शासन का ‘सुडोकू’ सुलझाएगी गांव की बेटी

अधिकार मिला, अगली लड़ाई आज़ादी की। आईएएस में 22 रैंक हासिल करने वाली नेहा की मुस्कान कुछ कहती है।
अधिकार मिला, अगली लड़ाई आज़ादी की। आईएएस में 22 रैंक हासिल करने वाली नेहा की मुस्कान कुछ कहती है।

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के इम्तिहान में इस बार महिलाओं ने बाजी मारी है, उन्हीं में एक नाम है नेहा सिंह। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बनकटा अमेठिया गांव के सामान्य परिवार की बेटी नेहा सिंह ने UPSC परीक्षा में 22वीं रैंक हासिल की है। दिल में गांव, गरीबों, कमज़ोरों और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए कुछ करने की तमन्ना थी। इसी हसरत को पूरा करने के लिए IAS का इम्तिहान दिया। अब नतीजों के बाद जिम्मेदारी बढ़ गई है, उनसे तमाम मुद्दों पर बदलाव के लिए बात की सत्येंद्र कुमार यादव ने।

बदलाव- UPSC परीक्षा में सफलता के लिए badalav.com की ओर से बधाई

नेहा सिंह– जी थैंक यू

बदलाव– आपने IAS बनने तक का सफ़र कैसे तय किया?

नेहा सिंह– सफलता के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। शुरू में दो बार असफल होने से निराशा हुई। मैंने अपनी ग़लतियों से सीखा, असफलता में सफलता को खोजना ही मेरी सबसे बड़ी चुनौती थी।

बदलाव– दो बार असफल होने पर परिवार की प्रतिक्रिया क्या रही?

नेहा सिंह– परिवार के लोग बहुत प्रोत्साहित करते थे। सभी कहते थे कि सफलता जरूर मिलेगी। किसी ने ये नहीं कहा कि दो बार असफल हो चुकी हो कुछ और कर लो, परिवार ने हमेशा मोटिवेट किया।

बदलाव- क्या इस बार सफलता मिलने की पूरी उम्मीद थी?

नेहा सिंह– हां, क्योंकि यही सोच कर इम्तिहान देने गई थी कि इस बार अच्छी रैंक के साथ सफलता हासिल करनी है। सफलता मिलने का विश्वास पूरा था।

ias 22th rank neha singh
दीदी का दम। तीसरी बार में मिली कामयाबी से बहनें भी खुश।

बदलावUPSC में सफलता की सूचना किसने दी?

नेहा सिंह– मेरे घर वालों ने बताया। मेरा फोन बंद था, जब फोन ऑन किया तो कई मिस्ड कॉल थे, मैसेज आए हुए थे, छोटी बहन ने फोन करके बताया कि मैं UPSC में सफल हो गई हूं।

बदलाव– आपकी पढ़ाई-लिखाई कहां से हुई?

नेहा सिंह– 12वीं तक की पढ़ाई पटना में हुई। सेंट माइकल स्कूल में 12वीं की पढ़ाई की, बिट्स पिलानी से केमिकल स्ट्रीम में बीटेक किया। फिर मैंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी, मुझे नौकरी का ऑफर भी मिला लेकिन मैंने ज्वाइन नहीं किया और तैयारी में जुटी रही।

बदलाव– चूंकि आप मूलत: देवरिया जिले के बनकटा की रहने वाली हैं और यहां के हालात को अच्छी तरह से जानती हैं। ऐसे में गांव में जो गरीब बच्चे सिविल सेवा की ओर जाना चाहते हैं उनके लिए आप क्या कहेंगी?

नेहा सिंह– गांव के लड़के-लड़कियों से मैं यही कहूंगी कि ज्यादा से ज्यादा न्यूज़ पेपर, करंट अफेयर्स, बेसिक किताबें, NCERT की किताबें पढ़ें। गांव-गांव तक अब इंटरनेट की सुविधा बढ़ रही है तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए। नेट से मुझे भी काफी मदद मिली। कोई ज़रूरी नहीं कि कोचिंग से ही पढ़ाई हो सकती है, छात्र खुद से भी पढ़ सकते हैं। हां, अगर आप कोचिंग नहीं कर रहे हैं तो किसी से गाइडेंस लेनी चाहिए, सफल लोगों से बात करनी चाहिए और किताबों की जानकारी लेकर उसके मुताबिक मैटेरियल जुटा कर तैयारी करनी चाहिए।

बदलाव– गांव में कौन से सुधारों की ज़रूरत है, ताकि गांव से भी शहरों की तरह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी किया जा सके?

