टीम बदलाव
समाजवादी पार्टी दो फाड़ की दहलीज पर खड़ी है । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बगावत कर चुके हैं । मुलायम सिंह यादव अपने बेटे को अपनी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही जिसने अखलेश को अपनी ही पार्टी के खिलाफ ऐलान-ए-जंग के लिए मजबूर कर दिया । आखिरी ऐसी क्या वजह रही जिसने मुलायम-अखिलेश के बीच बातचीत-मानमनव्वल के रास्ते को ही बंद कर दिया । दो दिन पहले तो समाजवादी संग्राम पार्ट-1 की तरह जो बात स्क्रीप्टेड लग रही थी आखिर 24 घंटे में समाजवादी पार्टी की टूट तक ला खड़ा किया ।
समाजवादी पार्टी और मुलायम परिवार के करीबी सूत्रों की माने तो इसकी असल वजह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हुए दुर्व्यवहार को बताया जा रहा है । जो दो दिन पहले मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में अखिलेश के साथ हुआ । सूत्रों के मुताबिक गुरुवार शाम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने समर्थकों की सूची लेकर पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके आवास पर गए थे । शिवपाल और अखिलेश की सूची में मजह 30 से 35 सीटों को लेकर टकराव था, जिसे मुलायम सिंह मिल बैठकर सुलझा लेना चाहते थे लिहाजा उन्होंने शिवपाल को भी अपने घर आने को कहा । थोड़ी देर बाद शिवपाल सिंह यादव मुलायम के घर पहुंचे और दोनों लिस्ट में विवादित नामों पर चर्चा होने लगी । सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अतीक अहमद समेत तमाम विवादित नामों को लिस्ट से हटाने की बात कही साथ ही अपर्णा यादव का भी टिकट काटने पर अड़े रहे । इसी बीच शिवपाल और अखिलेश में कहासुनी होने लगी । अखिलेश किसी भी कीमत पर विवादित नामों को लिस्ट से हटाने पर अड़े रहे । अखिलेश के अड़ियल रवैया को देखते हुए उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया । ख़बर तो यहां तक है कि पिछली बार की मंच पर जो कुछ हुआ था उससे भी ज्यादा खराब आचरण प्रदेश के मुखिया अखिलेश के साथ शिवपाल सिंह यादव ने किया । कहा तो यहां तक जा रहा है शिवपाल ने अखिलेश के साथ हाथापाई भी की । खास बात ये कि ये सबकुछ मुलायम सिंह यादव के सामने हुआ ।
बंद कमरे में हुआ ये अपमान ही अखिलेश को बगावत के लिए मजबूर किया । सूत्र बताते हैं कि शिवपाल के रवैया से नाराज अखिलेश यादव मीटिंग बीच में छोड़कर मुख्यमंत्री आवास लौट आए और उन्होंने इस दौरान अपने चाचा रामगोपाल यादव और चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव से बात की और शिवपाल की पूरी हरकत को बयां किया साथ ही ये भी कहा कि अब पार्टी में या तो वो रहेंगे या फिर शिवपाल । लिहाजा मुख्यमंत्री के अपमान पर ना तो रामगोपाल ने सुलह की बात की और ना ही धर्मेंद्र यादव ने लिहाजा फैसला हुआ कि अब संगठन को तय करना होगा कि वो शिवपाल के साथ है या फिर अखिलेश के । चाचा और भाई से बात करने महज 2 घंटे के भीतर ही अखिलेश ने अपनी रणनीति बदली और मुलायम सिंह यादव के पास जो 167 उम्मीदवारों की लिस्ट लेकर गए थे उसे बढ़ाकर 235 तक की और अपनी फ़ाइनल लिस्ट जारी करते हए बगावत का ऐलान कर दिया । इसके साथ ही ये भी तय हो गया कि अब कोई बातचीत नहीं होगी और ना ही कोई मान-मनव्वल और सिर्फ दंगल होगा ।
लिहाजा रामगोपाल यादव ने फौरान पार्टी की आम बैठक बुलाने का ऐलान कर दिया, इस बीच मुलायम और शिवपाल को लगा कि अगर अखिलेश और रामगोपाल को नोटिस भेजी जाए तो शायद वो लोग नरम पड़े लेकिन ऐसा नहीं हुआ रामगोपाल ने साफ कह दिया क अब कोई बात नहीं होगी अखिलेश की ही लिस्ट फ़ाइनल होगी । लिहाजा शिवपाल ने भी अपनी रणनीति बदली और इसके पहले कि एक जनवरी को संगठन की बैठक में शिवपाल से प्रदेश अध्यक्ष की पद छीनने का फैसला होता उससे पहले ही शिवपाल ने मुलायम सिंह को हथियार बनाकर अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से निष्कासित करने का ऐलान करा दिया । अब देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी घराने में छिड़ी जंग में जीत किसकी होती है हालांकि हर तरफ से पलड़ा अखिलेश का भारी है, लेकिन चुनावी साल में इस तरह की जंग अखिलेश के लिए तो फायदेमंद हो रही है लेकिन पार्टी के लिए कितनी नुकसान दायक होती है ये वक्त तय करेगा ।
मेरी राय में यदि यूपी में सपा को नुकसान हुआ तो इसकी जिम्मेवारी अखिलेश जी.की नही होगी । होनी भी नही चाहिए ।