रुपेश गुप्ता
आमतौर पर फ्रेंडशिप डे फ्रैंडशिप बैंड बांधकर, पार्टी करके या गिफ्ट देकर मनाया जाता है, लेकिन शिक्षा और पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था शिक्षा- कुटीर सोसाइटी ने बेहद खास तरीके से दोस्ती के इस त्यौहार को मनाया। शिक्षा- कुटीर ने लोगों को पेडों से दोस्ती रखने का संकल्प दिलाया। शिक्षा-कुटीर ने अपनों के जन्मदिन, शादी के सालगिरह या दूसरे मौके पर ग्रीन गिफ्ट देने के अभियान की शुरुआत की है।
संस्था ने शहर के करीब दौ सौ आम से लेकर खास लोगों को पौधे दोस्ती के रुप में गिफ्ट किए। साथ ही ये समझाया कि क्यों न दोस्ती उस पेड़ से की जाए जो हमारी ज़िंदगी के लिए सबसे ज़रुरी है। इसके लिए तेलीबांधा तालाब पर करीब दौ सौ लोगों को पौधे भेंट किए गए। संस्था के लोगों ने दोस्ती की कसम दी कि वे जिन पौधों को ले जा रहे हैं उनकी अच्छे से देखभाल करेंगे। जिस तरह अच्छा दोस्त नेक सलाह देता है उसी तरह लोगों को यह सलाह दी गई कि क्यों पौधों से दोस्ती जरुरी है। इस मौके पर पर्यावरण के लिए 40 साल से काम करने वाले समाजिक कार्यकर्ता ने अपने अनुभव साझा किए और ये बताया कि पौधों को जिंदा रखने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। फ्रेंडशिप डे के दिन शिक्षाकुटीर ने इसके बाद समाज के अलग-अलग तबके के कुछ विशिष्ठ जनों को भी ये पौधे बांटे। इनमें स्वंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद्, अधिकारी, समाजसेवी शामिल थे।
शिक्षाकुटीर सोसाइटी पर्यावरण को लेकर कई कैंपन प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में चला रही है। नष्ट होते पहाड़ को बचाने के लिए संस्था ने ’सेव हिल, सेव लाइफ अभियान शुरू किया है। ‘पुरखा का सूरता’ पुरखों की याद में पेड़ लगाने का अभियान है। इन सभी अभियानों का मकसद पर्यावरण को बेहतर बनाना है। संस्था ने जिन लोगों की पौधों से दोस्ती कराई उनके नंबर भी ले लिए ताकि वक्त वक्त पर उनसे पौधे के बारे में जानकारी ली जा सके।
रुपेश गुप्ता। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के निवासी। इन दिनों रायपुर में प्रवास। जैन टीवी और सहारा टीवी में लंबे वक्त तक पत्रकारिता के बाद इन दिनों प्रिंट में सक्रिय। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र।