सचिन श्रीवास्तव
मध्य प्रदेश विज्ञान सभा के पातालकोट स्थित गैलडुब्बा गांव में दीवार अखबार ‘‘गुइयां’’ के विमोचन का साझीदार बनना अपने तरह का सुख रहा। अखबार बच्चों ने तैयार किया और उन्हीं के हाथों इसका विमोचन किया गया। अखबार में पातालकोट के बच्चों द्वारा बनाए गए चित्र और स्थानीय मुद्दों पर उनके अनुभव एवं विचार शामिल हैं। पातालकोट के विशेष जनजाति भारिया एवं गोंड समुदाय के बच्चे इस अखबार को निकाल रहे हैं। ये यात्रा यूं ही मुमकिन नहीं हुई। पिछले एक साल से मध्यप्रदेश विज्ञान सभा यूनिसेफ के साथ बाल अभिव्यक्ति एवं सहभागिता की दिशा में काम कर रही है।
संस्था के महासचिव एस.आर. आजाद कहते हैं, ‘‘बच्चों को उनके अनुभवों एवं विचारों को जानने एवं उन्हीं के शब्दों में अभिव्यक्त करने के लिए लेखन कार्यशाला की जाती है। उनके साथ समूह में चर्चा की जाती है। फिर वे उसे अभिव्यक्त करते हैं, जिसे ‘‘गुइयां’’ में प्रकाशित किया जाता है। गुइयां बच्चों की अभिव्यक्तिक का एक सशक्त मंच बन गया है।’’
बच्चों ने बताया कि विज्ञान सभा की कार्यशाला के बाद उन्होंने अपने घर जाकर भी कई चित्र बनाए और स्कूल में दोस्तों के साथ कई नए खेल खेले। बच्चों की माने तो कार्यशाला का असर ही था कि उन्हें पढाई में ज्यादा मजा आने लगा है और अपने आसपास के माहौल के बारे में वे ज्यादा से ज्यादा जानने के लिए उत्सुक हुए हैं। वे अपने आसपास की हर चीज को चित्रों के माध्यम से अभिव्यक्त करने लगे हैं। साथ ही उसके बारे में लिखने लगे हैं। कई बार घरेलू काम और स्कूल की पढाई के कारण गुइयां के लिए लिखना मुश्किल हो जाता है। घटलिंगा की गुंजा भारती कलसिया, सुमरबती, सीमा, कुंती और गैलडुब्बा के धनलाल, शिवांद्र, जामबती का अखबार देख मध्य प्रदेश विज्ञान सभा के आरिफ खान और भानु प्रकाश सोनी को जो सुखद एहसास हुआ, उसे शब्दों में बयां करना आसान नहीं।
सचिन श्रीवास्तव। छरहरी काया के सचिन ने यायावरी को अपनी ज़िंदगी का शगल बना लिया है। उसके बारे में आपके सारे के सारे पूर्वानुमान ध्वस्त होते देर नहीं लगती। सचिन को समझना हो तो, उसे उसी पल में देखें, समझें और परखें… जिन पलों में वो आपकी आंखों के सामने हो या आपके आसपास मंडरा रहा हो। बहरहाल, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर समेत कई छोटे-बड़े अखबारों में नौकरी के बाद फिलहाल सचिन स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।