नेहा सिंह– गांव से हर इम्तिहान की तैयारी संभव है, बस यहां इंटरनेट हो, बिजली, टीवी और खबरों की पहुंच हों। ये व्यवस्थाएं हो जाएं तो मुझे लगता है कि गांव के लोग और आगे बढ़ सकते हैं। गांव के बच्चों में कड़ी मेहनत करने की क्षमता है, सुविधाएं मिलने पर वो और भी अच्छा कर सकते हैं।

बदलाव– आप अपनी पहली तैनाती कहां चाहती हैं?

नेहा सिंह– मुझे जहां भी रखा जाएगा वहां काम करूंगी. किसी भी राज्य में सेवा देने के लिए तैयार हूं, गांव में काम करने में अच्छा महसूस करूंगी। गांव से मेरा नाता रहा है और मैं हमेशा गांव आती-जाती रहती हूं। शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई और गर्मी की छुट्टियों में गांव जाती हूं। पिता जी इस बात का ध्यान रखते थे कि हम लोग गांव के परिवेश में भी रहना सीखें और हमेशा गांव से जुड़े रहने के लिए कहा करते हैं। जब भी गांव जाती हूं वहां के बच्चों को पढ़ाती हूं। मुझे नहीं लगता कि गांव में काम करने से मुझे कोई परेशानी होगी, गांव में रहना मुझे अच्छा लगता है।

ias 22th rank neha with mp ravindra kushwaha
सम्मान समारोह में सांसद रवींद्र कुशवाहा के साथ नेहा सिंह।

बदलाव– ग्राम पंचायतों के बारे में आप क्या सोचती हैं? कैसी हो हमारी पंचायती व्यवस्था?

नेहा सिंह– महिलाओं को रिजर्वेशन मिलने के बाद भी उनको काम करने की आज़ादी नहीं है। ग्राम पंचायतों में प्रधान पतियों का दबदबा रहता है जो ठीक नहीं है। महिला सशक्तिकरण के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। महिलाओं को अभी आगे आने में बहुत वक़्त लगेगा। लड़कियों को शिक्षित करना बहुत जरूरी है ताकि वो घर के पुरुषों पर ज्यादा निर्भर ना रहें। महिलाएं खुद फ़ैसला करें कि उन्हें क्या करना है। महिला प्रधान तय करे कि गांव का विकास कैसे हो ना कि प्रधान पति।

बदलावडिजिटल इंडिया के बारे में आपकी क्या राय है?

नेहा सिंहडिजिटल इंडिया एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है। इस पर सही से काम किया जाए तो देश बहुत आगे बढ़ सकता है। ये डिजिटल युग है और अब हर काम ऑनलाइन हो रहा है। इस मिशन के सामने बहुत चुनौतियां हैं, गांवगांव तक इंटरनेट पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि डिजिटल गैप और बढ़ता जा रहा है। शहर के लोगों को ऑनलाइन हर सुविधाएं मिल जाती हैं चाहें वो रेल टिकट हो या शॉपिंग करना हो सबकुछ इंटरनेट से हो जाता है, लेकिन गांव में ये सुविधा नहीं है। गांव को डिजिटल बनाना ही चुनौती है। गांव में करीब सत्तर फीसदी जनसंख्या रहती है, अगर गांव तक डिजिटल इंडिया का विस्तार नहीं होगा तो ये मिशन फेल हो जाएगा।

बदलाव– नेहा जी आपकी हॉबी क्या है?

नेहा सिंह– मुझे गाना सुनना अच्छा लगता है, बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है, सुडोकू खेलने का शौक है। मैं रोजाना अखबारों में सुडोकू सॉल्व करती हूं। फोटोग्राफी का भी बहुत शौक है। सोशल मुद्दों पर लेख लिखना अच्छा लगता है।

बदलाववक़्त देने के लिए आपका धन्यवाद। badalav.com की टीम की ओर से आपको बहुतबहुत शुभकामनाएं।

नेहा सिंहथैंक यू


आईएएस इम्तिहान में मेरठ के निशांत जैन ने हिंदी माध्यम से टॉप किया है। उनका इंटरव्यू।

3 thoughts on “शासन का ‘सुडोकू’ सुलझाएगी गांव की बेटी

Comments are closed.