सत्येंद्र कुमार यादव
गांवों में आज भी पुलिस कमोबेश ‘दहशत’ और ‘दमन’ की छवि से उबर नहीं पाई है। ख़ास कर ऐसे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें तो पुलिस और थाने का नाम लेकर दबंग सालों से डराते रहे हैं। ऐसे में टीम बदलाव की कोशिश रही है कि पुलिस के ऐसे अधिकारियों से संवाद स्थापित किया जाए, जो इस छवि को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हो सकता है ये फिलहाल वैचारिक स्तर पर ही हो, लेकिन इसकी शुरुआत होनी चाहिए। ये महज संयोग ही है कि बिहार के सुपौल जिले के डिप्टी एसपी के साथ बातचीत का ये अंश हम उनके जन्मदिन के मौके पर आपके साथ साझा कर रहे हैं। टीम बदलाव की कामना है कि अखिलेश कुमार इस जन्मदिन पर अपना ही संकल्प और मजबूत करें। पुलिसिया भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ प्रण लें और उसे लोगों का ‘मित्र’ बनाने की अपनी छोटी सी कोशिश जारी रखें।
पुलिस की छवि लोगों के बीच बहुत अच्छी नहीं है। पुलिस अधिकारियों को लेकर तमाम तरह की बातें होती है। एक तरह से पुलिसवालों को असंवेदनशील माना जाता है। लोग अक्सर कहा करते हैं कि पुलिस किसी की नहीं होती। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर जनता को वक्त ना देने के भी आरोप लगते रहते हैं। ऐसा होता भी है । उन्हीं में से कुछ अधिकारी हैं, जो ये धारणा बदलने में जुटे हैं। अपनी ड्यूटी करते हुए समाज के लिए वक्त निकालते हैं। उनके बीच जाकर समस्याएं सुनना, समस्याओं का हल निकालना और सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। बिहार के सुपौल जिले में तैनात डिप्टी एसपी डॉक्टर अखिलेश कुमार तमाम अधिकारियों के बीच एक उम्मीद जगाते हैं। उनका इरादा न केवल पुलिस की छवि को बदलने का है, बल्कि पुलिस के लिए ‘शत्रु’ की बजाय ‘मित्र’ का भाव पैदा करने की भी ललक है। डिप्टी एसपी डॉक्टर अखिलेश कुमार कहते हैं,“पुलिस समाज में बदलाव के लिए बहुत कुछ कर सकती है।”
अररिया जिले के मिल्की डुमरिया के निवासी अखिलेश कुमार ने पूर्णिया के नवोदय विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ली। उसके बाद पटना इग्नू से आगे की पढ़ाई की । 2013 में पुलिस सेवा से जुड़े। इससे पहले भी वो समाज में बदलाव को लेकर वैचारिक मंथन किया करते थे। नीतीश कुमार ने जिस नशा मुक्ति अभियान के जरिए कईयों की नाराजगी मोल ले ली है, उसके पक्षधर अखिलेश अपने स्कूली जीवन से ही रहे। युवाओं को, छात्रों को मोटिवेट किया कि वो इसकी गिरफ़्त में न आएं। बतौर डिप्टी एसपी उनकी पहली पोस्टिंग सुपौल में हुई। तमाम व्यवस्तताओं के बीच वो गांवों में जा जा कर लोगों को जागरुक करते हैं। आम लोगों से मिलते हैं। उनकी समस्याओं को सुनते हैं और समाधान निकालने की कोशिश करते हैं। डॉ अखिलेश का मानना है कि
“पुलिस सेवा में रहते हुए समाज से जुड़े बहुत से काम किये जा सकते हैं। पुलिस के पास वक्त की कमी तो होती है। फिर भी समय निकाला जा सकता है। क्योंकि जिस जिले में हम तैनात होते हैं वहीं के लोगों के मामले सुलझाने पड़ते हैं। ऐसे में क्यों नहीं उन्हीं के बीच में कुछ वक्त बिताया जाए और उन्हें जागरूक किया जाए।”
गांव के छात्र सही दिशा निर्देश नहीं मिलने पर भटकते रहते हैं। क्या करें, क्या ना करें के चक्कर में बहुत वक्त बर्बाद हो जाता है। उच्च शिक्षा में विषय को लेकर भी काफी असमंजस की स्थिति में रहते हैं। गांव में बहुत कम लोग होते हैं जो बच्चों को सही दिशा देते हैं। बच्चे जो मन में आए पढ़ते जाते हैं और अपना रास्ता खुद बनाते हैं। लेकिन ये सब करने में वक्त ज्यादा लगता है। कई बच्चे तो भटक जाते हैं और बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। डिप्टी एसपी डॉक्टर अखिलेश कुमार ऐसे ही बच्चों को मोटिवेट करते हैं और उन्हें रास्ता दिखाते हैं। ग्रामीण इलाकों के वे गरीब छात्र जो पैसे के अभाव में शहरों में जाकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाते हैं, डॉ अखिलेश चाहते हैं उन तक मदद पहुंचे। वो ऐसी संस्थाओं से संपर्क स्थापित करते हैं और छात्रों तक मदद पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
सुपौल जिले के ग्रामीण इलाके राघोपुर, बीरपुर, प्रतापगंज, भपटियाही, गणपतगंज, सिमराही, किशनपुर, करजाइन जैसे कई गांव में अखिलेश कुमार ने लोगों से एक संवाद स्थापित किया है। आज भी बहुत से गरीब परिवार हैं जो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। बच्चों को अपने साथ रख कर काम करवाते हैं। स्कूल भेजने की जगह पान, सिगरेट और छोटी-छोटी दुकानों पर बैठा देते हैं। डॉ अखिलेश की कोशिश होती है कि ऐसे अभिभावकों से संवाद हो और उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जाए। आर्थिक तंगी में उन्हें इसके लिए राजी करना इतना आसान भी नहीं होता। अखिलेश का मानना है कि अगर उनकी कोशिशों से एक भी बच्चे की ज़िंदगी में बदलाव आ जाए तो ये जीवन की बड़ी उपलब्धि होगी।
सत्येंद्र कुमार यादव, एक दशक से पत्रकारिता में । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रियता । आपसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है ।
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संपूर्ण बदलाव टीम को बहुत बहुत धन्यवाद । मैं और मजबूती से इस कार्य को आगे बढ़ाउँगा और जब भी जहॉ भी मौका लगेगा पुलिस की छवि को निखारने का पुरजोर कोशिस करूँगा ।
Akhilesh ji aap jaise logon ki vajah se hi samaj me wastavik badalav aata hai…
Great work bhaiya jee we are with you always. …