कामयाबी की खुशी तुमसे कैसे बांटू मेरे दोस्त रवि

पिता जगमोहन यादव, माता सुमनलता के साथ सिद्धार्थ यादव (बाएं)
पिता जगमोहन यादव, माता सुमनलता के साथ सिद्धार्थ यादव (बाएं)

अरुण प्रकाश 

देश के सबसे बड़े सूबे यानी उत्तर प्रदेश में इन दिनों अगर किसी की चर्चा है तो बस सिद्धार्थ की। यूपी पीसीएस परीक्षा-2015 में सिद्धार्थ ने पहला स्थान हासिल कर परिवार का मान तो बढ़ाया है साथ ही जौनपुर जिले का भी नाम रौशन किया है। मछलीशहर, जौनपुर जिले के रहने वाले सिद्धार्थ यादव के पिता जगमोहन यादव यूपी पुलिस के डीजीपी रहे हैं। माता सुमनलता गृहिणी हैं।

शुरुआती शिक्षा लखनऊ में हुई। 2004 में 83.8 फीसदी अंकों के साथ दसवीं की परीक्षा पास की। आर्मी पब्लिक स्कूल से 2007 में 89.8 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं की परीक्षा पास की। 2012 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इलाहाबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली चले आए। दिल्ली के राजेंद्र नगर में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और तीसरे प्रयास में यूपी पीसीएस में टॉप कर गए हालांकि ये उनकी मंजिल नहीं। सिद्धार्थ के पिता जगमोहन यादव सूबे के डीजीपी रह चुके हैं, लिहाजा वो अपने पिता की तरह ही IPS अफसर बनना चाहते हैं। फिर भी बतौर प्रशासनिक अधिकारी वो गांवों और गरीबों के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। सिद्धार्थ ने इन तमाम पहलुओं पर बदलाव के लिए अरुण प्रकाश के साथ बातचीत में बेबाकी से अपनी राय रखी ।

बदलाव- आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे ?

सिद्धार्थ- नि:संदेह माता-पिता को । मां मेरी प्रेरणा हैं तो पिता आदर्श । 

बदलाव- आपके पिता डीजीपी रह चुके हैं, उनका आपके जीवन पर कितना प्रभाव रहा है?

सिद्धार्थ- सच कहूं तो मेरी इस सफलता के पीछे पिताजी का काफी योगदान है, क्योंकि परीक्षा की तैयारियों में मुझे उनसे काफी मदद मिली है। हर सामाजिक और ज्वलंत मुद्दों पर मैं उनसे बेबाकी से बात करता था, पिताजी भी एक दोस्त की तरह हमें समझाते और अपनी राय रखते। उन्होंने कभी अपनी सोच को हमारे ऊपर हावी नहीं होने दिया। वो कहते थे ‘समाज को जितना देखोगे उतना समझोगे, इसलिए हर सामाजिक पहलुओं पर हमें विचार करना चाहिए।’

बदलाव- इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अचानक सिविल सेवा की ओर रुझान कैसे हुआ ?

सिद्धार्थ- मेरा फैमिली बैकग्राउंड प्रशासनिक सेवा से जुड़ा रहा है, बचपन से ही परिवार में पुलिस अफसरों को देखता आ रहा हूं। पिताजी के बारे में आप जानते ही हैं। चाचाजी भी बतौर एसपी बनारस में पोस्टेड हैं। इसके अलावा भी परिवार से जुड़े ज्यादातर लोग सिविल सेवा से जुड़े हैं। ऐसे में सिविल सेवा की ओर रुझान बचपन से ही रहा, लिहाजा इंजीनियरिंग के बाद मैं तैयारी में जुट गया।

बदलाव- सूबे की सबसे बड़ी परीक्षा में टॉप स्थान हासिल किया है, आपको बधाई। ये आपका कौन सा अटेंप्ट था और आगे क्या योजना है ?

