हिलता-खिलता-मिलता-जुलता
आया होली का त्यौहार।नाचे तन-मन, नाचे जीवन
नाचे आंगन, नाचे उपवन
रंग-बिरंगी ओढ़ चदरिया
धरती लाई नई बहार।टेसू महके, चहके पंछी
धुन में अपनी हंस व हंसी
चोंच मिलाकर करें ठिठोली
करें सवेरे का सत्कार।अम्बर चला बांध के सेहरा
लिए संग तारों का पहरा
मानो धरा वधू की
डोली लेने आए कहार।शीत बीत दिन हुए सुहाने
कुनमुनी धूप लगी मस्ताने
हंसी-खुशी की, खेल-मेल की
राग-रंग की लगी है धार।ऊंच-नीच क्या, बैर खार क्या
छोट-बड़न क्या, जात-पांत क्या
भेद मिटा गोरे-काले का
दसों दिशा में उमड़ा प्यार।झगड़े-झंझट और झमेले
छोड़, भुला दो बैर कसैले
फागुन की मदमस्त बयारें
आईं हैं करने मनुहार।
निशांत जैन । साल 2015 के नतीजों में यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी मीडियम के छात्रों में पहले पायदान पर रहे। नये नवेले IAS अफ़सरों के साथ देश में बदलाव के गुर सीख रहे हैं। ज़ज्बा देश बदलने का और मन कवि बना हुआ है ।
नए साल पर निशांत जैन की कविता…. पढ़ने के लिए क्लिक करें