
समान शिक्षा के लिए सिर्फ नीति नहीं, नीयत होनी चाहिए
ब्रह्मानंद ठाकुर आजादी के 70 बरस बाद भी हिंदुस्तान में ना तो शिक्षा आम आदमी तक पहुंच सकी और ना
देवरिया पुलिस की शानदार पहल..लेकिन कुछ सवाल हैं ?
न्यूज चैनल, अखबार, सोशल मीडिया में पुलिस के नाकारात्मक पक्ष की खबरें ज्यादा चलती हैं । वजह भी साफ है
दिल्ली के SDM प्रशांत, जो सेवा में ढूंढते हैं सुकून
अरुण प्रकाश आए दिन देश में धरना-प्रदर्शन हो हंगामा होता रहता है, लेकिन क्या हमने कभी समान शिक्षा और बेहतर