कन्हैया लाल सिंह
कई लोगों से आपने सुना होगा, पैसे क्या पेड़ पर उगते है? जी हां, पैसे पेड़ पर ही उगते हैं। इस बात को सच कर दिखाया है जमशेदपुर ब्लॉक स्थित हुरलुंग के बुद्धेश्वर महतो ने। उन्होंने गांव में रहकर एक लंबी और बढ़िया प्लानिंग की। पेड़-पौधों में उन्होंने तरक्की का रास्ता देखा। प्लानिंग के तहत उन्होंने खेतों में सागवान लगाया। कुछ खेतों में आम और अमरूद भी लगाये। डेली इनकम के लिए चेन खेती शुरू की। आज वह आत्म निर्भर हैं और लोगों के लिए उदाहरण बन गये हैं।
बुद्धेश्वर नैतिक पुनरुत्थान संस्था से जुड़े हैं। वह बताते हैं कि संस्था की तरफ से एक बार इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया था। इसमें देशभर से कई किसानों ने भाग लिया था। गया के एक किसान ने अपनी बात साझा करते हुए कहा कि उन्होंने बेटी के जन्म के बाद कुछ खेत में शीशम के पेड़ लगाये थे। बेटी की शादी के समय ये पेड़ लाखों में बिके। बुद्धेश्वर को यहां से सागवान लगाने का आइडिया आया। सेमिनार से लौटकर उन्होंने इसके छोटे पौधों की तलाश की। टिस्को रूरल डवलपमेंट की तरफ से सारंडा के जंगल से पौधे मिल गये। उन्होंने भी अपनी संतान की खातिर ही इसकी खेती की। वह बताते हैं कि किसान होने के कारण बेटे का भविष्य बनाने के लिए तुरंत से अधिक पैसे की व्यवस्था नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने सागवान लगाने की प्लानिंग की। वह बताते हैं कि 20-25 साल में सागवान के पेड़ बिक्री लायक हो जाते हैं। यह समय बेटे का भविष्य बनाने का भी होता है।
यह प्लानिंग टाइम टेकिंग तो है लेकिन किसानों के लिए अच्छी है। इससे एक साथ अधिक पैसे तो आयेंगे ही, पर्यावरण की रक्षा भी हो पायेगी। वह बताते हैं कि यह पेड़ कभी जंगल सा लुक नहीं देता। थोड़ी सफाई के बाद जमीन काफी साफ दिखती है। गरमी में खेत में खाट डालकर आराम भी किया जा सकता है।
उन्होंने आज से कोई 20 साल पहले तीन अलग-अलग खेत मिलाकर करीब 1500 सागवान के पौधे लगाये थे। एक जगह एक बीघा का प्लॉट है और दो अलग-अलग जगह एक-एक एकड़ का प्लॉट है। इसके अलावा कुछ खेतों की मेड़ पर भी पेड़ लगाये गये हैं। इसमें से अधिकतर पेड़ आज बिक्री के लायक हो गये। वह बताते हैं कि वर्तमान में 40-50 फीट लंबे और ढाई से चार फीट गोलाई के एक पेड़ की कीमत करीब 25-30 हजार रुपये है। देखा जाये तो 1500 पेड़ से साढ़े चार करोड़ रुपये का हिसाब बैठता है। बड़ी रकम के लिए यह प्लानिंग सही साबित हो सकती है। सबसे बड़ी बात कि इसकी अधिक हिफाजत करने की जरूरत नहीं होती। शुरू में जब पौधे छोटे होते हैं थोड़ा खाद-पानी डालना पड़ता है लेकिन इसके बाद सालों साल देख-रेख की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती।
उनकी प्लानिंग केवल सागवान तक ही सिमट कर नहीं रह गयी है। कुछ खेतों में उन्होंने आम और अमरूद के पेड़ भी लगा रखे हैं। आज से पांच साल पहले आम-अमरूद का बागीचा तैयार किया गया था। आज सभी पेड़ फल दे रहे हैं। उनके खेत में 500 अमरूद और 200 आम के पेड़ हैं। इस तरह बागीचे से भी हर साल अच्छा पैसा आ जाता है।
