नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2022।
आज कवि शीला सिद्धांतकर राग विराग स्मृति सम्मान कवि अनुराधा सिंह को उनकी पुस्तक ‘ईश्वर नहीं नींद चाहिए’ पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर सविता सिंह द्वारा गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में दिया गया जिसमें लगभग सौ बुद्धिजीवी पत्रकार और साहित्यकार और मूर्तिकार उपस्थित थे। इस सम्मान समारोह में अनुराधा सिंह को पंद्रह हजार रुपए सम्मान राशि के तौर पर, एक खूबसूरत मूल्यवान मोमेंटो और प्रमाण पत्र दिए गए। इस समारोह की शुरुआत में शीला सिद्धांतकर राग विराग स्मृति सम्मान के संस्थापक शिवमंगल सिद्धांतकर ने अपने आरंभिक वक्तव्य में कहा कि वर्चस्वशाली सत्ताएं कमजोर सत्ताओं और उसके नागरिकों को आधुनिक से आधुनिक खतरनाक हथियारों से आज रौंद रहीं हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा यूक्रेन को रौंदा जाना इसका ताजा उदाहरण है। भारत में सत्ताधारी औजारों द्वारा जहांगीरपुरी समेत अनेक राज्यों में अल्पसंख्यक और कमजोर तबकों को उजाड़ा जाना भी इसका एक रूप है। उन्होंने यह भी कहा कि तीन खतरनाक कृषि कानूनों को फासीवादी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लौटाए जाना एक नाटक था क्योंकि कानून बनने के पहले ही इसके प्रावधानों का इस्तेमाल अम्बानी अडानी द्वारा किया जा रहा था और वापस किये जाने के बाद भी किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखर कवि लीलाधर मंडलोई ने की जिन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि मुख्य वक्ता संजीव कुमार ने ‘ईश्वर नहीं नींद चाहिए’ अनुराधा सिंह की कविता पुस्तक के रेशे रेशे को ऐसा विश्लेषित किया है जैसा दिल्ली के आलोचक नहीं करते। नारी समस्या पर ही नहीं बल्कि धरती की अन्य समस्याओं को भी अनुराधा की कविता अभिव्यक्ति देती हुई मिलती है जिसपर फिलहाल विस्तार से मैं कुछ नहीं कह पाऊंगा। आलोचना के संपादक डॉ संजीव कुमार ने कहा कि शीला सिद्धांतकर की कविता ‘जिंदगी से कमतर हमें कुछ भी नहीं चाहिए’ की भावना को अनुराधा सिंह ने अपनी कविताओं में इतना विस्तार दिया है कि धरती पर जीवन का कोई संदर्भ जैसे छूट नहीं सकता इस तरह उन्होंने लगभग चालीस पचास मिनट तक अनुराधा सिंह की कविताओं का विश्लेषण किया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर सविता सिंह ने कहा कि अनुराधा का पहला कविता संग्रह एक मुकम्मल रचना है जो स्त्रीविमर्श की व्यापकता को अभिव्यक्त करती है। कहना जरूरी है कि सम्मान समिति के सचिव रविन्द्र के दास ने कार्यक्रम का संचालन किया और अंत में राग विराग की ओर से ज्ञानचंद बागड़ी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए समारोह के समापन की घोषणा की।
-ज्ञानचंद बागड़ी
समारोह संयोजक