… क्योंकि वह मेरी मां है!

sachidanand joshi maaमाँ
माँ यानि सिर्फ एक शब्द नहीं होता
एक संस्कृति होती है
एक संस्कार होता है
एक परंपरा और एक
पूरी की पूरी पाठशाला भी।

माँ सिर्फ माँ होती है
वह न अच्छी होती है, न बुरी होती है
न गोरी होती है, न काली
न मोटी, न पतली
न ऊँची, न नाटी
वह सिर्फ माँ होती है।

दुनिया की सबसे सुंदर
सबसे ममतामयी सबसे अच्छी
वह माँ होती है।
न छोटी, न बड़ी
न अमीर, न गरीब
न अनजान, न नामचीन
वह तो सिर्फ माँ होती है।

मा से बढ़ कर कोई शब्द
कोई उपाधि, कोई विशेषण
बना ही नहीं इस दुनिया में
माँ से मुकम्मिल, माँ से मंगल
माँ से उज्जवल दूसरा कोई नहीं।

आपकी, आपकी और हाँ
आपकी भी माँ की तरह
मेरी माँ है
सबसे प्यारी, सबसे न्यारी
क्योंकि वह मेरी
माँ है।


सच्चिदानंद जोशी। शिक्षाविद, रंगकर्मी। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय और कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की एक पीढ़ी तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। संवेदनशील मन (अगर ये कोई उपाधि होती हो तो)।


मुनव्वर-मेरी नज़र से देखो मेरी मां… पढ़ने के लिए क्लिक करें

One thought on “… क्योंकि वह मेरी मां है!

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