विनीता सिंह
‘सांसद आदर्श गांव पर आपकी रपट’ पर बदलाव की मुहिम जारी है। एक मई को हमने हुकूमदेव नारायण यादव के गोद लिए गांव पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस कड़ी में हमें मिर्जापुर के ददरी गांव से आदर्श गांव की ग्राउंड रिपोर्ट मिली है। ददरी गांव को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने नवंबर 2014 में गोद लिया था। फिलहाल अनुप्रिया पटेल ने गांव को गोद लेने के दूसरे फेज में चुनार का बगही गांव भी गोद लिया हुआ है। फिलहाल हम गोद लिए पहले गांव ददरी पर बात कर रहे है। पढ़िए विनीता सिंह की रिपोर्ट।
मैंने बदलाव पर जब आदर्श गांव पर रपट की अपील पढ़ी तो ग्राउंड रियलिटी जानने के लिए निकल पड़ी अनुप्रिया पटेल के गांव ददरी। मुख्य मार्ग से गांव की ओर मुड़ते ही सामना हुआ टूटी फूटी सड़क से, जो ददरी गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ती है। करीब 2 किलोमीटर लंबी इस सड़क की दशा देखकर आशंका हुई कि इस गांव में विकास का रास्ता कितना उबड़ खाबड़ होगा। खैर सड़क पर हिचकोले खाती हमारी सवारी गांव में थोड़ी और आगे बढ़ी तो एक साफ-सुथरी और रंग रोगन की हुई इमारत दिखी तो उम्मीद जगी कि गांव के भीतर कुछ तो चमक है। पूछने पर पता चला कि ये सामुदायिक हॉल है, जहां गांव में शादी-विवाह के लिए बुकिंग होती है। गांव के लोगों के लिए ये एक बेहतर विकल्प है।
आदर्श गांव पर आपकी रपट-दो
मुहिम के साझीदार- AVNI TILES & SANITARY
85-A, RADHEPURI EXTENTION, NEAR BUS STOP
M-9810871172,858598880
सांसद आदर्श गांव पर अगली रिपोर्ट ब्रह्मानंद ठाकुर की होगी। वो राज्यसभा सांसद अनिल सहनी के गोद लिए गांव पिलखी की तस्वीर हमसे साझा करेंगे।
गांव में प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें पांचवीं तक पढ़ाई होती है। हालांकि ये स्कूल सांसद के गांव गोद लेने के पहले हैं लेकिन ग्राम प्रधान धनन्जय पटेल का कहना है कि सांसद अनुप्रिया की मदद से 2016 में स्कूल की इमारत का कायकल्प किया गया। स्कूल में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है। गांव के बच्चे इसी स्कूल में पढ़ने आते हैं। हालांकि 5वीं कक्षा के बाद पढ़ाई के लिए बच्चों को गांव से बाहर जाना पड़ता है, जो कम से कम दो किलोमीटर दूर है। वहीं 8वीं के बाद लड़के-लड़कियों को पढ़ने के लिए बरौधा या फिर लालगंज जाना पड़ता है जो गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर है।
स्वास्थ्य की बात करें तो सांसद के गोद लेने के बाद जब से ददरी अलग ग्राम सभा बना तब से गांव में कोई स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है। इसके लिए भी लोगों को बगल के गांव का सहारा लेना पड़ता है, जो पहले इसी गांव का हिस्सा हुआ करता था। टीकाकरण तो बगल के गांव में हो जाता है लेकिन महिलाओं की डिलिवरी हो या फिर दूसरी बीमारी का इलाज इसके लिए गांव के लोगों को करीब 8-10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है ।
करीब 617 परिवार वाले ददरी गांव में स्वच्छ भारत के नाम पर पिछले 4 साल में करीब 300 टॉयलट बनाए गए हैं, यानी हर साल अौसतन 75 टॉयलेट का निर्माण। यानी गांव अभी तक पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त नहीं हुआ है। अब भी गांव की करीब 30 फीसदी आबादी खुले में शौच करने के लिए मजबूर है। हालांकि ग्राम प्रधान धनन्जय पटेल का कहना है कि सांसदजी के सहयोग से वो जल्द ही गांव को ODF की श्रेणी में लाएंगे इसके लिए जल्द ही 150 और टॉयलेट का निर्माण कराने की तैयारी है।
