समाजवादी सादगी का सियासी पाठ

29 जून 2015, संघर्ष के प्रयोग पुस्तक का विमोचन।
29 जून 2015, संघर्ष के प्रयोग पुस्तक का विमोचन।

सोमवार को नई दिल्ली में एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो देश की सियासत में गाहेबगाहे ही मिलती है। देश की बागडोर संभालने वाली बीजेपी से लेकर केंद्र की नीतियों पर प्रहार करने वाली कांग्रेस पार्टी, सभी दलों के नेता एक साथ एक मंच पर दिखे। मौका था पत्रकार राधेकृष्ण और दिनेश शाक्य की लिखी किताब संघर्ष के प्रयोगके विमोचन का।

29 जून शाम करीब साढे पांच बजे दिल्ली के इंडियन इस्लामिक कल्चरल सेंटर का ऑडिटोरियम समाजवादी विचारधारा से जुड़े नेता, पत्रकार और तमाम साथियों से खचाखच भरा था। मंच पर आसीन थे मुलायम सिंह यादव और उनके समधी आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और प्रमोद तिवारी। साथ बैठ थे कामरेड अतुल अंजान और लंबे समय से मीडिया की नजरों से दूर रहे ऑस्कर फर्नांडिस। हॉल में यूपी के कैबिनेट मंत्रियों का भी जमघट लगा लेकिन मंच पर सिर्फ आजम ख़ान को ही जगह मिली।

समाजवादी पार्टी नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव के भाषणों पर आधारित संघर्ष के प्रयोग पुस्तक का विमोचन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया। सियासी टीका टिप्पणी का ना मौका था और ना दस्तूर, लिहाजा तमाम दलों के नेताओं ने नपे तुले शब्दों में बात की। फिर भी लालू ने लोगों को मायूस नहीं किया और अपने चुटीले अंदाज में विरोधियों पर कटाक्ष करने का मौका नहीं चूके।

कार्यक्रम के आखिर में प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने संघर्ष के प्रयोग के लिए राधे कृष्ण और दिनेश शाक्य की तारीफ की। पुस्तक राम गोपाल यादव के चुनिंदा भाषणों का संकलन है। इसमें संसद में दिए गए उनके कुछ भाषण भी शामिल किए गए हैं। राधेकृष्ण और दिनेश शाक्य का कहना है कि उन्होंने इस पुस्तक को संकलित करने के लिए एक साल तक कड़ी मेहनत की और कई शहरों की यात्राएं की। संघर्ष के प्रयोगअब पाठकों के हाथ में है। पुस्तक का पाठ सियासी है लेकिन छपाई की सादगी समाजवादी।

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रिपोर्ट अरुण यादव की है, जिनसे आप 9971645155 पर संपर्क कर सकते हैं।