सत्येंद्र कुमार यादव
एक SUV गाड़ी, 3 करोड़ रुपए कीमत का बंगला, आर्थिक रूप से मजबूत फिर भी पढ़ी लिखी महिला उर्वशी यादव गुरुग्राम के सेक्टर 14 में क्यों बेच रही हैं छोले कुल्चे? आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि एक करोड़पति महिला को सड़क किनारे छोले कुल्चे बेचने की नौबत आई । पिछले एक महीने से इस खबर को सोशल मीडिया पर देख रहा हूं। समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा इस महिला के साथ, उसके छोले कुल्चे बेचने के पीछे की कहानी क्या है ? बहुत कोशिश के बाद कोई स्पष्ट बात सामने नहीं आ रही थी । लेकिन 5 अगस्त 2016 को Soul-stirrings by Sunali के फेसबुक वॉल पर पड़ी तो वहां मुझे ANI न्यूज का वीडियो मिला। मैंने ध्यान से सुना. फिर जो कहानी सामने आई वो काफी प्रेरणादायक है।
उर्वशी यादव ने बताया कि आखिर ऐसा वो क्यों कर रही हैं- “मेरे पति एक्सीडेंट में घायल हो गए हैं । उनकी हीप सर्जरी होनी है। हीप ज्वाइंट कोलैप्स होने वाला है। डॉक्टर्स का कहना है कि उसे बदलना पड़ेगा, हीप रीप्लेसमेंट के बाद इसमें दो से तीन महीने बेड रेस्ट लेना होगा। ठीक होने के बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि उनकी नौकरी जारी रहे। वैसे तो मेरी फेमिली सपोर्ट कर रही है, आर्थिक रूप से कोई समस्या नहीं है। लेकिन मुझे किसी से लेना नहीं है। इसलिए मैंने अपना काम शुरू किया। मुझे जीरो लेवल पर जाकर नहीं खड़ा होना है। मैं नहीं चाहती कि कल मेरे हसबेंड के पास जॉब नहीं हो तो मेरे बच्चे जिस स्कूल में पढ़ रहे हैं वहां से निकालकर किसी दूसरे स्कूल में डालना पड़े। ऐसी स्थिति आने से पहले मैंने अपना काम शुरू कर दिया।”
सोशल मीडिया से पता चला कि उर्वशी एक अच्छी कुक हैं। अपने हाथ के हुनर का इस्तेमाल कर लोगों को छोले कुल्चे खिला रही हैं। उर्वशी नर्सरी टीचर भी रह चुकी हैं। उर्वशी के इस काम और इस सोच के लिए सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है।
फेसबुक पर सोनाली लिखती हैं- FEELING BLESSED!! I’m absolutely delighted to see Everyone come Together to Encourage Urvashi Yadav !!! Thank you to each one of you out there . ❤️ May the tribe of such Strong Women Increase..!!!
Sandeep Kumar Dhir- ma’am, pls Blr mein also open something like this, Punjabis like me will be your daily 2 Customers at least twice a day for sure… PLSSSSSS …
Gurmukh Singh- Salute to this lady. God bless her with success.
Krishna Sharma- Those who want to work, there is no unemployment. kudos. role model for those who always find excuses. no work is small or big. dignity of labor must b appreciated.
उर्वशी ने छोले-कुल्चे बेचने के पीछे की जो वजह बताई है। इससे मध्यम वर्ग को सीख लेनी चाहिए, जो अक्सर कहते रहते हैं ‘लोगवा का कही’, लोग क्या कहेंगे, मेरे परिवार में कभी ऐसा काम नहीं किया गया है, ये सब काम हमारे लिए नहीं है। नौकरी छूट जाने पर हताश निराश हो जाने वालों को इस स्टोरी को पढ़ना चाहिए और अपने अंदर एक बदलाव लाना चाहिए ताकि जिंदगी को जीने में ज्यादा तकलीफ ना हो।
सत्येंद्र कुमार यादव, एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रिय । मोबाइल नंबर- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।
आशा बहुओं का स्मार्टफोन…पढ़ने के लिए क्लिक करें
Mam gud job keep it up.