शाहनवाज़ खान
कश्मीर की वादियों में अब बेटियों का दम नहीं घुटेगा। घाटी की लाडलियों को खुली हवा में सांस लेने की पूरी आज़ादी रहेगी । धरती की जन्नत की सरजमीं पर सबसे ज्यादा चिंता घटते चाइल्ड सेक्स रेसियो की है। लिहाजा मुफ्ती सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य में ‘लाडली बेटी’ योजना की शुरुआत की है। शुरुआत में ये योजना 6 जिलों में लागू की गई है । लाडली बेटी योजना के तहत अप्रैल 2015 के बाद से पैदा होने वाली हर बच्ची को प्रति महीने एक हज़ार रुपये दिया जाएगा। सरकार की ओर से लाडली बेटी को 14 साल तक ये पैसा मिलेगा। जिस दिन बेटी 21 साल की हो जाएगी उस दिन उसके खाते में करीब साढ़े 6 लाख रुपये आ जाएंगे। इस योजना का लाभ उन परिवारों को मिलेगा, जिनकी सालाना आमदनी 75000 हज़ार से कम होगी । यानी अगर आप करीब 6 हज़ार रुपये महीने कमाते हैं और आपके घर लाडली बेटी का जन्म हुआ है तो वो इस योजना के दायरे में आएगी।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने फिलहाल इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है। जिसकी सफलता के आंकलन के बाद इसे जल्द ही दूसरे जिलों में लागू किया जाएगा। राज्य में तमाम ऐसे जिले हैं जहां लड़कियों की जन्म दर लड़कों से काफी कम है । साल 2011 के आंकड़ों पर नज़र डाले तो जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में 15 जिले ऐसे हैं जहां लड़कियों का अनुपात देश के तमाम राज्यों से बेहद कम है। घाटी में कई इलाके ऐसे हैं, जिनमें एक हज़ार लड़कों पर 700 से भी कम लड़कियां हैं और सरकार की चिंता की असल वजह भी यही है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है लद्दाख के नुब्रा में लिंगानुपात 633 तक जा पहुंचा है जबकि गुरेज में एक हज़ार लड़कों पर 653 लड़कियां हैं।
इन इलाकों में अनुपात सबसे कम
इलाके का नाम | लड़कियों का अनुपात | कुल लड़कों की संख्या |
लद्दाख | 633 | 1000 |
गुरेज | 653 | 1000 |
लेह | 660 | 1000 |
करनाह | 744 | 1000 |
करगिल | 749 | 1000 |
नौशेरा | 783 | 1000 |
उरी | 790 | 1000 |
कुपवाड़ा | 816 | 1000 |
ऊधमपुर | 821 | 1000 |
राजौरी | 830 | 1000 |
आंकड़ों से साफ जाहिर है कि लिंगानुपात को समान स्तर पर लाना राज्य सरकार के लिए कितनी बड़ी चुनौती है। हालांकि देशव्यापी आंकड़ों के लिहाज से जम्मू-कश्मीर की हालत पंजाब और हरियाणा से थोड़ी बेहतर जरूर है, फिर भी अच्छी तो कतई नहीं कही जा सकती ।
देशव्यापी आंकड़ों पर एक नज़र
राज्य | लड़कियों का अनुपात | पिछले 10 साल का हाल |
जम्मू-कश्मीर | 862 | गिरावट |
पंजाब | 846 | सुधार |
हरियाणा | 834 | सुधार |
दिल्ली | 871 | सुधार |
राजस्थान | 888 | गिरावट |
गुजरात | 890 | सुधार |
उत्तर प्रदेश | 902 | गिरावट |
बिहार | 935 | गिरावट |
झारखंड | 948 | गिरावट |
छत्तीसगढ़ | 969 | गिरावट |
पश्चिम बंगाल | 956 | सुधार |
उत्तराखंड | 890 | गिरावट |
आंध्र प्रदेश | 941 | गिरावट |
केरल | 964 | सुधार |
मध्य प्रदेश | 918 | गिरावट |
दमन और दीव | 904 | गिरावट |
केरल, तमिलनाडु, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप और मिजोरम ऐसे राज्य हैं जहां लड़कियों की जन्मदर बेहतर हुई है। जबकि यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश समेत तमाम ऐसे राज्य हैं जहां लड़कियों की संख्या थोड़ी ठीक है लेकिन वहां सुधार की बजाय जन्मदर में गिरावट आ रही है । लिहाजा जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से उठाया गया ये कदम न केवल काफिले तारीफ है बल्कि देश के दूसरे राज्यों के लिए एक नज़ीर है ।
शाहनवाज़ खान। डलहौजी के बाशिंदे शाहनवाज पिछले कई सालों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। जम्मू इनका केंद्र रहा है और ये किसी से कहने की जरूरत नहीं कि वो मीडिया में रहते हर दिन किस तरह की चुनौतियों से बावस्ता हैं। बावजूद इसके शाहनवाज़ कभी हार नहीं मानते। हर नई सुबह, नए हौसले के साथ ख़बरों के सफ़र पर निकल पड़ते हैं। आप से 099534 64479 पर संपर्क किया जा सकता है।
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Majid Jahangir- nice khan saab
Zorawar Singh Jamwal -Good one