बच्चों को देश का भविष्य निर्माता कहा जाता है । मसलन बिना बच्चों के किसी भी सक्षम राष्ट्र का निर्माण मुमकिन नहीं है । लिहाजा समाज और सरकार की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए हर जरूरी कदम उठाए । हम यहां बात सिर्फ बच्चों के भविष्य की नहीं बल्कि देश की भविष्य की कर रहे हैं जिसके बेहतरी के लिए अब बच्चे ही आगे आ रहे हैं । कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की पहल पर महा बाल पंचायत की शुरूआत की गई है । जिसमें बच्चों ने राजस्थान के अलवर जिले के विराटनगर तहसील के ‘’बाल आश्रम’’ में 8 मई को महा बाल पंचायत के चुनाव में 11 बाल नेताओं को लोकतांत्रिक तरीके से अपना नेता चुना था।
इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए पिछले दिनों नई दिल्ली में आयोजित एक संगोष्ठी में बाल अधिकारों का घोषणापत्र प्रस्तुत करते हुए बाल नेताओं ने इसकी जरूरत और प्रासंगिकता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उन्हें भी निर्णय लेने और नीतियों को बदलने में भागीदार बनाना होगा । क्योंकि किसी भी राष्ट्र का निर्माण बच्चों को अनदेखा करके नहीं किया जा सकता। इस संगोष्ठी के बाद राष्ट्रीय महा बाल पंचायत को मान्यता मिली। संगोष्ठी में निर्वाचित महा बाल पंचायत की सरपंच ललिता कुमारी ने कहा, ‘’बाल पंचायत सरपंच के रूप में मेरी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी बनती है। मैं बच्चों की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करूंगी। सबसे पहले तो मैं बाल मजदूरी को दूर करूंगी। उसके बाद बच्चों को स्कूल भेजने का काम करूंगी।”
नोबल शांति पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने लोगों को महा बाल पंचायत की अवधारणा के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि ‘’बाल मित्र ग्राम” का निर्माण बाल मित्र दुनिया बनाने की ओर बढ़ने के प्रति मेरी सोच का पहला कदम है। ‘’बाल मित्र ग्राम” के निर्माण से बच्चों के माता-पिता, शिक्षक, समुदाय और नेतृत्वकर्ताओं को बच्चों की आवाज सुननी होगी और नीति-निर्माण प्रक्रिया में उनको साझीदार बनाना होगा। बाल पंचायत का गठन जब हो जाएगा तब उसके माध्यम से देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक ओर जहां बच्चों की चिंता और उनकी भागीदारी बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर बच्चों में नेतृत्वकारी मूल्यों का भी निर्माण होगा। कहने को तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन उसे अभी समावेशी और सहभागी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सीखना बाकी है। विभिन्न राजनीतिक दल जातीय, साम्प्रदायिक और लैंगिक पूर्वाग्रहों से ग्रसित हैं। और भारत के करीब 6 लाख गांवों में ‘’बाल मित्र ग्राम” का मेरा प्रयोग इन बुराइयों से परे है। मैं सभी पार्टियों के राजनेताओं से अपील करता हूं कि वे इन बच्चों से लोकतांत्रिक मूल्यों को सीखें।”
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री संतोष गंगवार ने कहा, ” बच्चों के लिए जिस ‘’बाल मित्र भारत’’ की नींव रखी गई है, उसका हम लोगों को कदम से कदम मिलाकर साथ देना होगा। वह दिन अब आने ही वाला है जब बाल श्रम इतिहास की चीज बनकर रह जाएगा। लेकिन बाल श्रम जैसी बुराई को दूर करने के लिए हम सबको कानून और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों के साथ मिल-जुलकर काम करने की जरूरत होगी और भारत को बाल श्रम मुक्त और बाल मित्र अनुकूल देश बनाने की दिशा में काम करना होगा।‘’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘’बाल मित्र ग्राम’’ के दृष्टिकोण को भारत सरकार पूरा समर्थन देती है और मुझे यह बताने में गर्व महसूस हो रहा है कि ‘’बाल मित्र ग्राम’’ का यह मॉडल ना सिर्फ भारत में सबसे अच्छा प्रयोग है बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है।‘’
संगोष्ठी का उद्देश्य महा बाल पंचायत के चुने गए नेताओं का नीति-निर्माताओं और प्रमुख हितधारकों के साथ एक ओर जहां व्यापक मुद्दों पर संवाद को शुरू करने से है, वहीं दूसरी ओर यह बाल श्रम और सभी बच्चों के लिए शिक्षा का उचित प्रबंध कैसे किया जाए, जैसे विषय पर विशेष रूप से केंद्रित रहा। संगोष्ठी में राजस्थान, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के चुने गए बाल नेताओं ने अपने संघर्ष, चुनौतियों और उपलब्ध्यिों को भी सबके साथ साझा किया।
कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश माननीय एमके शर्मा, राज्यसभा सांसद श्री रवि प्रकाश वर्मा, प्रसिद्ध टीवी पत्रकार-संपादक अजीत अंजुम और चर्चित एंकर रिचा अनिरुद्ध की भी गरिमामयी उपस्थिति बनी रही।
रिपोर्ट कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की ओर से भेजी गई प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित है ।