पढ़ाई के लिए ऐसी लड़ाई! जय बीना, जय हिंद!

रूपेश कुमार

बीना अपनी दुधमुंही बच्ची के साथ। फोटो-रुपेश कुमार
बीना अपनी दुधमुंही बच्ची के साथ। फोटो-रुपेश कुमार

बीना को इसलिए उसके ससुरालवालों ने घर से निकाल दिया कि वह पढ़ना चाहती थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। अपनी दुधमुंही बच्ची को अपने साथ लिए बीना ने पूरी रात स्टेशन पर गुजारी और अगले दिन उसी स्थिति में फिर से केंद्र पर पहुंच कर परीक्षा दी। बीना ने अपनी हिम्मत से समाज के ऐसे ‘टैबू’ को चुनौती दी है, जिसके कारण देश की लाखों ‘बीना’ अपनी ज़िंदगी को करम का लिखा मान कर, चुपचाप दिन गुजार देती हैं।

आलमनगर प्रखंड के सिंहार पंचायत स्थित तिलकपुर गांव के सचिदा साह ने गरीबी के कारण अपनी पंद्रह साल की बेटी बीना की शादी बिहारीगंज प्रखंड के हथियौंदा  पंचायत के परेकिया टोला में दुलारचंद साह के ‘मंदबुद्धि’ बेटे मुकेश साह के साथ की थी। मुकेश पंजाब में रहता है। बीना पढ़ना चाहती थी। उसने अपनी शादी का विरोध भी किया, लेकिन न बेटियों का मन होता है और न उनकी मर्जी चलती है। आज भी ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की एक बड़ी आबादी बचपन से बुढापे तक तक केवल आदेश मानती हैैं। बीना शादी के बाद ससुराल तो आ गयी लेकिन उसे पढ़ाई की मानो लगन लगी हुई थी। पति कमाने परदेस गये तो उसने सबसे छिपा कर आलमनगर के विजया स्मारक प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय में दाखिला ले लिया।

बीना कहती है कि उसने पहले अपने मायके में अशिक्षा के कारण आर्थिक विपन्नता देखी और ससुराल में भी वही स्थिति नज़र आई। उसके शिक्षित होने का इरादा और दृढ़ होता गया उसने तय कर लिया था कि वह अपनी बच्ची का भविष्य संवार कर रहेगी। तभी तो उसने अपनी बेटी का नाम भी रखा – सरस्वती…! वह अपने मायके आ जाती और क्लास करने पांच किलोमीटर दूर अपने स्कूल पैदल ही जाया करती थी। बीना के ससुरालवालों को उसकी पढ़ाई की बात पता चल गयी। उन लोगों ने बीना के मायकेवालों पर दबाव डालकर उसे वापस ससुराल बुला लिया। बीना कहती है कि जब भी पंजाब से उसके पति का फोन आता है, तो सास उसकी बात नहीं होने देती। पति तो शादी के बाद कम ही घर आते हैं।

balamgadhia-4घर का काम तो बीना करती ही थी। अधिक दबाव देने के लिए उसे गाय के घास भूसा करने का काम भी सौंप दिया गया। इस बीच बीना ने मैट्रिक का फार्म भर दिया। 14 मार्च को मैट्रिक की पहली परीक्षा के दिन बीना ने बहाना बनाया और परीक्षा देने जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय स्थित परीक्षा केंद्र हरिहर साह महाविद्यालय पहुंच गयी। उसके परीक्षा देने की बात उसके ससुराल वालों को पता चल गयी। बीना जब वापस अपने ससुराल परेकिया टोला पहुंची तो घर दहक रहा था। भैंसुर युगेश साह और गोतनी सुलेखा देवी ने बीना को उसकी दुधमुंही बच्ची सरस्वती के साथ घर से निकाल दिया।

‘सरस्वती’ के लिए बीना ने सरस्वती के साथ पूरी रात भूखे-प्यासे बिहारीगंज रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर गुजारी। सुबह होने पर किसी तरह उसने खुद को संभाला और बच्ची के साथ परीक्षा देने सेंटर पर पहुंच गयी। परीक्षा केंद्र पर मौजूद स्टाफ ने बीना की स्थिति देख कर उससे कारण पूछा। बीना ने पूरी आपबीती सुनायी। इसकी जानकारी परीक्षा केंद्र पर तैनात कार्यपालक दंडाधिकारी उदाकिशुनगंज अनिल कुमार श्रीवास्तव और पुरैनी की सीडीपीओ पुरैनी जयश्रीदास को दी। वहीं मौजूद बीसीओ उदाकिशुनगंज अमित कुमार, चौसा थाना के पुलिस पदाधिकारी राजगुप्त सिंह आदि ने मिल कर बीना की तत्काल मदद की और उससे निश्चिंत होकर परीक्षा देने को कहा।

अब बीना के पिता सचिदा साह भी बेटी की हिम्मत देख कर अपने अंदर ताकत महसूस कर रहे हैं।  कहते हैं कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो वह अपनी बेटी की फिर से शादी करने के लिए तैयार हैं। बीना ने अपनी बेटी सरस्वती के भविष्य को संवारने की ठान ली है। वह कहती है कि सरस्वती अपने पैरों पर खड़ी होगी। वह अपनी मंजिल खुद बनायेगी। बीना की मुश्किलें खत्म नहीं हुई है। वह फिलवक्त अपने ससुराल में रह रही है, लेकिन डरी सहमी सी।


rupesh profileमधेपुरा के सिंहेश्वर के निवासी रुपेश कुमार की रिपोर्टिंग का गांवों से गहरा ताल्लुक रहा है। माखनलाल चतुर्वेदी से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद शुरुआती दौर में दिल्ली-मेरठ तक की दौड़ को विराम अपने गांव आकर मिला। पहले हिंदुस्तान और अब प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ के तौर पर गांव की ज़िंदगी में जितना ही मुमकिन हो, सकारात्मक हस्तक्षेप कर रहे हैं। उनसे आप 9631818888 पर संपर्क कर सकते हैं।


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