बदलाव प्रतिनिधि
बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन की साझा पहल को मधेपुरा के वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोगधर्मी रुपेश कुमार ने आगे बढ़ाया। उन्होंने ‘कल और आज- कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें’ कार्यक्रम में बच्चों और उनके ग्रेंड पेरेंट्स को शरीक किया।
बिहार के मधेपुरा के किड्स वर्ल्ड स्कूल में नन्हे-मुन्ने बच्चों को अपने अपने दादा और दादी की तस्वीर कागज पर लगा कर और उसे सजा कर लाने का प्रोजेक्ट वर्क दिया गया था। बच्चों ने अपने माता पिता की मदद से बहुत ही खूबसूरती से सजाकर प्रोजेक्ट वर्क को पूरा किया। खूबसूरत रिश्तों से सजे उन पोस्टरों को क्लास रूम की दीवार पर सजाया गया। कक्षा के बच्चों को एक साथ उस कमरे में लाकर अपने-अपने दादा और दादी को ढूंढने को कहा गया। बच्चों ने बड़े उत्साह से अपने दादा और दादी की तस्वीर को देखकर पहचाना और काफी खुश हुए।
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर आयोजन
इस दौरान शिक्षकों ने उन्हें बताया कि दादा दादी सहित अपने घर के सभी बुजुर्गों और माता पिता के साथ अपना समय जरूर गुजारें। सुबह उन्हें प्रणाम करें और शाम में उनके साथ जरूर खेलें। कई बच्चे अपने दादा -दादी के साथ भी स्कूल आए थे। इस तरह वह अपने बुजुर्गों से कहीं न कहीं कनेक्ट हो रहे थे। हमें भी अहसास अंदर से काफी भावुक कर रहा था कि बच्चे अपने बुजुर्गों को इतना प्यार तो कर रहे हैं।
दिलचस्प ये था कि कई बच्चे अपने दादा और परदादा की भी तस्वीर लगा कर लाए थे। पितृपक्ष के समय जब अधिकतर घरों में अपने पितरों को याद करते हुए हलवा पूरी का प्रसाद चढ़ाया जा रहा था, उस वक्त किड्स वर्ल्ड स्कूल बदलाव की इस मुहिम के साथ अपने बुजुर्गों को याद करने और बच्चों को उनसे कहीं न कहीं जोड़ने की पहल में लगा था। बदलाव का यह प्रयास काफी सार्थक रहा। सभी शिक्षक भी इस प्रोजेक्ट से काफी खुश थे। उन्होंने भी अपने बुजुर्गों को याद किया और उनके प्रति सम्मान देते हुए अपने जीवन में उन्हें अहम स्थान देने का वादा किया।