पेयजल की बात करें तो गांव में हर घर में पानी की पाइप लाइन पहुंचा दी गई है, लेकिन पानी के स्टोर करने की अभी कोई व्यवस्था नही है । जब पंपिंग हाउस चलता है तो सीधे पानी लोगों के घर में पहुंचता है । ग्राम प्रधान के मुताबिक टंकी के निर्माण की योजना है जिसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा।
ग्राम प्रधान धनन्जय पटेल बताते हैं कि 2016 में जब से वो प्रधान चुने गए हैं सांसद अनुप्रिया पटेल ने गांव के विकास के लिए काफी मदद की है। पहले गांव में कोई सुविधा नहीं थी लेकिन पहले की अपेक्षा अब काफी कुछ बदल गया है। पिछले 2 साल में अनुप्रिया पटेल ने गांव में करीब 7 बार विजिट की है और विकास कार्य को लेकर ग्राम प्रधान से संपर्क में रहती हैं। हालांकि 2014 से 2016 के बीच सांसद के विजिट के बारे में ग्राम प्रधान को कोई जानकारी नहीं थी।
गांव में अभी पक्की नाली की सुविधा नहीं है इसके लिए ग्राम प्रधान ने योजना बनाई जरूर है लेकिन इसे अभी अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। प्रधान को उम्मीद है कि जल्द ही गांव में पक्की नाली के लिए पैसा पास हो जाएगा।
गोद लेने के बाद अभी तक इस गाँव में विकास के नाम पर बिजली पानी की सुविधा शत प्रतिशत दी गई है लेकिन 30 फीसदी घरों में अभी शौचालय नहीं है। 617 परिवारों के लिए कुल 175 आवास बनाए गए हैं। गांव की सुविधा के लिए एक शादी घर, दो आगनवाड़ी केन्द्र एक प्राइमरी पाठशाला है जिसका सौंदर्यीकरण गांव को गोद लेने के बाद किया गया। कुछ सोलर लाइटें भी सड़कों पर लगाई गई हैं। गांव को हरा भरा रखने के लिये पौधारोपण भी किया गया है।
गांव में सिंचाई के लिए कोई सरकारी संसाधन मौजूद नहीं है। लोगों को खुद के संसाधन से सिंचाई करनी पड़ती है। पहले गांव का तालाब ही लोगों की सिंचाई के पानी की जरूरत पूरा करता था लेकिन उचित रख-रखाव न होने से अब वो भी प्यासे हैं। तालाब की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव के लोग या फिर हमारा तंत्र पानी के संरक्षण को लेकर कितना गंभीर है।
किसानों को बीज और खाद खरीदने के लिए गांव में एक सहकारी केंद्र है, जहां से जरूरत के मुताबिक हर किसी को खाद बीज मिल जाता है । बैंकिंग सुविधा के लिए इलाहाबाद बैंक की एक शाखा गांव में खुली हुई है।
10 बिंदुओं के जरिए समझिए ददरी गांव की दशा
1.गांव में साक्षरता – 70-80 फीसदी
2.गांव में कुपोषण – 13 बच्चे
3. 33 फीसदी लोग अब भी खुले में शौच करने को मजबूर ।
4. हर बच्चा स्कूल जाता है और गांव में कोई बाल मजदूरी नहीं कराता।
5. गांव के 60 फीसदी युवा रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर।
6. सिंचाई के लिए कोई ट्यूबवेल नहीं । तालाब भी सूख चुका है ।
7. गांव में युवती का विवाह 18 साल से कम उम्र में नहीं होता।
8. जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव बना हुआ है।
9. अमूमन गांव के तमाम झगड़े थाने पर ही निपटते हैं।
10. पंचायती राज के तहत गांव में नियमित बैठक होती है लेकिन पूरे गांव की भागीदारी की कमी । कोरम पूरा करने के लिए सदस्य भी बमुश्किल ही आते हैं। (उपरोक्त जानकारी ग्राम प्रधान से बातचीत पर आधारित)
विनीता सिंह। यूपी के मिर्जापुर की निवासी। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से बीएड की डिग्री हासिल की। गांव से गहरा नाता है इसलिए गांव में विकास के लिए फिक्रमंद।
आदर्श गांव पर आपकी रपट
बदलाव की इस मुहिम से आप भी जुड़िए। आपके सांसद या विधायक ने कोई गांव गोद लिया है तो उस पर रिपोर्ट लिख भेजें। [email protected] । श्रेष्ठ रिपोर्ट को हम बदलाव पर प्रकाशित करेंगे और सर्वश्रेष्ठ रिपोर्ट को आर्थिक रिवॉर्ड भी दिया जाएगा। हम क्या चाहते हैं- समझना हो तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें