योगीजी, बेटी बचाएंगे या विधायक?

योगीजी, बेटी बचाएंगे या विधायक?

फोटो साभार-

उन्नाव गैंगरेप और न्यायिक हिरासत में मौत को समझने के लिए आपको क्रमवार घटनाओं पर नजर डालनी होगी । 3 अप्रैल 2018 को मारपीट और न्यायिक हिरासत में मौत से पहले इस मामले की शुरुआत 4 जून 2017 को हुई थी । गैंगरेप पीड़ित का आरोप है कि- 

“ये घटना 4 जून 2017 की है । इन्होंने (बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर) मेरे साथ बलात्कार किया था। ग्राम प्रधान हमको इनके घर लेकर गईं थीं । जब हमारे साथ जबरदस्ती करने लगे तो हमने इसका विरोध किया। हमको धमकी देने लगे कि तुम्हारे परिवार वालों को मरवाकर फेंकवा दूंगा। पूरा प्रशासन इनके हाथ में है, सब इनके हाथ में है, यही सब कराते हैं। हमारी रिपोर्ट नहीं लिखी गई है, एक साल हो रहे हैं हम मारे मारे फिर रहे हैं ।”
पीड़ित का ये बयान उस वक्त का है जब पीड़ित लड़की गैंगरेप और पिता से मारपीट मामले में इंसाफ के लिए 8 अप्रैल को सीएम योगी आदित्यनाथ का दरवाजा खटखटाने गई थी। निराश होकर सीएम दफ्तर के सामने खुदकुशी करने की कोशिश की और फिर ये मामला सुर्खियों में आया।

सीएम के पास जाने से पहले पीड़ित न्याय के लिए उन्नाव पुलिस के हर अधिकारी के पास गई थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मारपीट मामले में तो केस दोनों पक्षों पर दर्ज हुआ था लेकिन गैंगरेप मामले में मुकदमा दर्ज कराने के लिए कोर्ट की मदद लेनी पड़ी उसके बाद केस दर्ज हुआ। आरोप है कि पुलिस ने तहरीर के बावजूद दोनों मामलों में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया। जब आरोपी विधायक के खिलाफ केस दर्ज नहीं हुआ तो पीड़ित उच्च अधिकारियों के पास गई। वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो वो सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंची लेकिन बात नहीं बनी।

बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर। रेप, मारपीट का आरोप ।
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि गैंगरेप मामले में केस दर्ज होने के बाद से ही विधायक उस पर शिकायत न करने का दबाव बना रहा था। पीड़िता के मुताबिक जब बात नहीं बनी तो 3 अप्रैल को दबाव बनाने के लिए उसके पिता से विधायक के भाई अतुल और मनोज ने मारपीट की। पिता के खिलाफ एक फर्ज़ी मुकदमा कर उन्हें जेल में डाल दिया गया । हालांकि मुकदमा दूसरे पक्ष पर भी हुआ था लेकिन विधायक पक्ष की ओर से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। यहां पर पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने फर्जी केस कर पिता को जेल में डाल दिया और फिर 9 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई। इसी के बाद से ये मामला सबके संज्ञान में आ गया और सरकार की किरकिरी होने लगी ।
गैंगरेप पीड़ित की बहन का कहना है कि :पापा हमारे दिल्ली थे, दादी अम्मा की दवाई लेकर आ रहे थे। और और वे लोग हमारे पापा को घसीटते हुए मारते हुए ले गए। जब हम बचाने गए तो वो छेड़खानी करने लगे। हम हाथ जोड़कर माफी मांग रहे थे तो वो कह रहे थे @#%& को गोली मार दो। उ लोगों ने पापा को मार दिया।”
मृतक की पत्नी ने रो रो कर मीडिया को अपनी पीड़ा बताई और 3 अप्रैल की घटना को भी बयां किया- “4-5 लोग गाड़ी लेकर हमारे दरवाज आए और मेरे पति को खींच ले गए । बांधकर पानी डाल-डाल कर मेरे पति को मारा । कपड़े फाड़ डाला। उनके शरीर में एक कपड़े भी नहीं थे। उनको मारकर घायल कर दिया, मरे हालत में भी मार रहे थे।”
पीड़ित की बहन ने बताया कि – “जब हम लोग पापा को बचाने लगे तो हमारे साथ छेड़खानी करने लगे। 3 तारीख को हुआ था ये सब, जान बचाकर भागे हम लोग। भूखे-प्यासे हम लोग योगीजी के पास गए। वहां जाने के बाद सुनवाई हुई, कहा- जाइए तुम्हारे पापा को कुछ भी नहीं होगा। जेल में थे मेरे पापा, जिला अस्पताल आते हुए हमारे पापा को मरवा दिया गया। मेरे पापा पर कोई केस नहीं था, झूठा केस लगवा दिया था । इसी तरह से मेरे बड़े वाले पापा को भी मरवा दिया था। “
उन्नाव के डीएम ने बताया कि पेट में दर्द की शिकायत के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। थोड़ा आराम मिलने पर कुछ खाया पिया लेकिन फिर उल्टी होने लगी और उसने दम तोड़ दिया । यहां पर सवाल ये है कि जब पीड़ित के पिता को मारमार कर अधमरा कर दिया गया तो उसका इलाज ठीक से क्यों नहीं कराया गया ? उसकी ऐसी हालत नहीं थी कि जेल में रखा जाए। अगर आप यू ट्यूब पर पीड़ित के पिता का वीडियो देखेंगे तो समझ जाएंगे कि उसकी हालत कैसी थी । उस हालत में अगर अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया होता तो उसे ठीक होने में कम से कम 10 दिन लगते लेकिन तीन अप्रैल को मारपीट के बाद हल्के डॉक्टरी उपचार के बाद उसे जेल में भेज दिया गया और 6 दिन बाद उसकी मौत हो गई।
न्यायिक हिरासत में मौत के बाद अब सरकार भी एक्टिव दिख रही है और पुलिस भी । ऐसा लग रहा है कि अब न्याय मिल ही जाएगा । लेकिन सवाल अब भी वही है कि जब पीड़ित नामजद केस दर्ज करा रही है तो विधायक पर केस दर्ज क्यों नहीं हो रहा है ? अगर विधायक निर्दोष है तो पिछले एक साल में जांच क्यों नहीं हुई ? जिस जांच का बहाना बनाया जा रहा है वो जांच अब तक कहां पहुंची ? ऐसे तमाम सवाल हैं । इन सवालों का जवाब कब तक मिलेगा ये सरकार जाने लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा चाहें कोई भी हो । डीजीपी भी बोल रहे हैं कि जांच चल रही है कड़ी कार्रवाई होगी । कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा कह रहे हैं कि कानून अपना काम कर रहा है। कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग कर रही है। वहीं समाजवादी पार्टी सीएम योगी से इस्तीफा मांग रही है । यानी राजनीति अब शुरू हो गई है।
9 अप्रैल को सीएम से मुलाकात के बाद आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर ने कहा कि उनके खिलाफ पिछले एक साल से साजिश हो रही है । सरकार जांच कराए और दोषियों को सजा दे । कुलदीप सिंह सेंगर साल 2002 से उन्नाव के बांगरमऊ विधानसभा से 4 बार विधायक चुने गए हैं । इन पर रेप का आरोप है । इनके भाई पर भी आरोप है । पिछले एक साल से इनके खिलाफ केस दर्ज करवाने की कोशिश हो रही है लेकिन अभी तक केस दर्ज नहीं हुआ। इस बीच पीड़ित के पिता से मारपीट का आरोप और न्यायिक हिरासत में मौत को कुलदीप सेंगर से ही जोड़ कर देखा जा रहा है । 

मारपीट के मामले में अभी तक 5 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और 6 पुलिसकर्मी भी सस्पेंड हो गए हैं । बाद में कुलदीप सेंगर के भाई अतुल की भी गिरफ्तारी की गई और बताया गया कि उसके खिलाफ केस दर्ज करने के साक्ष्य मिल गए हैं। मौत की न्यायिक जांच के आदेश हो गए हैं लेकिन गैंगरेप मामले में गृह सचिव का कहना है कि एफआईआर में विधायक कुलदीप सेंगर का नाम नहीं है । जांच की जा रही है और साक्ष्य मिलेंगे तो केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यानी जिस विवाद से विवाद बढ़ा वो जस का तस है मारपीट में कार्रवाई कर सरकार मामले पर पर्दा तो नहीं डाल रही? लोग पूछ रहे हैं कि क्या सरकार विधायक को बचाने की कोशिश कर रही है ? सिर्फ कॉलेजों के बाहर खड़े होने पर जो पुलिस लड़कों को मनचला कह कर एंटी रोमियो दल बनाकर मारती पीटती है, छेड़खानी के आरोपों पर लोगों को जेल में डाल देती है, आरोप है कि फर्जी केस बनाकर एनकाउंटर तक कर देती है वो पुलिस तहरीर देने के बावजूद, कोर्ट के हस्तक्षेप पर केस दर्ज करती है लेकिन मुख्य आरोपी के खिलाफ कुछ नहीं करती है.. तो ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही..


सत्येंद्र कुमार यादव के फेसबुक वॉल से ।