बचपन की यादों मेंलौटनाकेवल वही चाहतेखोनाबचपन के दिन ममता में जिनके बीतेसमता में बीते जिनके बचपन के दिनजेम्स चूसते बीता जिनका बचपनसोफे पर लेटेपढ़ते कॉमिक्स बीता जिनका बचपनराजा-रानी के किस्से सुनते नानी सेबीता जिनका बचपनपरियों के मोहक सपने देखा जिसनेबचपन मेंचन्द्रखिलौना जैसे हठ मेंबीता जिनका बचपनगुड्डे-गुड़ियों का ब्याह रचाने मेंबीते जिनके बचपन के दिन !केवल वही चाहते लौटनाबारम्बार बचपन की यादों मेंकेवल वही चाहते खोना ।पर उनसे पूछोचाह रहे क्या खोनाबचपन की यादों में !बीता बचपन जिनका टुकरते रोटीसावन में भी प्यासे बीता जिनका बचपनजेठ दुपहरी खेत तामते बीताजिनका बचपनगिनता रहा गिनती की जगहढाबों के प्याले बचपन मेंघूरा तापते रातें काटी जिसने बचपन मेंखेले नहीं खिलौनों सेपर जिनका बचपन रहा खिलौनापूछो…? पूछो…? पूछो…?चाह रहे क्या लौटनाबचपन की यादों मेंचाह रहे क्या खोना !
वीरेन नन्दा/ बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री स्मृति समिति के संयोजक। खड़ी बोली काव्य -भाषा के आंदोलनकर्ता बाबू अयोध्या प्रसाद खत्री पर बनी फिल्म ‘ खड़ी बोली का चाणक्य ‘ फिल्म के पटकथा लेखक एवं निर्देशक। ‘कब करोगी प्रारम्भ ‘ काव्यसंग्रह प्रकाशित। सम्प्रति स्वतंत्र लेखन। मुजफ्फरपुर ( बिहार ) के निवासी। आपसे मोबाइल नम्बर 7764968701 पर सम्पर्क किया जा सकता ।