पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार
आज तेरहवीं है
कोई नहीं है
उसके साथ
वो अकेले सोच रहा है
अब क्या?
उसने
नहीं रखा
कोई
‘श्राद्ध भोज’!
बची ही नहीं
कोई श्रद्धा
न ऊपरवाले पर
न साथ वालों पर
और न
अपने से छोटों पर।
सब मगन थे
अपनी-अपनी
नौकरियों में
क्योंकि उनकी
नौकरी
अभी जिंदा थी!
नौकरियां
मरती हैं तो
भला कौन
मनाता है
तेरहवीं!
एक साथी
चुपचाप चला गया
उसकी नौकरी
मर गई
वो अभी जिंदा है!
वो मना रहा है
अपनी
नौकरी की तेरहवीं
उम्मीदें जिंदा रखने
जाना जरूर
साथियों!पशुपति शर्मा (6 नवंबर, 2019)