विजय प्रकाश
”किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, अगर अन्नदाता थोड़ी सी मेहनत और तकनीकी खेती पर ध्यान केंद्रित करे तो आसानी से अपनी आय ना सिर्फ दोगुनी कर सकती है बल्कि अपने पूरे परिवार का खर्च आसानी से उठा सकता है और उसको किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी” । ये कहा है राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूषा के वैज्ञानिक डॉ. दयाराम का । किसानों को मशरूम की खेती के लिए जौनपुर जिले के जलालपुर ब्लॉक पर BDO देवेंद्र सिंह की पहल पर आयोजित कार्यशाला में देश के जाने-माने कृषिवैज्ञानिकों ने शिरकत की । दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन (शनिवार को) कृषि वैज्ञानिकों ने पहले किसानों से खेती के प्रति उनके नजरिए को समझा । साथ ही ये जानने की कोशिश की की मशरूम को लेकर किसानों में कितनी उत्सुकता है।
कार्यशाला की शुरुआत किसानों से संवाद के साथ शुरू हुआ । जिसमें मशरूम केंद्र सोलन के प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर योगेश ने किसानों को बताया कि आखिर मशरूम आपके लिए जरूरी और फायदेमंद क्यों है । डॉक्टर योगेश ने मशरूम के फायदे के बारे में किसानों से विस्तार से चर्चा की और बताया कि कैसे मशरूम उत्पादन के जरिए हम ना सिर्फ अपनी आय बढ़ा सकते हैं बल्कि अपना और समाज की सेहत भी सुधार सकते हैं । क्योंकि मशरूम में सबसे ज्यादा बिटामिन्स पाया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, ऐसे में किसान अगर थोड़ा सा भी प्रयास करेंगे तो वो मशरूम का बाजार अपने आस-पास ही तैयार कर लेंगे ।
मशुरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिरकत करने आए मशरूम किसान अभिमन्यु राय ने किसान भाइयों से अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे करीब एक साल पहले उन्होंने टीम बदलाव की पहल पर आयोजित कार्यशाला में शिरकत की और आज वो मशरूम का उत्पादन करने में समर्थ हैं, यही नहीं अभिन्यु राय ने जब बताया कि उन्होंने शुरुआत के लिए अपना माल मंडी ले जाने की बजाया अपने आसपास खपत की और करीब 20 किलो मशरूम उन्होंने पास पड़ोस में ही बेच लिए । मतलब बाजार आपके पास है जरूरत है तो बस आपको पहचानने की ।
वहीं इस कार्यक्रम में सोलन मशरूम केंद्र से आए प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश ने किसानों को वीडियो के जरिए समझाया कि कैसे देश के तमाम किसान आज मशरूम उत्पादन के जरिए आज सफल किसानों की श्रेणी में आ चुके हैं । किसानों ने डॉक्टर सतीश से कई सवाल भी पूछे जिसका संतोषजनक जवाब भी उन्हें मिला । डॉक्टर सतीश ने किसानों को बटन, आयस्टर और दुधिया मशरूम में अंतर और भेद को बताया, जिसके जरिए किसान बारहो महीने मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं ।
पूषा कृषि विश्वविद्यालय से आए डॉक्टर दयाराम का कहना है कि मशरूम उत्पादन के लिए आपको ना तो ज्यादा जमीन की जरूरत है और ना ही ज्यादा पैसे की । आप महज हजार दो हजार में भी इस खेती को कर सकते हैं । मशरूम उत्पादन में ज्यादा जमीन की आश्वयकता न होने की वजह से ये खेती आदिवासी और दलितों के लिए भी वरदान साबित हो सकती है । डॉ. दयाराम ने जौनपुर के किसानों को बताया कि कैसे बिहार में अलग-अलग जिलों में भूमिहीन दलित और आदिसवासी बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन के लिए अच्छी-खासी कमाई कर पा रहे हैं । अगर आपके पास 15 स्क्वॉयर फीट जगह है तो आप बड़ी आसानी से मशरूम की खेती की शुरुआत कर सकते हैं । इसे आप छोपड़ी में भी कर सकते हैं ।
वाराणसी से आये जीडी मिश्रा ने किसानों को बताया कि मशरूम उत्पादन में जौनपुर के किसानों को जो भी मुश्किल आए वो उनसे उसके समाधान के बारे में बेझिझक चर्चा कर सकते हैं, चूकी जीडी मिश्रा वाराणसी में ही रहते हैं इसलिए किसानों के लिए उन तक पहुंच पाना कोई मुश्किल भी नहीं है ।
जलालपुर ब्लॉक के बीडीओ से जब इस आयोजन के बारे में बात हुई तो उन्होंने बताया कि कैसे जब उन्होंने कार्यक्रम के समापन के बाद जिलामुख्यालय में किसानों के लिए किए जा रहे आयोजन के बारे में चर्चा की तो बड़ी तादात में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि ऐसा आयोजन हर ब्लॉक में होना चाहिए ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके ।किसानों के लिए आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि और स्थानीय विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह ने की । कार्यशाला के दूसरे दिन किसानों को प्रैक्टिकली समझाया जाएगा कि मशरूम उत्पादन की विधि क्या है ।
विजय प्रकाश/ मूल रूप से जौनपुर जिले के मुफ्तीगंज के निवासी । बीए, बीएड की पढ़ाई के बाद इन दिनों सामाजिक कार्यों में जुटे हैं