पीसीएस टॉपर सिद्धार्थ यादव
पीसीएस टॉपर सिद्धार्थ यादव

सिद्धार्थ- मेरा लक्ष्य हमेशा से UPSCरहा है और उसमें भी पुलिस सेवा लेकिन मेरा रुझान सूबे में ही काम करने का रहा। लिहाजा दिल्ली में तैयारी के दौरान मैं पीसीएस परीक्षा की तैयारी भी करने लगा। पहली बार मैंने 2013 में यूपी पीसीएस की परीक्षा दी, प्री भी पास नहीं कर सका। दूसरी बार 2014 में मेन्स तक पहुंचा। 2015 में मेरा तीसरा अटेम्प्ट था जिसमें सारी कसक दूर हो गई ।

बदलाव- आप यूपी पीसीएस के टॉपर हैं, जिस वक्त आपको ये ख़बर मिली आप कहां थे और आपका रिएक्शन क्या था ?

सिद्धार्थ- टॉपर, ये शब्द सुनने में जितना अच्छा लगता है, उसकी अनुभूति भी उतनी ही अच्छी, जिसे टॉप करने वाला ही समझ सकता है। हालांकि जब ये ख़बर मुझे मिली तो मैं घर से काफी दूर मुंबई में था। जब आपसे बात हो रही है तो भी मैं मुंबई में अपनी दीदी के साथ हूं और अपनी सफलता की खुशी उनके साथ ही साझा कर रहा हूं।

बदलाव- आपको अपनी इस खुशी के दौरान सबसे ज्यादा याद किसकी आई ?  या यूं कहें कि सबसे ज्यादा कमी किसकी महसूस हो रही है ?

सिद्धार्थ- .(…थोड़ी देर की खामोशी के बाद) इस दौरान अगर मुझे किसी की कमी महसूस हुई तो मेरे बचपने के उस दोस्त रवि वर्मा की, जिसके साथ मैंने 5वीं से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई की और कुछ वक्त पहले तक दोनों साथ में सिविल की तैयारी भी कर रहे थे। आज वो हमारे बीच नहीं है। इस दुनिया में नहीं रहा। काश ! आज वो होता तो इस पल की खुशी और होती। मेरी ये सफलता उसी को समर्पित है।

बदलाव- क्या कभी गांव जाना होता, गांवों को लेकर आपकी क्या सोच है ?

सिद्धार्थ- जब भी मौका मिलता है मैं गांव जरूर जाता हूं। मुंबई से जैसे ही लौटूंगा पहले गांव ही जाऊंगा। मैं गांवों में लोगों से मिलता हूं, उनकी समस्याएं देखता हूं तो मुझे हमेशा लगता है कि आखिर दर्जनों योजनाओं के बाद भी गांव में इतनी बेरोजगारी क्यों है ?

बदलाव- क्या अब तक कुछ समझ पाए? अब तो आप अफसर भी बन गए, इन समस्याओं को कैसे दूर करेंगे ?

sidharthसिद्धार्थ- जहां तक मुझे लगता है गांवों की बदहाली के लिए प्रशासन और गांव के लोग दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं। अधिकारी योजनाओं को ठीक तरीके से बताते नहीं और गांव के सीधे-सादे लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ते नहीं। लिहाजा प्रशासन और गांव के बीच खाई बढ़ती जाती है और लोग योजनाओं से दूर होते जाते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि सबसे निचले तबके से विकास होना चाहिए, जब तक गांव और गली में रहने वाले सबसे निचले तबके के लोग जागरुक नहीं होंगे विकास का हर एजेंडा बेमानी और छलावा है।

बदलाव- आप सबसे पहले किसके लिए काम करना चाहेंगे ?

सिद्धार्थ- यूपी में मुझे एसटी वर्ग में आने वाले वनराज जिसे लोग ‘मुसहर’ के नाम से जानते हैं उनके लिए कुछ करना है। क्योंकि मुझे सबसे बुरी हालत में आज वही नज़र आते हैं। 

बदलाव- अपने शौक के बारे में कुछ बताएंगे ?

सिद्धार्थ- वैसे तो स्पोर्ट्स में मेरी खासी रुचि रही है। स्टेट लेवल तक बैडमिंटन और फुटबाल भी खेल चुका हूं। क्रिकेट और हॉकी का भी शौक रहा है। हालांकि पढ़ाई लिखाई के दबाव में वक्त ही नहीं मिल पाता।

बदलाव- आपको आपकी सफलता के लिए एक बार फिर टीम बदलाव की तरफ से ढेरों शुभकामनाएं और उम्मीद है कि आप गांवों के लिए कुछ बेहतर करेंगे ।

सिद्धार्थ- शुक्रिया ।

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अरुण प्रकाश। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।


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