सागवान और आम-अमरूद लंबे समय बाद पैसा देते हैं। इसलिए बाकी दिनों में भी वह बैठे नहीं रहते। सरदी में वह चेन खेती करते हैं। वह सरदी में सब्जी की खेती वैज्ञानिक तरीके से करते हैं। उनके मुताबिक किसान के पास नौकरी करने वालों की तरह हर महीने पैसे नहीं आते। हर महीने या हर रोज पैसे आये इसके लिए उन्होंने काफी बढ़िया तरीका निकाला है। यह दूसरों के लिए प्रेरणादायक हो सकता है। सरदी में वह प्राय: धनिया, पालक, मेथी और चलाई (पुनका साग) की ऑर्गेनिक खेती करते हैं। वह समझाते हैं कि धनिया करीब 35, पालक 25, मेथी 25 और चलाई 20 दिनों में तैयार हो जाता है। जो साग जितने दिनों में होता है उतनी क्यारी में बांटकर उसकी खेती की जाती है। उदाहरण के लिए पालक 25 दिन में होता है। इसलिए खेत को 25 छोटी-छोटी क्यारी में बांट दिया जाता है। पहले दिन पहली वाली क्यारी में बीज डाला जाता है। दूसरे दिन दूसरी में। इस क्रम में चलते हुए 25वें दिन 25वीं क्यारी में बीज डाला जाता है। इस बीच पहली क्यारी का साग तैयार हो जाता है। इस तरह हर दिन अलग-अलग क्यारी का साग तैयार होता जाता है और रोज आपके पास पैसे आते जाते हैं। यही प्रक्रिया अन्य साग के साथ भी अपनाई जाती है। वह बताते हैं कि साग की ऑर्गेनिक खेती ही करनी चाहिए। इसमें अगर खाद डाला गया तो पहली बार अच्छी फसल हो जायेगी लेकिन दूसरी बार से फसल कम होने लगती है जबकि ऑर्गेनिक में हर मरतबा अच्छी उपज होती है।
बुद्धेश्वर केवल पैसा अर्जित करने के लिए ही खेती नहीं करते। पेड़-पौधों में रुचि होने के कारण खेत के एक कोने में उन्होंने शौकिया तौर पर मेडिशनल प्लांट भी लगा रखा है। उनके बागीचे में आपको तुलसी, अश्वगंधा, सर्पगंधा, इस्टीविया, पासानभेद, सातावार आदि प्लांट मिल जायेंगे। वह बताते हैं कि अश्वगंधा मोटापा कम करता है। सर्पगंधा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में कारगर है। इस्टीविया डायबिटीज रोग के लिए रामबाण है। पासानभेद पथरी रोग को ठीक करने में सहायक है। सातावार कमजोरी दूर करता है।
(साभार-प्रभात खबर)
कन्हैया लाल सिंह। पूर्णिया जिले के सरसी के निवासी। जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व छात्र। मगध विश्वविद्यालय के स्नातक। कई अखबारों और पत्रिकाओं में अनुभव बटोरने के बाद इन दिनों दैनिक प्रभात खबर में कार्यरत। आपसे 09661721606 पर संपर्क किया जा सकता है।
एमु पालन का लखटकिया कारोबार… कन्हैया लाल सिंह की एक और रिपोर्ट।
शानदार काम … आने वाले दिनों में कुछ ऐसा कार्य करने की योजना है. लेकिन इसके काफी धैर्य रखने की आवश्यकता है. यह काम मुनाफा देने के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कदम बढ़ता है. बदलाव से ऐसी रिपोर्ट की मैं लगातार आशा करता हूं.
Mujhe bhi sagaun ki kheti karni h please mujhe bhi sujhab de mera n. 9950412877
Sheesham or sangawan ki kheti ke bare mein batayen 1 bhigha Jasmin hai mere pass Rajasthan Churu mein
I m ASHOK JAT from tonk Rajasthan mere pas 2 bhiga jmeen hai or mai sheesham or sangwan ki kheti krna chahta hu …plz suggestions me my no 9413572928
I AM GURVINDER SINGH SAINI FROM ANANDPUR SAHIB (PUNJAB). MERE PASS 2 ACER JAMMEN HAI.
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सर नमस्कार
मेने पिछले 15-16 पहले से सागवान के पेड़ लगा रखे है , मै अब ऊन्हे बेचना चाहता हुॅ कोई खरिददार होतो कृपया सम्पर्क करवाना मेरे मोबाईल नम्बर +919929588360 है