गौरी लंकेश की हत्या से देश स्तब्ध है। पत्रकार-साहित्यकार वर्ग सहमा हुआ है। आखिर अभिव्यक्ति की आज़ादी के मतलब क्या
Author: badalav
पूरे समाज को हर बच्चे का खयाल रखना होगा
मृदुला शुक्ला बच्चों के साथ घटती तमाम घटनाओं में हम आसानी से किसी न किसी को दोष देकर अपनी जिम्मेदारी
प्रद्युम्न को बदलाव बाल क्लब की ओर से श्रद्धांजलि
बदलाव प्रतिनिधि, दिल्ली गुरुग्राम में रेयान इंटरनेशनल स्कूल में मासूम प्रद्युम्न की हत्या की ख़बर से देश सन्न रह गया
प्रद्युम्न ने खामोश कर दिया !
देवांशु झा मां जब कहती है कि उसे ईश्वर ने आंखें ही क्यों दीं तब मुझे शेक्सपीयर की पंक्तियां याद
पूरी रात आंखों में तैरती रहीं प्रद्युम्न की तस्वीरें
सात साल के प्रद्युम्न की तस्वीरें पूरी रात आंखों में तैर रही थीं । उसकी अस्पताल की तस्वीर देखी तो
वो हर बहस को डिरेल करने वाले महायौद्धा हैं!
राकेश कायस्थ सोशल मीडिया पर मासूमियमत, मूर्खता और व्यवस्थित ट्रोलिंग की तीन धाराएं साथ-साथ चलती रहती हैं। इन तीनों का
वंशीपचडा-वह गांव जिसने रामबृक्ष को बेनीपुरी बना दिया
ब्रह्मानंद ठाकुर एक नन्हा -सा टुअर बालक जिसकी मात्र 4 साल की उम्र में मां मर गयी और जब वह
हमारा शिक्षा तंत्र और कबीर की उलटबांसी
ब्रह्मानंद ठाकुर आज शिक्षक दिवस है। मैं शिक्षक रहा हूं और सरकार, प्रशासन और समाज द्वारा शिक्षकों के प्रति जो
सरकारी बैंक के कामकाज की निगरानी कौन करता है?
पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से मन बैंक वालों की वजह से भन्ना गया है। दो ऐसे अनुभव हुए हैं कि
शाइनिंग इंडिया टू सेलिंग इंडिया
राकेश कायस्थ सरकारी तंत्र यानी नकारापन। प्राइवेट सेक्टर यानी अच्छी सर्विस और एकांउटिबिलिटी। यह एक आम धारणा है, जो लगभग