नेताजी, गांवों को जो कहना था कह गए

सत्येंद्र कुमार

सबक
जयापुर में तो जय-जय करवाते पीएम साहब। पंचायत चुनावों में एक सबक।

यूपी पंचायत चुनाव के नतीजे सियासी दलों को आईना दिखाने के लिए काफी हैं । इस चुनाव ने सबसे बड़ा झटका बीजेपी को दिया है, जो 2017 विधानसभा से पहले पंचायत चुनाव में अपना दमखम दिखाने का दंभ भर रही थी, हालांकि सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के लिए भी ये चुनाव एक सबक रहे हैं। सियासी पार्टियां पंचायत चुनाव में सीधे भले ही न उतरी, फिर भी समाजवादी पार्टी के धुरंधर नेता और उनके रिश्तेदार रण में कूदे और उन्हें मुंह की खाना पड़ी। अखिलेश सरकार के कई मंत्रियों के बेटे, बहुएं और रिश्तेदार चुनाव हार गए। इन सबके बीच लोकसभा चुनाव में खाली हाथ रहे हाथी छाप बीएसपी के लिए ये चुनाव संजीवनी बनकर उभरा है। ज्यादातर जिलों में बीएसपी समर्थित जिला पंचायत उम्मीदवारों को जीत मिली। जबकि अंबेडकरनगर समेत कुछ जिलों में सबसे ज्यादा बीएसपी समर्थित उम्मीदवारों की ही जीत हुई।

अखिलेश
अखिलेश सोचिए जरूर।

यूपी पंचायत चुनाव 

मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीजेपी की बुरी हार हुई। काशी नगरी के 48 जिला पंचायत सदस्यों में बीजेपी समर्थित सिर्फ 9 पर ही जगह बना पाए हैं। बीजेपी की सबसे बड़ी हार मोदी के गांव जयापुर में हुई, जहां बीजेपी को हार की जलालत झेलनी पड़ी । जलालत मोदी को ही नहीं मुलायम को भी झेलनी पड़ी है। मुलायम सिंह का परिवार अपनी साख बचाने में कामयाब रहा, लेकिन नेताजी के खासमखास और अखिलेश सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री तोताराम की ज़मानत जब्त हो गई। मैनपुरी बूथकैप्चरिंग के आरोप झेल रहे तोताराम को महज 28 वोट मिले।

अमेठी
अमेठी की ये अंगड़ाई अच्छी नहीं

कांग्रेस की बात करें तो उसकी लुटिया सोनिया और राहुल के गढ़ में ही डूब गई। अमेठी में एसपी ने बाजी मारी और 36 में से 17 सीटों पर कब्जा जमाया जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 8 सीटें ही आईं । जबकि सोनिया गाँधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में 52 सीटों में से 12 पर कांग्रेस और 10 पर एसपी समर्थित उम्मीदवारों की जीत हुई ।

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मोदी सरकार के मंत्री भी अपना-अपना गढ़ नहीं बचा सके । केंद्रीय गृह मंत्री सिंह के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में बीजेपी 26 में से बीस सीट हार गई । केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा के देवरिया में बीजेपी 56 में से 50 सीट हार गयी। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का किला भी ढह गया जहां बीजेपी को 73 में से 58 सीटों पर हार झेलनी पड़ी । रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की ट्रेन भी पटरी से उतर गई और ग़ाज़ीपुर में 67 में से 57 सीट बीजेपी हार गयी। केंद्रीय मन्त्री उमा भारती के संसदीय क्षेत्र झांसी में 24 में महज चार सीट ही बीजेपी जीत सकी। कल्याण सिंह के गढ़ अलीगढ़ में बीजेपी 52 में 44 सीटें हार गई।modi mantri

अखिलेश सरकार के ज्यादातर मंत्री और रिश्तेदार पंचायत चुनाव में अपनी साख नहीं बचा सके। यूपी के समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद की पत्‍‌नी और बेटा चुनाव हार गए। मंत्री मनोज पांडेय के भाई को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। जेल मंत्री रामपाल राजवंशी की दोनों बेटियां चुनाव हार गईं। एस पी यादव की पत्‍‌नी, बेटा और बहू चुनाव हार गए। लोक निर्माण राज्य मंत्री सुरेन्द्र पटेल के भाई चुनाव हारे। राज्य मंत्री हाजी रियाज़ अहमद के दो भाई और दामाद चुनाव हार गए। माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल की बहू कन्नौज से हार गईं।akhilesh

जबकि बीएसी समर्थित उम्मीदवार कई जिलों में अपना डंका बजाने में कामयाब रहे। सहारनपुर में 49 में से 25 सीटे, अंबेडकर नगर 43 में से 25 सीटें बीएसपी ने जीती हैं। जबकि फैजाबाद मे 41 में से 15, हाथरस में 25 में से 13, हापुड़ में 19 में से 7 सीटों पर जीत हासिल हुई है ।

 

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सत्येंद्र कुमार यादव फिलहाल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं । उनसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।


पीएम से बतियाने वाले गांव जयापुर पर एक रिपोर्ट

One thought on “नेताजी, गांवों को जो कहना था कह गए

  1. रिपोर्ट अच्छी है… लेकिन इसमें एक बहुत ही जरूरी लाइन मिस की है… एआईएमआईएम की दस्तक सुनाना तुम भूल गए…

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