पुष्यमित्र
आप चले गये, बहुत दुख हुआ। मगर उससे भी अधिक दुख इस बात का हुआ कि आप बिना कुछ बताये चले गये। काश आपने एक छोटा सा मैसेज किया होता। काश आपके इस छोटे भाई के पास एक मौका होता कि मन्नू भायजी के लिये थोड़ी कोशिश कर लें। यह अफसोस अब पूरी जिन्दगी रहने वाला है।आप मेरे मन्नू भाय जी थे, जिसे दुनिया Shekhar Jha के नाम से जानती है। मेरे बड़े से खानदान में मेरी पीढ़ी के सबसे पढ़े लिखे और जहीन लोगों में से एक। आपने मैथिली भाषा को देश की सबसे बड़ी नौकरी को पाने का जरिया बना दिया था। हर साल आपकी कोचिंग मंथन एकेडमी से एक दर्जन से अधिक छात्र यूपीएससी की परीक्षा मैथिली विषय के साथ पास करते थे। इस वजह से मैथिली को लेकर सक्रिय रहने वालों के समूह में आपकी खासी इज्जत थी।
मगर मेरे लिये तो आप मन्नू भायजी ही थे जिन्हे बचपन में पापा के पास गणित के सवालों को समझने आते देखा था। जिनकी मुस्कान तभी भी मन को मोह लेती थी। अभी भी वह मुस्कान ही आपकी पहचान है। हमेशा याद में बसी रहेगी। और साथ ही वह उदासी भी जो आपके न होने, अचानक चले जाने से जीवन में भर आई है।