महेश कुमार मिश्रा
संत गोस्वामी तुलसीदास जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम पर राम चरित मानस महाकाव्य की रचना की । ऐसा माना जाता है कि तुलसी दास ने 1574-77 के बीच में इसकी रचना की । अवधी भाषा शैली में लिखे इस महाकाव्य का पाठन हर हिन्दू के घर में होता है । लेकिन अगर आप को कहा जाय कि अवधी भाषा में भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित श्याम चरित मानस की रचना आज से 5 साल पहले हो चुकी है तो आप इसे शायद ही मानेंगे, लेकिन ये सच है । उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर की सदर तहसील के बनमई गांव में रहने वाले 69 वर्षीय माधवराम यादव ने श्रीकृष्ण लीला पर श्लोक, छंद, सोरठा के साथ लगभग 1100 दोहों और 11000 चौपाइयों वाले महाकाव्य की रचना की है।
विमलकथा घनश्याम की, प्रगट करउ धरि ध्यान
श्याम चरिस मानस रखे नाम शंभु भगवान एवं
धरि उर धीर लेखनी लेहूं। शंभु कृपा सब मिटै संदेहू।
माधवदास यादव ने साढ़े चार साल में इस महाकाव्य को पूरा किया । वो बताते हैं कि 2001 से ही उनके शरीर में कंपन की बीमारी हो गयी थी और वे लेखन के काम को नहीं कर पा रहे थे । इसे प्रभु कृपा ही कहें कि उन्होंने इस महाकाव्य को अनवरत सालों तक लिखा और लोगों के लिए श्रीकृष्ण चरित मानस की रचना की । माधव दास अपने महाकाव्य को उस माधव (श्रीकृष्ण) की इच्छा बताते हैं । भगवान श्रीकृष्ण को सत्य एव प्रेम ही प्रिय है। इस महाकाव्य में वर्णित सम्पूर्ण कथाओं का सार समाज में भक्ति, प्रेम, सत्य,न्याय,रीति,धर्म-कर्म,योग,भोग,जप-तप आदि के यथार्थ को समाहित करना है। इस कथा महाकाव्य में दोहों के बीच चौपाई की नौ लाइनें ही अंकित हैं इसके पीछे प्रेरणा भाव संख्या नौ की सर्वोच्चता का रहा है। नौ संख्या का महत्व आदिकाल से चला आ रहा है इसी आधार से प्रकृति के नौ ग्रहों की तरंगों के आलोक में महाकाव्य को नौ तरंगों में तरंगित किया गया है-
उत्पत्ति खंड
गोकुल खंड
वृंदावन खंड
माधुर्य खंड
मथुरा खंड
अनुराग खंड
द्वारिका खंड
धर्मनीति खंड
ब्रह्म खंड
श्रीहरि के श्रीकृष्ण अवतार में प्रेम और सत्य सर्वोपरि है ।
पूर्वांचल में लोकप्रिय फरूवाही, नटवरी, बिरहा और अन्य कई लोकगीतों की रचना माधवदास यादव ने की है । यूपी के कई जिलों में लोकनृत्य और लोकगीत गाने वाले कलाकार शास्त्री यादव, महंगूलाल पाल, रामपाल यादव बताते हैं कि प्रदेश में गाये जाने वाले 70 प्रतिशत गीत माधवराम दास द्वारा ही लिखे होते हैं ।
सबसे आश्चर्य तो ये जानकर होता है कि मां सरस्वती के इस भक्त ने सिर्फ कक्षा 3 तक की ही पढ़ाई की है । इनके अनगिनत लोकगीत प्रचलन में हैं। श्याम चरित मानस के अतिरिक्त सेतु बंध रामश्वेरम और हनुमान कीर्ति (अप्रकाशित) की रचना इनके द्वारा की जा चुकी है । बचपन से ही लेखन का कार्य करने वाले माधवदास यादव कहते हैं कि उन्होंने कई रचनाएं की लेकिन इसे ईश्वीय इच्छा कहें कि ये कार्य कभी किसी लालसा-लालच वश नहीं किया । किसी सम्मान या पुरस्कार के अभी तक न मिलने के सवाल पर मुस्कुराते हुए उनका जवाब यही था कि हर कार्य ईश्वरीय इच्छा पर निर्भर होती है । जब प्रभु इच्छा होगी जो होना होगा हो जायेगा। भक्त, भक्ति का भूखा होता है, सम्मान का नहीं । अवधी भाषा में इनका योगदान आज के समय में अमूल्य है । क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का सुन्दर और पूजनीय प्रसंग लोगों के घरों में अवश्य पठनीय होगा ।
उत्पत्ति खंड
वाणी विनायकौ वन्दे भक्ति सद्ज्ञान रूपिणौ।
याभ्यां कृपया काव्यं कुर्वन्ति सुकवयः सदा।
भक्ति और सद्ज्ञान के स्वरुप सरस्वती जी एवं गणेश जी की मैं वन्दना करता हूं । जिनकी कृपा से सुकवि सदा काव्य रचना करते हैं।
ऐसे ही सत्ताइस परायण- पहला विश्राम पर अत्यंत सुन्दर चौपाई है
चले लखन सीता रघुराई। जनपद सुलतापुर नियराई।।
वहां गोमती सिया नहायो। तब सों सीताकुंड कहायो।।
दोहा
