पवित्र श्रीवास्तव
अपनी दोनों बेटियों टीशा और तनीशा के साथ दंगल फिल्म देखी। मजा आ गया। आमीर खान और उनकी टीम एक बार फिर एक सार्थक फिल्म दंगल के साथ दर्शकों के सामने है। भारतीय पहलवान महावीर सिंह फोगाट और उनकी दो बेटियों गीता और बबीता फोगाट पर केन्द्रित यह फिल्म न सिर्फ दर्शकों का मनोरंजन करती है बल्कि एक जबरदस्त प्रेरणा का संचार करती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को पदक दिलाने का जुनून और परिवार की तपस्या इस फिल्म का केन्द्रीय तत्व है। चिल्लर पार्टी और भूतनाथ रिर्टन्स जैसी कम चर्चित फिल्मों को निर्देशित कर चुके निर्देशक नितेश तिवारी ने गजब की स्टोरी टेलिंग के साथ पूरी फिल्म का ताना-बाना बुना है।
हरियाणा के बराली गांव के पहलवान महावीर सिंह फोगाट पारिवरिक दिक्कतों के कारण पहलवानी छोड़ नौकरी करने लगते हैं और इस तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने का उनका सपना अधूरा रह जाता है। इस सपने को वो अपने बेटे से पूरा होता देखना चाहते हैं। परन्तु उन्हें चार बेटियाँ होती हैं। गांव के कुछ लड़कों की जब बेटियाँ पिटाई करती हैं तब उन्हें अहसास होता है कि पहलवानी खून में होती है और मेडल तो मेडल होता है चाहे उसे लड़का जीते या लड़की। इसके बाद वे अपनी दोनों लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पहलवान बनाने में जुट जाते हैं।
फिल्म के प्रारंभ से अंत तक कहानी में छोटी-छोटी घटनाओं का ताना-बाना इस तरह बुना गया है कि फिल्म आपको हंसाती भी है, रूलाती भी है और गुदगुदाती भी है। फिल्म का अंत कुछ इस तरह किया गया है कि दर्शकों के मन में राष्ट्रभक्ति का भाव स्वतः ही पैदा होता है। बहुत दिनों बाद कोई ऐसी फिल्म आई है जिसे पूरे परिवार के साथ उत्सव मनाते हुए देखा जा सकता है। फिल्म में दिखाये गये एक-एक दृश्य पर पूरी टीम ने भरपूर मेहनत की है। गांव के दृश्य हों या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेसलिंग चैंपियनशिप के दौरान खेले गये मैच के दृश्य, सभी एकदम ओरीजनल बन पड़े हैं। पूरी फिल्म हरियाणवी बोलचाल और संस्कृति के इर्द-गिर्द बुनी गई है और सभी कलाकारों ने कमाल का अभिनय किया है।
खेलों को लेकर भारत में हिप्प-हिप्प हुर्रे, जो जीता वही सिकंदर, चक दे इंडिया, गोल, मेरी काॅम, भाग मिल्खा भाग, लाहौर जैसी अनेक फिल्में बनी हैं परन्तु दंगल खेल से आगे समाज में बसी रूढ़ीवादी सोच को तोड़ने का भी काम करती है। फिल्म में आमीर खान ने लाजवाब अभिनय किया है। उनका बाडी ट्रांसफार्मेशन देखने लायक है। आमीर खान की अभिनेता के रूप में उपस्थिति के बाद भी फिल्म में पात्रों की रचना कुछ इस तरह की गयी है कि फिल्म के हर पात्र को सही स्पेस मिला है। गीता के रोल में फातिमा सना शेख ने अपनी जबर्दस्त उपस्थिति दर्ज की है। बबीता की भूमिका में सान्या मल्होत्रा और महावीर सिंह की पत्नी के रूप में साक्षी तंवर ने लाजवाब अभिनय किया है। अमिताभ भट्टाचार्य के गीत और प्रीतम का संगीत फिल्म के अनुरूप है। फिल्म में उपयोग किया गया बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के प्रभाव को और विस्तार देता है। निश्चित तौर पर यह फिल्म विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कार तो जीतेगी ही, साथ ही साल के अंत में और नये साल के शुरु में बाक्स आफिस की झोली भी भरेगी।
पवित्र श्रीवास्तव/ माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में संचार विभाग के विभागाध्यक्ष ।
बहुत अच्छा सर। नियमित लिखें समय निकालकर।