मुजफ्फरपुर/बदलाव प्रतिनिधि।
महाकवि रमण द्वारा स्थापित साहित्यिक संस्था संकेत के तत्वावधान में थियोसाॅफिकल लॉज, नयाटोला में 14 वाॅ महाकवि रमण शिखर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता वयोवृद्ध साहित्यकार, समाजसेवी चितरंजन सिन्हा’कनक’ ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि महाकवि ने 1950 में इस पवित्र संस्था को मूर्त रूप दिया था। आज वे नहीं है, किन्तु उनकी प्रेरणा से ही हम इस आयोजन को करते आ रहे है। अब तक मुजफ्फरपुर तथा मुजफ्फरपुर के बाहर के 36 साहित्यकारों को महाकवि रमण शिखर सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होने कहा कि रमण जी द्वारा संकेत भाग – 1 का प्रकाशन किया गया था । इस अंक का व्यय भार पृथ्वीराज कपूर द्वारा संचालित पृथ्वी थियेटर की ओर से किया गया था।
आज इस अवसर पर डॉ उषा श्रीवास्तव(मुजफ्फरपुर)एवं मणिभूषण प्रसाद सिंह अकेला(घटारो, वैशाली) को महाकवि रमण शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया।मुख्य अतिथि डॉ शारदाचरण ने प्रशस्तिपत्र और अंगवस्त्रम देकर दोनों साहित्यकारों को सम्मानित किया।
बतौर मुख्यअतिथि डॉक्टर शारदाचरण ने महाकवि रमण के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि- महाकवि रमण ने मुजफ्फरपुर शहर को गौरवान्वित किया। उनके साहित्य में ऐसे बिंब है, जिससे इनकी रचनाएं निराला के समक्ष ले जाती है।
साहित्यकार उदय नारायण सिंह, प्रधानमंत्री हिंदी साहित्य सम्मेलन मुजफ्फरपुर ने महाकवि रमण का साहित्यिक मुल्यांकन करते हुए कहा कि- उनका मूल्यांकन करना बडा कठिन है। उनकी ऊंचाई इतनी थी कि जिसे मापना असंभव है। बेलाही के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने कहा – महाकवि रमण स्वाभिमानी साहित्यकार थे। रमण में जो गुण था वही गुण कनक जी में भी है। अमिताभ कुमार सिन्हा ने कहा कि- वे मुजफ्फरपुर के ही नहीं बिहार के साहित्य जगत की पहचान थे। उनके कारण आज राष्ट्रीय स्तर पर मुजफ्फरपुर को साहित्य जगत में सम्मानित स्थान प्राप्त है।कार्यक्रम में डॉ सतीश चन्द्र भगत (दरभंगा), अमिताभ कुमार सिन्हा( दरभंगा), देवेन्द्र शर्मा, रमेश प्रसाद श्रीवास्तव, अंजनी मार देंगेकुमार, डॉ वी के मल्लिक, डॉक्टर हरिकिशोर प्रसाद सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।