विपिन कुमार दास की रिपोर्ट
सावन जिसे सिंगार और भक्ति का अदभुत महीना माना जाता है। मिथिलांचल के सांस्कृतिक जीवन में सावन के साथ जुड़ा है मधुश्रावनी का त्यौहार। मिथिला में नवविवाहिता महिलाएं सावन महीना में विशेष कर शिव-शक्ति की पूजा करती हैं। इसके साथ ही नाग-नागिन की उपासना भी की जाती है।
अपने सुहाग की लम्बी उम्र की कामना का ये त्यौहार तेरह दिनों तक चलता है। हर दिन अलग-अलग कथाएं सुनी जाती हैं। इस त्यौहार की शुरुआत सावन महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी की सांझ को होती है। नवविवाहिता और उनकी सखियां अलग-अलग प्रकार के फूल चुनकर डाल सजाती हैं। मंदिरों में घूम कर सुहाग और गौरी के परम्परागत गीत गाती हैं। चुने हुए फूलों से दूसरे दिन घर में बने कोहबर में नाग-नागिन और शिव-शक्ति की पूजा हती है। ये सिलसिला कुछ परिवारों में 13 दिन तो कुछ में 15 दिनों तक चलता है। ख़ास बात ये कि नवविवाहिता रहती तो मायके में है लेकिन अन्न ससुराल का खाती हैं। 24 घंटे में एक बार ही ससुराल से आया अन्न पकाती हैं, वो भी बिना नमक के।
15 दिनों तक दरभंगा ही नहीं पूरे मिथिलांचल में नवविवाहिताओं के सौंदर्य और आराधना का समागम पसरा रहता है। शायद कहने की जरूरत नहीं कि सावन के महीने में नवविवाहिताएं और उनकी सहेलियां पूजा-पाठ के बीच कितनी हंसी-ठिठोली करती होंगी। ससुराल में बिताए गए चंद दिनों की मधुर यादें मधुश्रावणी कितनी मिठासें घोल जाती हैं, ये तो नवविवाहिता और उनका दिल ही बता सकता है।
विपिन कुमार दास, पिछले एक दशक से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। दरभंगा के वासी बिपिन गांव की हर छोटी-बड़ी ख़बर पर नज़र रखते हैं। आप उनसे 09431415324 पर संपर्क कर सकते हैं।