बदलाव प्रतिनिधि
ये सवाल पहले से ही अंदरखाने उठ रहा था । छात्रों ने भी भ्रष्टाचार की बात उठाई थी लेकिन किसी ने इसका संज्ञान नहीं लिया। जब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर रतनलाल हांगलू ने प्रधानमंत्री मोदी, शिक्षा मंत्री और राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर सीबाआई जांच की सिफारिश की है। वीसी का आरोप है कि ये करीब 250 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला है जो साल 2005 से चल रहा था । एक हाथ से पैसा आता था तो दूसरे हाथ से लूट लिया जाता था। गुरुवार 3 जुलाई 2017 को पत्रकारों से बात करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्याल के कुलपति ने बताया कि- पैसा पढ़ाने के लिए मिलता है। जो पैसा आया उसकी बंदरबांट हुई है । कई शिक्षकों ने गलत तरीके से करोड़ों रुपए जुटा लिए हैं। काफी पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। हमने एक रिपोर्ट बनवा कर माननीय पीएम को भेजी है। शिक्षा मंत्रालय और माननीय राष्ट्रपति को भी। चाहे सीबीआई जांच करानी हो या कोई और जांच करानी हो सरकार इस पर फैसला ले। कई फर्जी और घोस्ट कर्मचारी बनाकर वेतन बांटा गया। कई लोग कोर्ट से ऑर्डर लेकर फर्जी कर्मचारी बनकर बैठे हैं । कई लोग बिना इंटरव्यू, बिना सलेक्शन कमेटी के लेक्चरर बन गए। इलाहाबाद विश्विद्यालय में पिछले दिनों 3 छात्रों को हंगामा करने के आरोप में 5 साल के लिए यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया। निकाले गए छात्रों में एक छात्र संघ का अध्यक्ष रोहित मिश्रा, उपाध्यक्ष और एक एलएलबी का छात्र है। ये छात्र भी यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन कुलपति का इनके प्रति नजरिया कुछ और है। कुलपति का कहना है कि इन छात्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिन लोगों के नाम भ्रष्टाचार करने में आ रहे हैं वही लोग इनका इस्तेमाल कर रहे हैं । मामले को पटरी से उतारने के लिए उपद्रव कराया जा रहा है। ये अच्छी बात है कि इतने सालों से चल रही लूट के खिलाफ अब आवाज उठने लगी है। सवाल ये कि साल 2005 से अब तक लूट कैसे हुई। इस सवाल के जवाब में कुलपति ने बताया कि-
करीब 250 करोड़ से ज्यादा का घपला हुआ होगा । 9 करोड़ 12 लाख का पेमेंट ऐसा हुआ जिसे देना ही नहीं चाहिए था । करीब 200 करोड़ रुपए कुछ टीचर्स ने यहां से फिक्सेशन कराकर ले लिए । इनमें से बहुत से टीचर्स की मौत हो गई या रिटायर हो गए हैं । वही टीचर जो हमारे खिलाफ शिकायत कर रहे हैं वही उसमें शामिल हैं । 78 लाख रुपए की एलटीसी ही जांच के दायरे में है । सीएजी ने इसे प्वाइंट आउट भी किया है । मैंने सीएजी को भी ऑडिट के लिए लिखा था । मैं चाहूंगा कि सीबीआई जांच हो और ऐसे लोगों को सजा मिले । साल 2005 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार चलता आ रहा है । जब यूनिवर्सिटी सेंट्रल बनी तब से घपला शुरू हुआ । खूब पैसा आया और उसे खूब लूटा गया । 9 करोड़ 12 लाख रुपए से ज्यादा ऐसे सेल्फ फायनेंस इंस्टिट्यूट को सैलरी दी गई जो यूनिवर्सिटी का हिस्सा ही नहीं था । घपले की कहानी यहीं खत्म नहीं होती वीसी ने बताया कि 35 से 40 करोड़ रुपए तक एडवांस लोन लेकर लौटाया ही नहीं गया । वीसी ने दावा किया कि उन्होंने करीब 6 करोड़ 90 लाख रुपए रिकवर भी कर लिये हैं। बहुत पैसा अभी तक रिटर्न नहीं आ पाया है। 78 लाख रुपए फ्रॉड एलटीसी था और टीचर के फिक्सेशन पर करीब 200 करोड़ रुपए की बंदरबांट हुई है । इसमें सरकार को कुछ कठोर कदम उठाने होंगे । इन पैसों की जांच होनी चाहिए, ये पब्लिक मनी है। अब सवाल ये है कि वो लोग कौन हैं जिन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को लूटा ? वीसी ने उनके नाम का खुलासा फिलहाल नहीं किया है। ।