आशीष सागर दीक्षित
विकास यादव पुत्र मृतक सुरेश यादव गाँव, बघेलाबारी, बुंदेलखंड। पेशे से किसान। विकास यादव की मां भी जीवित नहीं है। इलाहाबाद के यूपी ग्रामीण बैंक, शाखा फतेहगंज में 2 बीघा ज़मीन गिरवी पड़ी है। पिता ने तीस हज़ार रुपया कर्जा लिया था, जो वे नहीं चुका पाए। निराशा और हताशा में 11 जून 2011 को आत्महत्या कर ली। माँ पहले ही कैंसर से चल बसी थी ! विकास अब खेतिहर मजदूर बन गया है, जिस पर तीन लोगों का परिवार आश्रित है।
माह सितम्बर गुजर गया लेकिन बारिश से महरूम ही रहा बाँदा का ये इलाका। युवा किसान अपने सूखे खेत में बाजरे की चौपट फसल के साथ आसमान की तरफ तकता रह गया। एकबारगी भले ये लगे कि यह तस्वीर प्लांट की गई है, मगर इसकी हकीकत को आप साथ में संलग्न पत्र के साथ समझ सकते है ! विकास यादव का नंबर – 09793133680 है।
आशीष की आंखों देखी-4
गत माह मैंने गृह जनपद बाँदा निवासी अपने साथी शैलेन्द्र मोहन श्रीवास्तव से दो हजार रूपये मांगकर इसकी छोटी बहन अन्तिमा का दाखिला पंचमुखी उच्चतर माध्यमिक स्कूल में करवाया था। तब तक सब कुछ ठीक ठाक था। पंद्रह दिन पहले विकास की बहन की तबियत ख़राब हुई और शक है कि भैंस को किसी ग्रामीण ने कुछ खिला दिया, जिससे उसने चारा खाना बंद कर दिया। भैंस आज मरी की कल, ऐसी स्थति में है। इस दरम्यान जिस स्कूल में विकास पढ़ाने जाता था ( खुद इंटर पास,आर्थिक तंगी से बीए में दाखिला नही लिया है ) के प्रधानाध्यापक ने उसे नौकरी ( पगार पन्द्रह सौ रूपये मात्र मासिक ) से निकाल दिया है। अब विकास यादव के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है और खेती सूखे के भरोसे है जिससे कुछ निकलना नहीं है।
दिल्ली जाने को तैयार बैठा ये युवा अपनी बहन को छोड़कर पलायन की कवायद में है। मना करने पर उसका उत्तर है कि मेरा घर ( कच्चा ) गिरवी रखवाकर मुझे 25 हज़ार रुपया दिलवा दें, जिससे मैं गाँव में परचून की दुकान खोल सकूँ! आप सबसे मेरा वचन है कि मैं विकास से आपका कर्जा ब्याज समेत अदा करवा दूंगा समय आप तय करलें और मुमकिन हो तो मुझसे या विकास से संपर्क करें। अब आप अगर उसके घर को अपने पास गिरवी रखने को तैयार हों तो युवा गरीब किसान की मदद करें ताकि ये अपने पलायन का ख्याल छोड़कर बुन्देली अभिशाप से बच जाये। 10 जनवरी 2015 को पंजीकृत डाक से इसकी केस स्टडी देश के प्रधानमंत्री मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजी। 20 जनवरी का कर्जा माफ़ करने के लिए लिखी गई चिट्ठी का अभी तक कोई प्रतिउत्तर नहीं मिला है। अफसोस, मेरे बुंदेलखंड का किसान क्यों है इतना बदहाल ! कब आएंगे इन किसानों के अच्छे दिन?
बाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट। फेसबुक पर ‘एकला चलो रे‘ के नारे के साथ आशीष अपने तरह की यायावरी रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इंडिया टुडे के 7 अक्तूबर 2015 के अंक की कवर स्टोरी-आजादी के नए पहरुए में जिन 12 योद्धाओं का जिक्र किया गया है, उनमें एक आशीष सागर दीक्षित भी हैं। पत्रिका ने अवैध खनन के ख़िलाफ़ आशीष सागर की 2009 से चली आ रही जंग को रेखांकित किया है। ये आशीष की सक्रियता का ही नतीजा है कि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में दखल दिया है। पूरी स्टोरी इंडिया टुडे के ताजा अंक में पढ़ सकते हैं।
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