दिल्ली से बिहार तक आज बुजुर्गों के मन की बात

दिल्ली से बिहार तक आज बुजुर्गों के मन की बात

महानगरीय जीवन में सिकुड़ते परिवार और रिश्तों में बढ़ती दूरियों के बीच बुजुर्गों के महत्व को रेखांकित करने की कोशिश के तहत बदलाव ने एक पहल की है। बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन ने विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस की पूर्व संध्या यानी रविवार को वरिष्ठ नागरिकों के साथ संवाद स्थापित करने का कार्यक्रम रखा है। गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर 11 के विद्या बाल भवन पब्लिक स्कूल के प्रांगण में शाम चार बजे से ‘कल और आज –  कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें’  आयोजन के जरिए जीवन के इस संवेदनात्मक पहलू को छूने की कोशिश की जायेगी ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर ग़ाज़ियाबाद के एसएसपी वैभव कृष्ण और बतौर विशिष्ट अतिथि दिल्ली के सीएम ऑफिस में डिप्टी सेक्रेटरी प्रशांत कुमार कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। विद्या बाल भवन पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. सतवीर शर्मा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। पहले सत्र में अर्थ सेवियर फाउंडेशन की ओर से बुजुर्गों की स्थिति और परिवार की ओर से मिल रही उपेक्षा को लेकर एक प्रजेंटेशन दिया जाएगा।  कार्यक्रम में कई वरिष्ठ पत्रकार और सीनियर सिटीजन भी मौजूद रहेंगे। तीन सत्रों के कार्यक्रम में डॉक्टर नीलम सक्सेना, दयाशंकर, पीयुष बबेले, प्रतिभा ज्योति, मृदुला शुक्ला, वीरेंद्र गुप्त,  नीरज कुमार,  अभिलाषा पाठक अपनी बात रखेंगे।

बुजुर्गों से संवाद कार्यक्रम का ये कारवां दिल्ली से निकलकर बिहार तक पहुंच चुका है। NAAB और किशनगंज जिला पुलिस की अगुवाई में टीम बदलाव के साथी किशनगंज के सोनभा उच्छ विद्यालय, कोचाधामन में आयोजन कर रहे हैं और यहां भी कार्यक्रम का नाम कल और आज – कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें रखा गया है । ये पूरा कार्यक्रम किशनगंज के एसपी कुमार आशीष और एसडीपीओ अखिलेश जी की निगरानी में कराया जा रहा है । 

 

इसके अलावा 2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर मुजफ्फरपुर में बदलाव पाठशाला के संरक्षक ब्रह्मानंद ठाकुर इसी तरह का एक आयोजन पियर गांव में कर रहे हैं । जिसमें बड़ी संख्या में समाजसेवी, पत्रकार और स्थानीय लोग शिकरत करेंगे । 

इसके अलावा औरंगाबाद जिले के बारपा गांव में भी बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन 2 अक्टूबर को विश्व सीनियर सिटिजन दिवस के मौके पर बुजुर्गों से संवाद स्थापित करने के लिए लिए इसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है । हमारी कोशिश है कि युवा पीढ़ी बुजुर्गों की संवेदना को समझे और ना सिर्फ समाज की बेहतरी के लिए उनका उपयोग करे बल्कि उनका सम्मान भी करे ।