पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार
प्रतीक आनंद और कपिल त्यागी… न्यूज़ इंडिया की टीम के दो साथी आज यूँ ही मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं… आसमान में बादलों की तरह निश्चल… मनमौजी क़िस्म के बदरा… आसमान की तरफ जब देखो तब अपनी शक्ल बदल लेते हैं… अपना रंग बदल लेते हैं… सुबह की पहली किरणों वाले बदरा अलग… दोपहर की तपती दुपहरी वाले बदरा अलग और शाम को ढलती साँझ वाले बदरा अलग… आपकी कल्पनाओं में जितने रूप और रंग बसते हों… वो आप इन बादलों में ढूँढ सकते हैं…
न्यूज़ इंडिया की प्रोमो टीम के इन दो साथियों के बूते हमने अपनी कई सारी कल्पनाओं को मूर्त रूप दिया… जो सोचा, उससे कहीं बेहतर… न्यूज़ चैनलों के इस लंबे सफ़र में मेरी ज़िंदगी का पहला प्रोमो न्यूज़ इंडिया में बना… एक दूसरा प्रोमो इस जोड़ी ने मुझे गिफ़्ट कर दिया… ‘हम न्यूज़ इंडिया के लोग’ सीरीज़ के जितने भी प्रोमो बने, उसकी आत्मा को इन दोनों ने बख़ूबी समझा… ये सीरीज़ ज़िंदगी भर की यादों में शुमार हो गई… पुरानी कथाओं में एक आख़िरी लाइन होती है… कहने-सुनने वाले सबको तृप्ति मिलती है… इसी तरह इस सीरीज़ के हर किरदार की आत्मा को प्रतीक-कपिल की जोड़ी ने तृप्ति का एहसास कराया…
कपिल से आप फिर भी कुछ ख़ास असहज मौक़ों पर संयमित दिखते रहने की उम्मीद कर सकते हैं… पर प्रतीक का स्वभाव उन नदियों की तरह है, जो तटबंधों को तोड़ने में कोई गुरेज़ नहीं करतीं… उसके इस आवेग को मैंने कई मौक़ों पर महसूस किया… बड़ी बेबाक़ी से और बिना किसी रोक-टोक के वो अपना मन खोल कर रख देने की हिम्मत रखता है… हिम्मत इसलिए कह रहा हूँ कि वो अपने नफ़ा-नुकसान के बारे में ज़्यादा नहीं सोचता… खरी-खरी बात कहने में यक़ीन रखता है… ये मैं अपने निजी अनुभव से कह रहा हूँ… दो पल को कड़वी दवा की तरह आपने ये घूँट पी लिया तो इसका असर अच्छा ही होगा…
कपिल-प्रतीक की जोड़ी के पास आप जब भी पहुँचे, कुछ रचनात्मक ऊर्जा लेकर लौटते हैं… इन दोनों ने न्यूज़ इंडिया चैनल के प्रोमो में कई सारे और भी प्रयोग किए… सीमित संसाधनों में फ़िक्शन वाले प्रोमो भी बना डाले…. ‘तुमने कुछ कहा क्या, तुमने कुछ सुना क्या’…
वाक़ई शब्दों में कहने-सुनने को बहुत ज़्यादा कुछ भी नहीं है… बस एक एहसास है… कुछ प्यारी यादें हैं… जो कहता रहूँगा, सुनता रहूँगा… आनंद महसूस करता रहूँगा…
पशुपति शर्मा, 4 मार्च 2022