आओ कि कोई ख्वाब बुनें कल के वास्ते…

चंदन शर्मा

Stop-Corruptionजहां टॉयलेट में जंजीर से मग और बैंक में रस्सी से पेन बांध कर रखने की नौबत हो, उस देश में करप्शन क्या खाक खत्म होगा? यहां ईमानदार वही है, जिसे अब तक बेईमानी का मौका नहीं मिला। इस देश का कुछ नहीं हो सकता है

आपने पहले भी इस तरह के शर्मनाक संदेश पढ़ेसुने होंगे और उन्हें व्हॉट्स एप और ट्विटर पर फॉरवर्ड भी किया होगा। देश इससे तो कतई नहीं बदलने वाला है। यकीन मानिए, भगवान के दसवें या ग्यारहवें अवतार अगर हों, तो भी हमें इस घटाघोप अंधेरे से बाहर नहीं निकाल पाएंगे। बदलाव तो सोच बदलने और जमीन पर पहल करने से ही आएगा। सच है कि आज पतन का आलम यह है कि लोग कफन तक में पैसा बनाने का मौका नहीं चूक रहे। अगर आप कोर्ट या अस्पताल का चक्कर लगा चुके हैं, तो खुद भी महसूस कर चुके होंगे। हर चीज में कमीशनखोरी, हर जगह दलाली। शिक्षा के मंदिर मल्टीब्रांड स्टोर हो गए हैं। पर इसका जिम्मेदार कौन है? हम कोर्ट, पुलिस या पत्रकारों से ईमानदारी की उम्मीद करते हैं, लेकिन ये लोग भी आपकी तरह इंसान ही होते हैं। समाज की बुराइयों का असर उन पर भी होता है।

sanjay sahniआप हर जगह लाइन तोड़कर या रिश्वत देकर अपना काम करा लेंगे और भ्रष्टाचार पर चिंता भी जाहिर करेंगे। क्या ट्रेन में सफर करते हुए रेलवे की समस्या या टीटीई की शिकायतें आपने कभी रजिस्टर में दर्ज की हैं? अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र बनाते हुए क्या कभी आपने सोचा कि चाहे पूरा सप्ताह ही चक्कर क्यों न लगाना पड़े, हम दलाल की सहायता नहीं लेंगे। कभी किसी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ शीर्ष अधिकारी या विजिलेंस को गुमनाम ही सही शिकायती पत्र लिखा ? वैसी कोई भी चीज जिसे देखकर आपको बुरा लगता है या गुस्सा आता है, उसके लिए आप पहल खुद करें। भले यह बहुत छोटी हो। फेसबुक पर लिखने, चाय की दुकान पर बहस करने से यह ज्यादा प्रभावकारी होगा। अगर आपकी सोच भगत सिंह पड़ोसी के यहां ही पैदा हों यानी क्रांति हम क्यों करें?, वाली है, तो भ्रष्टाचार पर दुखी होना भी छोड़ दीजिए।

ekhlaqe-1यकीन मानिए, सही जगह पर भेजा गया एक पत्र या मेल, रजिस्टर में दर्ज शिकायतें जरूर असर करती हैं। अगर आप बदलाव चाहते हैं, तो यह ठान लीजिए कि रिश्वत दिए बगैर काम कराना है। एक बार, ऐसा करके देखिए… कल को पूरा सिस्टम एक्सपोज हो सकता है। बस, शुरुआत भर करनी है। हायर सैकेंडरी पास संजय साहनी मनरेगा की खामियों को उजागर कर सकते हैं। कई सूबों में आरटीआई कई घोटालों के पर्दाफाश का जरिया बनता है। बदलाव ऐसे ही होना है। मुजफ्फरपुर के एम. अखलाक पत्रकारिता करते हुए बिहार के गांवों में विलुप्त होती कलाओं को जीवंत करने की ठानते हैं। नौकरी करते हुए वह आज एक हजार कलाकारों के ग्रुप के साथ दर्जनों कलाओं को सहेज रहे हैं। समाज का ह्रास इससे ही समझिए कि आज किसी भी शहर में हजारों डॉक्टर्स और वकील तो होते हैं, लेकिन इनमें दो या तीन भी ऐसे डॉक्टर या वकील नहीं, जो दबेकुचलों के साथ खड़े हों। हम सब सिल्वर स्क्रीन पर ऐसे कैरेक्टर्स पर खूब तालियां बजाते हैं। जब तक फिल्मों से निकल कर ऐसे कैरेक्टर धरती पर हकीकत में सामने नहीं आएंगे, दुनिया खूबसूरत नहीं हो सकती ।

आप किसी भी प्रोफेशन में हों, जरूरतमंदों के लिए, गरीबों के लिए एक दिन, एक घंटा तो मुकर्रर कीजिए। बदलाव कैसे आता है, इसके लिए इतिहास में जाने की भी जरूरत नहीं है। सिर्फ सही सोच और ईमानदार प्रयास ही काफी है। आज कोई यह कहे कि मैं देशभर में ऐसा स्कूल खोलना चाहता हूं, जो किसी भी इंग्लिश मीडियम स्कूल से बेहतर शिक्षा दे और एक रुपया फीस भी न ले, तो आप क्या कहेंगे? ऐसा ही कुछ कर रहे हैं, वृंदावन के बालेंदु स्वामी। बालेंदु चैरेटी से एक स्कूल चलाते हैं, जहां, उन्हीं बच्चों का नामांकन हो सकता है, जो अनाथ हों या जिनकी फैमिली इनकम चार हजार रुपए से कम हो। बालेंदु पिछले 10 साल से ये स्कूल चला रहे हैं।

अंत में साहिर लुधियानवी की पंक्ति गौरतलब है

आओ कि कोई ख्वाब बुनें कल के वास्ते,

वरना ये रात आज के संगीन दौर को डस लेगी ।

chandan sharma profile


चंदन शर्मा। धनबाद के निवासी चंदन शर्मा ने कई शहरों में घूम-घूमकर जनता का दर्द समझा और उसे अपनी जुबान दी है। दैनिक हिंदुस्तान, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, जागरण समूह और राजस्थान पत्रिका में वरिष्ठ संपादकीय भूमिका में रहते, सबसे निचली सतह पर जीने वाले लोगों की बात की। समाज में बदलाव को लेकर फिक्रमंद एक पत्रकार की छवि ही इनकी कामयाबी की कुंजी और पूंजी दोनों है।