कैंसर पीड़ित मासूमों के चेहरे पर ‘मुस्कान’ ही मकसद

सत्येंद्र कुमार यादव

एम्स जाएं तो कैनकिड्स की मदद जरूर लें। आपकी मदद के लिए।
एम्स जाएं तो कैनकिड्स की मदद जरूर लें। आपकी मदद के लिए।

दिल्ली के एम्स का नाम सुनते हैं लोंगों के मन में कई सवाल उठने लगते हैं। कैसे पहुंचेंगे? इलाज कैसे होगा? पर्ची बनवाना मुश्किल ? पर्ची के लिए लंबी लाइन लगती है? अगर अगर कलेजे के टुकड़े को कैंसर जैसी बीमारी हो तो अभिभावकों की चिंता का अनुमान तक लगा पाना आसान नहीं? पीड़ित बेटा/बेटी का इलाज कैसे होगा? बच्चे कैसे रहेंगे? छोटे बच्चे हैं उनकी पढ़ाई छूट जाएगी, लंबा इलाज चलेगा? वहां बच्चों को कौन देखेगा? कोई मदद करने वाला नहीं? ऐसे कई सवाल लोगों को परेशान करते हैं ।

ख़ासकर इलाज के लिए गांव से दिल्ली आए लोगों के लिए ये समस्या बहुत बड़ी है। एक तो बीमारी ऊपर से बच्चों की देखभाल की चिंता हर पल सताती रहती है। इस भागमभाग भरी जिंदगी में किसी के पास ज्यादा वक्त नहीं है। रिश्तेदार भी दो-चार दिन के लिए ही साथ दे सकते हैं। इसके अलावा एम्स के गेट के अंदर जो दिक्कतें आती हैं वो अलग। कोई पर्ची बनाने के नाम पर ठग लेगा है, तो कभी पर्ची बनवाने के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। जितना आदमी रोग से लड़ता है, उससे कहीं बड़ी लड़ाई है, एम्स में डॉक्टर की पर्ची बनवाना, दिखवाना, टेस्ट की तारीखें लेना, टेस्ट की फीस जमा करवाना है। खैर! दिल्ली के एम्स में दलाल ही नहीं दिलवाले भी रहते हैं। यहां परेशान करने वाले भी मिलते हैं और परेशानी बांटने वाले भी।

एम्स में आपकी मदद के लिए कुछ लोग टेबल लगाए बैठे हैं।
एम्स में आपकी मदद के लिए कुछ लोग टेबल लगाए बैठे हैं।

जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, ये उन्हीं लोगों की है जो मुश्किल समय में कैंसर पीड़ितों और उनके बच्चों के चेहरों पर खुशी लाते हैं। जो चिंता आप घर से लेकर चलते हैं, कैन किड्स के स्वयंसेवकों से मिलने के बाद वो छू मंतर भले न हो, कम जरूर हो जाती है। ये आपका और आपके बच्चों का इतना ख्याल रखते हैं, जिसकी कल्पना आप नहीं कर सकते। खेलने के लिए गुड़िया, गिटार, कार, मोटू-पतलू, छोटा भीम, डिज्नी के कार्टून कैरेक्टर्स के फ्रेम, डोरेमान, ‘बच्चा मत समझना मेरा नाम है शिवा’ के वीडियो समेत बच्चों के पढ़ने के लिए हर सामग्री देते हैं। यानि यूं कहें कि हंसते खेलते कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज हो जाएगा और उन्हें प्ले स्कूल जैसा माहौल मिलेगा। बच्चों की देखभाल के लिए फ्री में सारी सुविधाएं मौजूद हैं। UN के मानकों के हिसाब से दिल लगाकर केयर करते हैं।

कैन किड्स के वॉलंटियर्स ऑनकॉलोजी डिपार्टमेंट के सामने बैठे मिल जाएंगे। अस्पताल में दाखिल होने के बाद किसी से भी पूछेंगे कि कैनकिड्स वाले किधर रहते हैं तो लोग बता देंगे। अगर कोई नहीं बता पाता है तो आप वहां मौजूद गार्ड्स से पूछिए।  इनका स्लोगन है ‘आप अकेले नहीं हैं, कैनकिड्स आपके साथ है।’ जब आप इनके पास जाएंगे सचमुच आप इन्हें अपने साथ पाएंगे। ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ कैंसर पीडि़त बच्चों या जिनको कैंसर है उनके बच्चों का ही देखभाल करते हैं। ये किसी भी व्यक्ति की, जो कैंसर से पीड़ित है, उनकी मदद करते हैं।

  1. कैनकिड्स आपको जानकारी और मार्गदर्शन देता है।

  2. इलाज, आर्थिक सहयोग और सरकारी स्कीम के बारे में बताता है। यही नहीं स्कीम का फायदा कैसे लें, ये भी समझाता है।

  3. कैंसर पीड़ित बच्चों की पढ़ाई का ध्यान रखता है। गरीब परिवारों के बच्चों को छात्रवृति और बच्चों के खेलने कूदने के सामान मुहैया कराता है।

  4. गरीब परिवार के कैंसर पीडितों को रहने-खाने की व्यवस्था करवाता है।

  5. इलाज के दौरान और इलाज के बाद भी मरीजों की काउंसलिंग जारी रखता है।

  6. कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाता है और मेडिकल सलाह देता है।

कैनकिड्स के सदस्य योगेंद्र से फोन पर बात हुई, वे पटना में थे। कैनकिड्स पटना में भी ऐसी व्यवस्था शुरू करने की कोशिश में है। कैनकिड्स एक चैरिटेबल नेशनल सोसायटी है। यूनाइटेड नेशन के मानकों के तहत काम करता हैं। मुफ्त में लोगों की मदद करता है। भगवान ना करें किसी को एम्स में जाना पड़े लेकिन कभी कैंसर पीड़ित बच्चों, महिलाओं या पुरुषों को वहां ले जाना पड़े तो कैनकिड्स की सहायता आप ले सकते हैं। मदद के लिए आप कैनकिड्स को 18001236272, 9953591578 नंबर पर फोन कर सकते हैं। http://www.cankidsindia.org पर भी संपर्क कर सकते हैं।

बदलाव के यू ट्यूब चैनल पर वीडियो देखने के लिए क्लिक करें—https://www.youtube.com/watch?v=qaOL00pV8AM (सब्सक्राइब जरूर करें)


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सत्येंद्र कुमार यादव,  एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिसता के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रियता । आपसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है ।


‘बदलाव बाल क्लब’ की शुरुआत कर दी गई है। अभी हम रजिस्ट्रेशन शुक्ल के तौर पर 100 रुपये सालाना की मामूली रकम ले रहे हैं। मकसद बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना है। पहले समूह में हम 10 बच्चों की टीम बनाएंगे। आप इस संदर्भ में सर्बानी शर्मा-9818570337 से संपर्क कर अपने बच्चे की सीट बुक कर सकते हैं।

3 thoughts on “कैंसर पीड़ित मासूमों के चेहरे पर ‘मुस्कान’ ही मकसद

  1. Cankids पर आपकी रिपोर्ट पढ़ी । cankids के volunteers बधाई के पात्र है ।

  2. Pingback:बदलाव

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