बिस्वरूप प्रभु श्याम पद, बार-बार सिर नाई।
मांगऊं बिमल सनेह जेहिं, सकहुं न हियहिं भुलाई।।
विराट रूप प्रभु श्याम के चरणों में बारम्बार शीश झुकाकर हृदय से भुला सकूं ऐसे निर्मल प्रेम की याचना करता हूं। (गोकुल खंड 221)
अवधी भाषा शैली में अतुलनीय योगदान देने वाले माधवदास यादव की इच्छा यही है कि इस महाकाव्य का महत्व समझते हुए लोग के घर-घर इसका पाठन हो ।
महेश कुमार मिश्रा, एक दशक तक टीवी पत्रकारिता में सेवा देने के बाद अब फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में । फिलहाल मुंबई में रहते हैं।
श्यामचरितमानस आद्यो पान्त पढ़ा। बहुत अच्छा लगा’ माधव जी पर अवश्य माधव जी की कृपा है। बहुत बहुत बधाई। डॉ ‘
सधन्यवाद आपको एवं सादर प्रणाम
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Chandiyamau
Chinhat
मै भी श्याम चरित मानस पढ़ना चाहता हूँ मुझे कहा प्राप्त होगा और आल्हखंड भी पढ़ना चाहता हूँ कृपया मुझे भी बताये
bhai
Amezon pe mil jayega
भाई अमेजन पे नही मिली
भैया जी आप पता भेज दीजिये बुक भेज दी जाएगी
सधन्यवाद
Ji bhai
Maine thoda hi pada .aab pura padne ka man kar raha hai.
agar jindagi rahi ..
Aawasya paDunga
Vill Dadawa
Po Tirchhe sultanpur
Mera naam amit yadav h mai bhi sultanpur ka nivasi hu ab delhi me rahta hu aap ye bataye ki book kaha se milegi
माननीय माधवराम यादव @ माधवदास जी को कोटि-कोटि बधाई
जिन्होंने हाथों मैं भयंकर कम्पवात के होते हुए भी अपने इष्ट पर
अटूट विश्वास होने के कारणश्रीकृष्ण(माधव) जी की कृपा से यह भव्यकृतिलिखने में समर्थ हुए। प्रभु ने कम्प वात शायद यह महान कार्य सम्पादित करने हेतु ही उत्पन्न किया था क्योंकि जब वे यह महान कार्य करने में जुट गये सब कुछ सामान्य हो गया। माघवदास का यह अनमोल ग्रन्थ अवधी भाषा या यूँ कहिए हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है। इस पर विद्वानों कोशोधकर्य करना/करवाना चाहिये। माधवदास एक युग समेटे हुये है। इनका मूल्यांकन अपेक्षित है। आशा है विद्वज्जन इस ओर ध्यान अवश्य देंगे। पुनः बधाई सहित – आपका ही कुसुमाकर आचार्य (डॉ० एस.आर. यादव)
परम सम्माननीय श्री माधव जी नेअपने महाकाव्य में बारत, बरनत, अकनत, अगोरत अछत जैसे लोकप्रचलित शब्दों को इस प्रकार स्थान दिया है जैसे अँगूठी में नगीना जड़ दिया हो ၊भावाभिव्यक्ति में पूर्ण सक्षम प्रयोग है जिस पर मनमुग्ध हो जाता है। एकाधउदाहरण देखिये – मृग अकनत दोउ कान उठाई। मुरलीधुन नहिं परत सुनाई। ‘ तथा कनक परख नहिं विनहित तपाये। जिमि सत परिचय सन्त कराये।। इसी प्रकार के अनेकानेक प्रसंगानुकूल प्रयोग पाठकों को बार-बार पढ़ने पर विवश करते हैं। धन्य हैं माधव ,धन्य है माधव कृपा । अन्त में इतना ही कहूँगा – “जहँ तहँ नित बरनत सब लोगू। अवसिदेखिये देखन जोगू।।”
इतने गहन अध्ययन के लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद
साथ मे सादर चरण स्पर्श
धन्यवाद
परम पूजनीय बाबु जी को प्रणाम
Keshav Ram 8511733184@gmailcom
भाई मुझे भी यह बुक चाहिए। पता- ए-101, दिव्या स्तुति, महाराजा टॉवर के पीछे, कन्या पाडा, जनरल ए. के. वैद्य मार्ग, गोकुल धाम, गोरेगांव पूर्व, मुंबई-400063, महाराष्ट्र।
अयोध्या कोतवाली के सामने बुकस्टाल की दुकान पर मिलेगी
shyam charitra manas lucknow me kha milegi
Ahiran ka Purwa post balipur jila Sultanpur bhai mujhe bhi ek book bhej do
अवधी भाषा शैली में अतुलनीय योगदान देने वाले माधवदास यादव की इच्छा यही है कि इस महाकाव्य का महत्व समझते हुए लोग के घर-घर इसका पाठन हो ।
माननीय माधवराम यादव @ माधवदास जी को कोटि-कोटि बधाई
Ye Hindi ke anmol ratan hai inke bare Jo BHI Jan payega wo inka murder u
Bhai book ka price kitna hai ,Hum ayodhya mai pta kiye to shop wala bola ki book hai nahi par magva sakte hai par ak book ka price 500 Rs bol rha hai