अभिषेक राज
दिल में आता है एक गिलहरी पाल लूं
ऑफिस से आते जाते ही सही
मैं उसका हाल लूं
उसकी रेशम सी पूंछ अपनी उंगलियों में उलझा कर
कुछ पल को ही सही मैं खुद को आराम दूँ
वो अपनी बोली में बात करे
मैं अपनी भाषा में उसे पैगाम दूँ
फिर सोचता हूँ मैं कितना मतलबी हूँ
उसकी तो मैंने सुनी ही नहीं
अरे भाई वो मेरे कंक्रीट वाले जेल में रहना भी चाहती है या नहीं ये मैं ही पूछुंगा न उससे
अंदर बुलाने को मैंने काठ की खिड़की खोल दी
ये क्या..वो तो फ़र्राटे भरती हुई भाग गयी..
लगता है उसे मेरा प्रस्ताव पसन्द नहीं..
ये जानवर भी कितने एहसान फरामोश हैंआज उसे गए हुए एक हफ़्ता हो गया है
मैं वहीं ईंट पर नज़र डालता हूँ
वहाँ कागज़ पर कुछ लिखा है….
“प्रिय खिड़की के उस पार वाले मानव
ये चिट्ठी मैं तुम्हें इसलिए भेज रही हूँ क्योंकि मैं जानती हूँ तुम मेरे वहाँ न आने से उदास हो
सच कहूँ तो मैं भी तुम्हारी एसी पर रखी उस ईंट को बोहोत याद करती हूँ
चार मंज़िल तक पत्थरों की उबड़ खाबड़ उस दीवार को पार कर उस ईंट पर बैठना हो पाता है मेरा”….।।।।
थक हार कर जब मैं खाने की तलाश में वहाँ पहुंचती हूँ और जब सिवाए कबूतरों की जूठन के मुझे कुछ नहीं दिखता..मैं हताश हो वहीं शोर करती हूँ
तुम कहाँ सुन पाते होगे मेरी आवाज़ पर मैंने तुम्हें खामोश बैठे देखा है
दिल करता है काठ की खिड़की के उस पार जा कर तुम्हारी हथेली पर बैठ जाऊं गर्दन दाईं बाईं कर के संकेतों में तुमसे बात करूं
एक दोस्त मुझे भी चाहिए तुम सा
पर डरती हूँ तुम मुझे क़ैदी न बना लो
तुम इंसानों की ये आदत बेहद खराब है
जो अच्छा लगता है उसे बांधे रखते हो
अब तुम ही बताओ..अगर मैं यहाँ रही तो मेरे परिवार का क्या होगा
क्या..इतने अचंभित क्यों हो
मेरा भी परिवार है
उनकी देखभाल का जिम्मा मुझपर
मैं हमेशा तुम्हारे कंक्रीट के जेल में नहीं रह सकती
हम जानवर एहसान फ़रामोश नहीं हैं
बस इतना है कल अगर तुम ये खत पढ़ो तो कुछ बिस्कुट के चूरे और थोड़ा पानी उस ईंट के पास रखना
मैं तुमसे घंटो बतियाऊंगी पर काठ की इस खिड़की के बाहर से
और ये खत मैंने खुद नहीं लिखा
तुम्हारी मन्ज़िल के नीचे एक आलसी चौकीदार रहता है
आलसी यूँ के जब सुबह होती है सोता है
रात को जाग जाग खुद सबको जगाता है
उसकी घड़ी तुमसे उलट है
और वो मेरी भाषा समझता है
बस उसको कुछ जामुन चाहिए थे लिखने का मेहनताना समझ लो
तुम्हारी गिलहरी
अभिषेक राज। पूर्णिया बिहार के निवासी हैं। स्कूली पढ़ाई डीएवी पब्लिक स्कूल, पूर्णिया से हुई। इंटरमीडिट बिहार बोर्ड और बीटेक एमआईटी, पूर्णिया से किया। मोबाइल नम्बर – 7779830675 पर आप इनसे संपर्क कर सकते हैं।
बेहतरीन…बहुत ही खूबसूरती से लिखा गया है..।।
awesome ??