जिसको भी प्रक्रति से लगाव हो और वह उसे देखना चाहता हो तो उसे एक बार श्री लंका जरुर जाना चाहिये। यह बात हम अपने अनुभव के आधार पर कह रहे है। छह दिनों के श्री लंका टूर पर हम सबने वहां नेचर को बेहद करीब से देखा। हिन्द महासागर का समुद्र और हर तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड़ सबको आकर्षित करते है। कोलम्बो का मरीन ड्राइव मुंबई से भी ज्यादा खुबसूरत है। मरीन ड्राइव सबसे वी वी आई पी इलाका है। एम्बेसी और प्रमुख मंत्रियो और अफसरों के बंगले यही है। कोलम्बो से बाहर निकलते ही आपको पहाड़ नज़र आने लगते है। पहाड़ो पर चाय के दूर दूर तक फैले बागान और सब्जी की खेती नजर आती है।
रतनपुरा होते हुये नूराएलिया पहुचते ही लगेगा कि आप पहाड़ पर आ गये। यहा का मौसम हमेशा ठंडा रहता है। झील और रेस कौर्स के साथ ही इस छोटे से कस्बे में कई गोल्फ कौर्स है। दिन भर पर्यटक झील में बोटिंग करते रहते है। झील में बड़ी बोट पर तैरते रेस्टोरेंट का कोई जवाब नही है। भारत से गये आई ऍफ़ डब्लू जे के 20 प्रतिनिधियों के लिये एक रात का डिनर इसी झील की बोट में नूरा एलिया के पत्रकारों ने रखा था। हिल का आनंद लेना हो तो दूसरा डेस्टिनेशन है कैंडी जो कोलम्बो से केवल 116 किलोमीटर की दुरी पर है। कैंडी भी नूरा एलिया की तरह बेहद खूबसूरत कस्बा है। नूरा एलिया जाने से पहले हम लोग एक टूरिस्ट विलेज में एक रात ठहरे। पर्यटन विभाग ने इसे खास तौर पर पूरी दुनिया के टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिये तैयार किया है जहा पर्यटक पेइंग गेस्ट की तरह रहते है। इसकी बुकिंग श्री लंका टूरिस्ट विभाग करता है।
इससे थोडा पहले रतनपुरा शहर है जहां पुखराज और नीलम रत्न की खदाने है। भारत में हम नारा देते है मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है, लेकिन 200 साल से ज्यादा समय तक अंग्रेजो का गुलाम रहा श्री लंका बदल भी चुका है और आगे भी बढ़ चुका है। कोलम्बो हो या पहाड़ के इलाके सब बेहद साफ सुथरे है कही भी हमको गंदगी नही दिखी। पहाड़ की सडको पर भी आप कही भी सड़क के किनारे पेशाब नही कर सकते। किसी सडक पर धूल उड़ती नही मिली अपने शहरो की तरह। हर कोई नागरिक ट्रैफिक नियमो का पालन करता है। 2.11 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 73 फीसद सिंहली और 27 फीसद तमिल है। 2 फीसद लोग भारतीय है।
भारत की तरह ढेर सारे लोग श्री राम को मानते है लेकिन ज्यादातर लोग बुद्ध की पूजा करते है। बुद्ध लंका तीन बार गए थे लेकिन उनके धर्म को यहा फैलाया अशोक के पुत्र महेंद्र ने। एक समय में लिट्टे आतंकवादियो से जूझ रहा श्री लंका अब पूरी तरह से शांत है। यहा के लोग भारतीय लोगो से कुछ खास लगाव रखते है। श्री लंका में कोई भूख से नही मरता इतनी कमाई हर व्यक्ति की है कि उससे वह पूरा खाना खा सकता है मेडिकल और एजुकेशन यहां फ्री है। (साभार- फेसबुक वॉल से)
देवकी नंदन मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति में संयुक्त सचिव हैं ।