अरुण प्रकाश
अगर आप पर्यटन के शौकिन हैं और पौराणिक महत्व की नई-नई जगहों पर जाना पसंद करते हैं आपके लिए त्रिलोचन महादेव मुनासिब जगह हो सकती है । शिवनगरी काशी से करीब 40 किमी दूर वाराणसी-लखनऊ मार्ग पर बना बसा है शिव का धाम त्रिलोचन महादेव । वैसे तो त्रिलोचन महादेव शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों से अलग है, फिर भी महिमा किसी भी मायने में कम नहीं । ऐसी मान्यता है कि त्रिलोचन महादेव से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता । शिव के इस धाम में पवित्र मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है ।
शायद यही वजह है कि शिवरात्रि हो या फिर सावन का महीना, हर वक्त यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है । सावन में तो शिवलिंग के दर्शन के लिए लोग रात से ही लाइन में खड़े नजर आते हैं और ब्रह्म मूहुर्त में जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं । इस इलाके में रहने वालों को छोड़कर शायद ही लोग जानते हों कि ये शिवलिंग समय के साथ बड़ा होता जा रहा है । करीब 60 बसंत पार कर चुके जयप्रकाश गुरु बताते हैं कि “जब मैं करीब 10 बरस के थे तो शिवलिंग की ऊंचाई क++़डहरीब 2 फिट थी जबकि आज ये शिवलिंग 3 फिट से भी बड़ा हो चुका है । वक्त के साथ शिवलिंग की चमक भी बढ़ी है । यही नहीं अब तो शिवलिंग पर भोलेबाबा की तीसरी आंख साफ नजर आने लगी है ।‘’
वक्त के साथ शिवलिंग बढ़ा तो महादेव पर लोगों की आस्था और प्रगाढ़ होती गई । जौनपुर जिले में बसे त्रिलोचन महादेव पर लोगों की आस्था को देखते हुए अब इसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है । शिवजी पर जिले के डीएम गोस्वामी की आस्था और पर्यटन को लेकर उनकी विकासवादी सोच ने त्रिलोचन महादेव को पर्यटन के रूप में विकसित किया । मंदिर के आसपास अवैध कब्जे को गिरा कर परिसर का सौंदर्यीकरण कराया गया जिस पर अब भी काम जारी है । परिसर के भीतर पर्यटकों के रुकने के लिए यादव धर्मशाला भी है जहां आपको हर सुविधा मिल जाएगी । त्रिलोचन महादेव आने का रास्ता भी बहुत आसान है ।
अगर आप काशी विश्वनाथ का दर्शन करने गए हैं तो महज एक घंटे देकर आप शिव के इस धाम यानी त्रिलोचन महादेव पहुंच सकते हैं । सड़क मार्ग और रेल मार्ग दोनों रास्ते से यहां आया जा सकता है । अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो वाराणसी से लखनऊ हाइवे के जरिए आ सकते हैं । वाराणसी से करीब 40 किमी दूर लखनऊ की ओर आने पर आपको त्रिलोचन बाजार मिलेगा । मार्केट के बीच में ही दाहिने हाथ पर त्रिलोचन महादेव का बड़ा सा गेट आपको दिख जाएगा । जो आपको सीधे मंदिर तक ले जाएगा । गेट से मंदिर की दूरी महज 500 मीटर है ।
अगर रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो वाराणसी-लखनऊ रेल रूट पर त्रिलोचन रेलवे स्टेशन पर आपको उतरना पड़ेगा । स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब 2 किमी है । इसके अलावा आप जलालगंज रेलवे स्टेशन पर भी उतर सकते हैं यहां से मंदिर की दूरी करीब 5 किमी है । यही नहीं अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको बाबतपुर एयरपोर्ट पर उतरना होगा जो अब लालबहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है । एयरपोर्ट से त्रिलोचन महादेव की दूरी करीब 15-20 किमी होगी ।
अगर आप नेचुरल जगहों पर जाना पसंद करते हैं तो त्रिलोचन महादेव आपके के लिए बेहतरीन जगह होगी, क्योंकि ये जगह शहर से दूर और गांवों के बीच बसा है । यहां आने के बाद आप गांवों की सैर भी कर सकते हैं । गांवो की सादगी और सभ्यता को करीब से महसूस करने के साथ खेत-खलियानों घूम सकते हैं और शुद्ध और शाकाहारी खाने का जायका भी ले सकते हैं ।
अरुण प्रकाश। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।