कुबेरनाथ
पोल वाला पुल… ये पुल तो महज तीन पोल से बना है… नीचे से गहरी नदी गुजरती है… बीच में एक पाया है…और पाये पर रखा गया है…तीन पोल का पुल। जो पुल का एहसास कराता है….जो छपरा जिले की दो पंचायत को जोड़ता है…जिससे सैकड़ों लोग रोज गुजरते हैं। स्कूली बच्चे, महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर रोज इस पुल से जाते-आते हैं। मैं पिछले 20 साल देख रहा हूं। ये पुल इसी तरह से हैं। लोग बताते हैं कि पहले यहां बांस का पुल था। कई बार दुर्घनाएँ होने के बाद दो पंचायत के लोगों ने चंदा बटोरकर इस पुल का निर्माण किया। इस पुल के निर्माण हो जाने से पैदल यात्रियों को काफी आराम हो गया है लेकिन जिसका दिल कमजोर है, वो इस पुल को अकेले पार नहीं कर सकता। उसे पार कराने के लिए किसी के सहारे की जरूरत पड़ती है।
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ऐसे ही एक मास्टरजी थे, जो पुल पार कराने वालों का घंटों इंतज़ार करते रहते थे और बिना किसी के सहारे पुल पार नहीं करते थे। जब कोई राहगीर आता था या मजबूत दिल वाला कोई बच्चा, तो उसके कंधे का सहारा लेकर धीरे-धीरे पुल पार करते थे। इसी तरह कई लोग हैं, जो अकेले पुल पार नहीं कर सकते, आज भी। कुछ साहसी लोग भी हैं, जो साइकिल या मोटर साइकिल चलाते हुए पुल पार कर जाते हैं। उनको इसका अभ्यास भी हो गया है। कभी-कभी इस पुल पर भीषण दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। कोई साइकिल या मोटर साइकिल सहित नदी में गिर जाता है और उसकी जान पर बन आती है।