हुनरमंद बेटियों के हाथ गांव की ‘सरकार’

डॉ आकांक्षा और प्रियंका यादव
नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान डॉ आकांक्षा और प्रियंका यादव

टीम बदलाव

13 दिसंबर को यूपी के गांवों की ‘सरकार’ बन गई। काफी उठापटक के बाद लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से ग्राम पंचायत चुनाव संपन्न हुआ और 58 हजार 909 ग्राम पंचायतों के ‘प्रधान सेवक’ चुन लिए गए। करीब 200 गांवों में निर्विरोध ग्राम प्रधान चुने गए तो कहीं वैचारिक लड़ाई के बाद। वहीं कहीं शराब के शॉवर और पैसों के न्योछावर के बाद जीत हासिल हुई। इस चुनाव की सबसे अच्छी बात ये है कि महिलाओं ने जीत के झंडे गाड़े हैं। इस बार शिक्षित और हुनरमंद बेटियों के हाथ में ‘तीसरी सरकार’ की कमान है। इटावा के सरसईनावर गांव की 24 साल की प्रियंका यादव, सैफई के पास कमदपुर गांव की ग्राम प्रधान आकांक्षा, बस्ती की 21 साल की रुपम शर्मा और काशी की 24 साल की श्रेया जैसी बेटियों को भी गांव की गवर्मेंट चलाने का मौका मिला है।

गौर करने वाली बात है कि पढ़ी-लिखी महिलाएं, ग्रेजुएट लड़कियां ग्राम पंचायत चुनाव का हिस्सा बनीं और जीत दर्ज कर गांव की कमान अपने हाथ में ले ली। इटावा की प्रियंका बैगलोर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी से फैशन डिजायनिंग कर चुकी हैं। सीएम अखिलेश यादव के गृह जिले इटावा सरसईनावर ग्राम पंचायत से युवा प्रियंका यादव 574 मतों से विजयी हुई। प्रियंका राजनीति में आकर समाज सेवा करना चाहती हैं। प्रधानी चुनाव के साथ प्रियंका पढ़ाई भी कर रही हैं। मतगणना के दिन प्रियंका मास्टर डिग्री के लिए दिल्ली में परीक्षा दे रही थीं।

इटावा के कमदपुर ग्राम सभा से 27 साल की आकांक्षा यादव प्रधान चुनी गई हैं। आकांक्षा मनोविज्ञान से पीएचडी कर चुकी हैं। समाज सेवा में रुचि होने की वजह से आकांक्षा ने ग्राम प्रधान चुनाव में हिस्सेदारी ली और जीत दर्ज की। कांटे की टक्कर में 934 वोट हासिल कर प्रधान पद पर कब्जा किया। आकांक्षा रामगंगा कमांड के परियोजना निदेशक दिनेश यादव की बेटी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्राम पंचायत चुनाव में 19 पीएचडी धारक प्रधान बने हैं, जिनमें 4 महिलाएं हैं।

ये लोगों की सोच बदलने का ही नतीजा है। सोच बदल रही है तो गांव बदल रहा है। इसलिए लोगों ने इतनी कम उम्र की लड़कियों को मिनी संसद चलाने का जिम्मा दिया है। इस चुनाव में 44 फ़ीसदी गांवों में महिलाएं प्रधान बनी हैं, जबकि महिलाओं के लिए आरक्षित कोटा सिर्फ 33 फ़ीसदी है। आरक्षित कोटे से 11 फ़ीसदी ज्यादा महिलाओं ने ग्राम पंचायत चुनाव में धाक जमाई है। मुस्लिम इलाकों में भी महिलाओं ने परचम लहराया है। संभल, रामपुर, मुरादाबाद में 50 फ़ीसदी से ज्यादा प्रधान पदों पर महिलाएं चुनी गईं।

महिलाओं को मौका देने में संभल जिला सबसे आगे रहा जबकि मथुरा पीछे। संभल में 54.5 फ़ीसदी गांव की कमान महिलाओं के हाथ में दी गई। वहीं मथुरा में 36.7 फीसदी गांव में महिलाएं प्रधान बनीं। चुनाव आयोग का कहना है कि इस बार महिलाएं और युवा जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था प्रधान बने हैं। चुनाव के नतीजे में महिला सशक्तिकरण की झलक दिख रही है। इन नतीजों से पता चलता है कि बेटियां भविष्य में देश के विकास में अपनी बड़ी भूमिका निभाएंगी।


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