टीम बदलाव/ ‘गोदी मीडिया’ के दौर में पत्रकारिता पर उंगली उठाने का काम खुद पत्रकार या फिर लेखक ही कर सकता है। ये बात वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने अरविंद दास की किताब ‘बेख़ुदी में खोया शहर’ एक पत्रकार के नोट्स के अनावरण के मौके पर कही। ओम थानवी ने कहा कि ‘अरविंद शोधार्थी हैं पर शोध का बोझ इनके लेखन में नहीं है। यह किताब साहित्य के बेहद करीब है।’ उन्होंने लेखक की संवेदनशीलता, चीजों को देखने की बारीक दृष्टि और भाषा की सहजता की तारीफ की। साथ ही किताब में जो यात्रा वृतांत है उसका भी जिक्र किया।
यात्राओं का उल्लेख करते हुए थानवी ने रघुवीर सहाय की एक पंक्ति ‘बोले तो बहुत पर कहा क्या’ का जिक्र किया और कहा कि अरविंद की यात्रा में ज्ञान नहीं है, अनुभव है और स्पंदन है। फिर भी लेखों में विस्तार की गुजांइश थी, हालांकि ये भी कहा कि अखबार के लिखे गए लेख हैं तो एक सीमा हमेशा रहती है। लिहाजा थानवीजी ने लेखक से अगले संस्करण में अपने नोट्स में और भी कुछ जोड़ने की गुजारिश की।
इस मौके पर प्रोफेसर वीर भारत तलवार ने किताब में लेखक की निम्नवर्गीय चेतना को खास तौर पर रेखांकित किया। उन्होंनेकहा- ‘मीडिया के डॉमिनेंट डिसकोर्स में जिसकी बात नहीं की जाती है, इस किताब में उस पर बात की गई है।’ उन्होंने लेखक की दलितों-पिछड़ों, सब-अलटर्न्स के प्रति संवेदनशील दृष्टिकी तारीफ की। उन्होंने किताब में मिथिला पेंटिंग के ऊपर लेख, बीबीसी के ऊपर लेख और पीर मुहम्मद मुनिस के ऊपर लेखों का जिक्र किया। भारत तलवार ने इन लेखों की तुलना शेखर जोशी की कहानियों से की। उन्होंने कहा कि लेखक की ये किताब पत्रकारिता और साहित्य का अदभुत संगम है। वीर भारत तलवार ने कहा कि जेएनयू के ऊपर जो लेख किताब में है, इतना मुकम्मल लेख उन्होंने कहीं और नहीं पढ़ा।
इस कार्यक्रम का संलाचन करते हुए प्रभात रंजन ने किताब में संकलित लेखों में साहित्यिक हिस्से पर जोर दिया। उन्होंने निबंधों में मौजूद लालित्य को रेखांकित किया साथ ही किताब का एक अंश ‘सावन का संगीत’ पढ़ कर सुनाया। उन्होंने किताब के एक खंड ‘स्मृतियों का कोलाज’ का खास तौर पर जिक्र किया।
किताब के लेखक अरविंद दास ने कार्यक्रम के शुरुआत में किताब के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि किताब में समय-समय पर अखबारों के लिए जो लेख लिखे गए वे शामिल हैं। उन्होंने पेरिस यात्रा और मैथिली भाषा पर किताब में शामिल लेखों का पाठ किया। उन्होंने बताया कि किताब में शामिल 60 लेखों में ज्यादातर लेख जनसत्ता अखबार में प्रकाशित हुए हैं। किताब में पाँच खंड हैं जो लेखक की देश-विदेश की यात्राओं, मीडिया, कला-संस्कृति, रिपोर्ताज और संस्मरण को समेटे हैं।
अनुज्ञा बुक्स से प्रकाशित अरविंद दास की किताब- ‘बेख़ुदी में खोया शहर: एकपत्रकार के नोट्स’ का इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में लोकार्पण हुआ। वरिष्ठ पत्रकार करण थापर इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे और परिसंवाद के दौरान वक्ताओं में वरिष्ठ आलोचक वीर भारत तलवार, जनसत्ता के पूर्व संपादक और राजस्थान पत्रिका के सलाहकार संपादक ओम थानवी शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन लेखक, जानकीपुल के मॉडरेटर प्रभात रंजन ने किया।