कोरोना का संकट काल और इस बीच अहंकार की लड़ाई। सुनकर आपको अचरज जरूर होगा लेकिन बिहार के पूर्णिया जिले में इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है। बताया जा रहा है कि जिले में पिछले 7 दिनों से खाद बीज की खुदरा दुकानें बंद हैं और इसकी वजह है जिला कृषि पदाधिकारी के साथ कारोबारियों का मनमुटाव।
कोरोना के संकट काल में जहां देश के प्रधानमंत्री, देश की वित्त मंत्री किसानों, मजदूरों, कारोबारियों की रोजी-रोटी की फिक्र में हैं, उनके लिए लाखों-करोड़ों का पैकेज जारी किया जा रहा है, वैसे वक्त में एक छोटे से जिले में अधिकारियों का यह रवैया और कारोबारियों से तनाव निराश करने वाला है।
कहने की जरूरत नहीं है कि यह वक्त नियम-कायदों की पोथी खोलकर कारोबारियों के कामकाज में दखलंदाजी करने का नहीं बल्कि उनके साथ मिलकर कोरोना संकट में एक रास्ता तलाशने का है। इसलिए दोनों तरफ से जो खबरें आ रही हैं, जो दावे किए जा रहे हैं… जो आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है, उसका आम आदमी के लिए बुहत मायने नहीं रह जाता है।
कहा यह जा रहा है कि जिला कृषि पदाधिकारी इस बात से नाराज हैं कि नियमों का पालन नहीं हो रहा है। आपको बताते चलें कि जिला कृषि पदाधिकारी महोदय फरवरी 2020 में पूर्णिया आए हैं । जाहिर है यह वह वक्त है जब देश में कोरोना का संकट दस्तक दे चुका था, इसकी चर्चा होने लगी थी और लोग एक अनजाने भय में थे। इसके बाद होली का त्यौहार और फिर आंशिक कर्फ्यू और अंततः 24 मार्च को पूर्ण लॉकडाउन।
2 महीने का यह वक्त हर किसी के लिए एक परीक्षा का वक्त रहा है। कारोबार ठप है, लोग घरों में कैद हैं और बिलखते दीन-हीन चेहरे सड़कों पर नजर आ रहे हैं। ये वही चेहरे हैं, जो बड़ी उम्मीदों के साथ शहर आए थे लेकिन अब अपने गांव लौट रहे हैं। आप सोचिए जरूर गांव लौट रहे ये लोग किन क्षेत्रों में अपनी रोजी-रोटी तलाशेंगे?
ये कोई राज नहीं रह गया है कि अब रोजी-रोटी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगा कृषि क्षेत्र। ऐसे में अगर कृषि क्षेत्र से जुड़े हमारे अधिकारी और कारोबारी आपस में उलझे रहेंगे तो रोजगार के नए अवसर कैसे पैदा किए जा सकेंगे। यह वक्त परस्पर विश्वास पैदा करने का है, पर अधिकारी कारोबारियों को भ्रष्टाचारी साबित करने में जुटे हैं और कारोबारियों को अधिकारी के इस रवैया में भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। हो सकता है दोनों ही पक्षों में कुछ त्रुटियां हों लेकिन कुछ फैसले वक्त की नजाकत को भांप कर भी लिए जाते हैं।
इसलिए ऐसे वक्त में गुजारिश यही है कि
- पूर्णिया के जिला पदाधिकारी तुरंत मामले में दखल दें और कोई रास्ता निकाला जाए ताकि परस्पर विश्वास मजबूत हो, दुकानें खोली जा सकें। लोगों की रोजी रोटी चलती रहे।
- गुजारिश पूर्णिया के जिला कृषि पदाधिकारी से भी है कि वह अपने मातहत आने वाले इलाके के कारोबारियों की परेशानी समझें और उनके साथ मिलकर आगे की रणनीति बनाएं। जिला कृषि पदाधिकारी से यह भी कहना चाहेंगे कि जहां प्रधानमंत्री ‘वन नेशन वन राशन’ जैसी नई स्कीमें ला रहे हैं वहां बीज विक्रेताओं को इस बात के लिए रोकना-टोकना कि जिले के बाहर के लोगों को बीज ना दें कितना जायज है?
आप इस पर जरूर सोचें कि जब कारोबार करने के लिए कोई दायरा नहीं बांधा गया है। कोई भी शख्स देश में कहीं भी अपनी रोजी-रोटी तलाश सकता है। ऐसे वक्त में दुकान पर आए किसी विक्रेता को बीज न देने की सलाह कहां तक जायज है। यह वक्त केवल कागजी जमा खर्च का नहीं है यह वक्त संवेदनशीलता के साथ एक दूसरे को समझने का भी है। - इसके साथ ही जिला एसपी से भी गुजारिश है कि मशाल जुलूस निकालने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए क्योंकि जिस कोरोना काल और कायदों की दुहाई देकर यह कार्रवाई की गई है, उसी कोरोना काल में एक अधिकारी ने पहले से हताश निराश कारोबारियों को परेशान करने का काम किया है।
- गुजारिश जिले के कारोबारियों से भी है कि वह अधिकारियों के साथ मिलकर घर लौट रहे प्रवासी लोगों की मदद की नई रणनीति बनाएं। छोटे अहंकारों में उलझने की बजाय यह वक्त मानव मात्र के कल्याण के लिए काम करने का है। यह वक्त छोटे-मोटे फायदे देखने का नहीं है।
उम्मीद है कि रेणु की माटी वाला यह जिला अपनी जमीन को ‘परती परीकथा’ में तब्दील नहीं करेगा , अपने कर्मों और ओछी हरकतों से कोई ‘मैला आंचल’ तैयार नहीं करेगा बल्कि एक ऐसी मिसाल पेश करेगा जिसे लोग कोरोना काल में भी याद करेंगे और उसके बाद के वर्षों में भी।
-पूर्णिया से प्रेम करने वाला एक आम नागरिक
जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा दुकानदार को परेशान कर रहे हैं ऐसे वक्त में जब पूरा देश महामारी से निपटने में लगा है लेकिन कृषि पदाधिकारी दुकानदार को निपटने में लगा है
आज जरूरत है अधिकारियों के सहयोग कि