महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जयंती के दिन शुरू हुई बदलाव डॉट कॉम की पाठशाला धीरे-धीरे रंग ला रही है । आज दूसरे दिन भी बच्चों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया । 2 अक्टूबर के दिन बच्चे अपने स्वंयसेवी शिक्षक विन्देश्वर जी के साथ थे । इस दौरान नोटिस किया गया कि स्कूलों में बच्चों को बेसिक बातें नहीं बताई जा रही हैं । तनु की उम्र 9 साल है। वह गांव के बेसिक स्कूल की कक्षा 5 की छात्रा है। उसे अक्षर पहचानने नहीं आता है। अगर हम संख्या के पहचान की बात करें तो वह मात्र दो अंको वाली संख्या को ही पहचान पाती है। जिस कक्षा मे तनु पढती है , उस कक्षा की दक्षता भाषा में धारा प्रवाह कविता , कहानी पढना, जोड , घटाव , गुणा और दो अंको का भाग एवं भिन्न और दशमलव के जोड ,घटाव , गुणा और भाग की जानकारी उसे होनी चाहिए थी। तनु के पिता सीमांत किसान और मां गृहणी है। पिता ननमैट्रिक और मां साक्षर हैं। उसके परिवार में एक भी व्यक्ति मैट्रिक पास नहीं है।
रोहन कुमार 12 वर्ष का है। वह भी गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा 6 में पढता है। वह अक्षर पहचानता है। छोटे-छोटे शब्द पढ लेता है लेकिन धारा प्रवाह पाठ्यपुस्तक को पढने में असमर्थ है। रोहण बमुश्किल दो अंकों का जोड हल कर सकता है। घटाव , गुणा और साधारण भाग में उसकी भी स्थिति तनु जैसी है। वह 5 भाई- बहनों में दूसरा है। पिता थ्रीह्विलर चलाते हैं मां गृहणी है। माता-पिता दोनों साक्षर हैं। चंदा 10 साल की है। चौथी कक्षा में पढती है । उसकी दक्षता भी उम्र और वर्ग सापेक्ष नहीं है। रोहन की बडी बहन शिल्पी कुमारी छठी की छात्रा है मगर मात्र साधारण वाक्य ही पढ सकती है। उत्सव और आयुषी बदलाव पाठशाला में सबसे कम उम्र का छात्र हैं। उत्सव की उम्र 6 साल और आयुषी पौने पांच साल की है। उत्सव को अक्षर , शब्द और अंक की पहचान है। इसके अतिरिक्त नेहा , गौरव ,दिग्विजय भी बदलाव पाठशाला से जुडे हैं। यह शिक्षा का अधिकार कानून के तहत नो डिटेन्सन नीति का ही परणाम है कि बिना वर्ग सापेक्ष दक्षता हासिल किए छात्र अगली कक्षा में प्रोन्नत होते रहे। 5वीं , छठी कक्षा में चले जाने के बाबजूद अधिकांश बच्चों को ठीक से अपना नाम और पता भी लिखना नहीं आया है। सरकार और शिक्षा विभाग क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर हर साल करोडों अरबों रूपये का वारा न्यारा करता रहा है लेकिन परिणाम सामने है।
टीम बदलाव ने इस स्थिति को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए अपने अत्य साधन से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पियर गांव में गांधी जयंती के मौके पर 9 बच्चों के साथ बदलाव पाठशाला की शुरुआत की है। 3 अक्टूबर को ये संख्या दस हो गई । बदलाव पाठशाला के संयोजक ब्रम्हानंद ठाकुर ने आज बच्चों को पढ़ाया। इन्हीं के सहयोगी से मुजफ्फरपुर के पियर गांव में बदलाव पाठशाला चल रही है। धीरे धीरे बच्चों का आना शुरू हो गया है । छात्रों को हिंदी की जानकारी के साथ अंग्रेजी और गणित की भी शिक्षा दी जा रही है। हिंदी लिखने की बारिकियों को समझाया जा रहा है। उद्देश्य है उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना।
सूर्यमणि कुमार, पत्रकार । बिहार के मुजफ्फरपुर के निवासी। एक दशक से लेखन कार्य में सक्रिय । दैनिक आज, प्रभात ख़बर समेत कई अखबारों से जुड़े रहे हैं । सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यों में रुचि ।